गोपीनाथ सुनार की असमय मृत्यु हो गई। उसकी शादी हो चुकी थी और उसे एक छोटा बेटा भी था। उसका बेटा कुछ 7-8 साल का होगा। गोपीनाथ सुनार के गुजर जाने के बाद उसकी #सेविंग्स के सहारे इन दोनों ने कुछ साल बिताए।
#सेवग खत्म होने पर गोपीनाथ सुनार की पत्नी ने अपने संभाल के रखे हुए #गहने की पोटली अपने बेटे को दी और उसे अपने एक #रिश्तेदार का पता बताया और कहा कि हमारे ये रिश्तेदार भी सुनार हैं, इसलिए वह हमारा भला चाहेंगे और हमें इन गहनों के बदले सही और उचित दाम देंगे। तुम उनके पास जाओ और इन्हें बेच कर आओ।
बेटा मां के समझाएं अनुसार अपने रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार के दुकान पर पहुंच गया। #गहनों की पोटली उन्हें देते हुए सारी घटना बताई और गोपीनाथ सुनार के जवाब का इंतजार करने लगा।
गोपीनाथ सुनार ने थोड़ी देर तक गहनों का अच्छी तरह से निरीक्षण किया और उन्हें वापस पोटली में रख दिया। उन्होंने लड़के से कहा कि अभी इनका दाम अच्छा नहीं मिलेगा। एक काम करो, इन्हें तुम वापस घर पर अपनी मां को दे दो और जब इनका सही दाम होगा तब मैं इन्हें बिकवा दूंगा। रही तुम्हारे खर्चे की बात, तो तुम मेरे यहां पर मदद करने आ जाओ, तुम्हारे पढ़ाई का और घर का #खर्चा मैं संभाल लूंगा।
लड़के ने उस दिन के बाद कई सालों तक अपने #रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार के यहां काम किया और साथ में पढ़ाई भी की। यहां पर काम करते-करते वह सारा काम भी सीख गया और #सोनेचांदी को परखना भी।
एक दिन गोपीनाथ सुनार ने लड़के से कहा अब सही दाम है, इसलिए तुम वह गहनों की पोटली लेकर आओ। लड़के ने घर जाकर अपनी मां से वह गहनों की पोटली मांगी। क्योंकि वह अब #सोनेचांदी को अच्छे से परखना जानता था, इसलिए उसने एक बार तसल्ली के लिए गहने पोटली से निकाल कर देखे। उसे बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि सारे के सारे गहने नकली थे!
वह निराश होकर गोपीनाथ सुनार की दुकान पर पहुंचा। उसने जाते ही गोपीनाथ सुनार से प्रश्न किया, "आपने मुझे तभी क्यों नहीं बताया कि गहने नकली हैं?" गोपीनाथ सुनार ने कहा, "अगर मैं तब तुम्हें #गहनों की सच्चाई बताता, तो शायद तुम्हें लगता कि तुम्हारे बुरे समय की वजह से मैं तुम्हारा फायदा उठाना चाहता हूं, इसलिए गहनों को नकली बताकर तुम्हारी मदद नहीं करना चाहता या उन्हें हड़प लेना चाहता हूं। इसलिए मैंने तुम्हारी मदद की और सही समय आने का इंतजार किया कि तुम्हें सारी सच्चाई बता सकूं।"
लड़के की आंखों में अपने #रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार के लिए कृतज्ञता के आंसू थे। उसने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके #पैर छुए।
#दोस्तों, हममें से कई लोग कहते हैं कि #रिश्तेदार मतलबी होते हैं या रिश्तेदार हमारे काम कभी नहीं आते। माना कि सभी रिश्तेदार इस गोपीनाथ सुनार की तरह नहीं होते, लेकिन सभी रिश्तेदार मतलबी भी नहीं होते। हम अपने रिश्तेदारों के लिए खुद अच्छे रिश्तेदार बनेंगे, तभी तो हमें दूसरों से भी #अच्छाई मिलेगी।
#सेवग खत्म होने पर गोपीनाथ सुनार की पत्नी ने अपने संभाल के रखे हुए #गहने की पोटली अपने बेटे को दी और उसे अपने एक #रिश्तेदार का पता बताया और कहा कि हमारे ये रिश्तेदार भी सुनार हैं, इसलिए वह हमारा भला चाहेंगे और हमें इन गहनों के बदले सही और उचित दाम देंगे। तुम उनके पास जाओ और इन्हें बेच कर आओ।
बेटा मां के समझाएं अनुसार अपने रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार के दुकान पर पहुंच गया। #गहनों की पोटली उन्हें देते हुए सारी घटना बताई और गोपीनाथ सुनार के जवाब का इंतजार करने लगा।
गोपीनाथ सुनार ने थोड़ी देर तक गहनों का अच्छी तरह से निरीक्षण किया और उन्हें वापस पोटली में रख दिया। उन्होंने लड़के से कहा कि अभी इनका दाम अच्छा नहीं मिलेगा। एक काम करो, इन्हें तुम वापस घर पर अपनी मां को दे दो और जब इनका सही दाम होगा तब मैं इन्हें बिकवा दूंगा। रही तुम्हारे खर्चे की बात, तो तुम मेरे यहां पर मदद करने आ जाओ, तुम्हारे पढ़ाई का और घर का #खर्चा मैं संभाल लूंगा।
लड़के ने उस दिन के बाद कई सालों तक अपने #रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार के यहां काम किया और साथ में पढ़ाई भी की। यहां पर काम करते-करते वह सारा काम भी सीख गया और #सोनेचांदी को परखना भी।
एक दिन गोपीनाथ सुनार ने लड़के से कहा अब सही दाम है, इसलिए तुम वह गहनों की पोटली लेकर आओ। लड़के ने घर जाकर अपनी मां से वह गहनों की पोटली मांगी। क्योंकि वह अब #सोनेचांदी को अच्छे से परखना जानता था, इसलिए उसने एक बार तसल्ली के लिए गहने पोटली से निकाल कर देखे। उसे बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि सारे के सारे गहने नकली थे!
वह निराश होकर गोपीनाथ सुनार की दुकान पर पहुंचा। उसने जाते ही गोपीनाथ सुनार से प्रश्न किया, "आपने मुझे तभी क्यों नहीं बताया कि गहने नकली हैं?" गोपीनाथ सुनार ने कहा, "अगर मैं तब तुम्हें #गहनों की सच्चाई बताता, तो शायद तुम्हें लगता कि तुम्हारे बुरे समय की वजह से मैं तुम्हारा फायदा उठाना चाहता हूं, इसलिए गहनों को नकली बताकर तुम्हारी मदद नहीं करना चाहता या उन्हें हड़प लेना चाहता हूं। इसलिए मैंने तुम्हारी मदद की और सही समय आने का इंतजार किया कि तुम्हें सारी सच्चाई बता सकूं।"
लड़के की आंखों में अपने #रिश्तेदार गोपीनाथ सुनार के लिए कृतज्ञता के आंसू थे। उसने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके #पैर छुए।
#दोस्तों, हममें से कई लोग कहते हैं कि #रिश्तेदार मतलबी होते हैं या रिश्तेदार हमारे काम कभी नहीं आते। माना कि सभी रिश्तेदार इस गोपीनाथ सुनार की तरह नहीं होते, लेकिन सभी रिश्तेदार मतलबी भी नहीं होते। हम अपने रिश्तेदारों के लिए खुद अच्छे रिश्तेदार बनेंगे, तभी तो हमें दूसरों से भी #अच्छाई मिलेगी।
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