गरीब घर की बहू

गरीब घर की बहू

छोटे से गाँव में रामलाल का परिवार रहता था। घर बहुत गरीब था। टूटी झोपड़ी, कच्ची दीवारें और छप्पर से टपकता पानी ही उनकी ज़िंदगी की पहचान थी। घर के चूल्हे में रोज़ धुआँ उठे, ये भी किस्मत की बात थी।


रामलाल के तीन बेटे थे। बड़ा बेटा पढ़ाई में कमजोर रहा और खेत-खलिहान में ही लग गया। दूसरा बेटा शहर जाकर मज़दूरी करता था। सबसे छोटे बेटे सूरज का विवाह रामलाल ने पड़ोस के गाँव की एक सीधी-सादी लड़की गौरी से कर दिया।


गौरी बचपन से ही सम्पन्न घर में पली-बढ़ी थी। उसके मायके में कभी कमी नहीं रही। लेकिन विवाह के बाद जब वह गरीब घर की बहू बनकर ससुराल आई, तो यहाँ का हाल देखकर उसके मन में क्षण भर को निराशा छा गई।


घर में चारपाई तक ठीक से नहीं थी, रसोई में बर्तन आधे टूटे हुए थे और आटा-चावल हमेशा नाप-नाप कर इस्तेमाल करना पड़ता था। लेकिन गौरी ने मन में ठान लिया – *“अब यही मेरा घर है और यही मेरा परिवार। इसे सँवारना मेरी ज़िम्मेदारी है।”*


गौरी सुबह सबसे पहले उठती, घर का आँगन बुहारती, पास के कुएँ से पानी भर लाती और पूरे परिवार के लिए भोजन बनाती। उसकी सबसे बड़ी खासियत थी – वह कभी भी हालात की शिकायत नहीं करती थी। मायके की सम्पन्नता याद जरूर आती, पर चेहरे पर मुस्कान बनाए रखती।


धीरे-धीरे उसने घर की स्थिति बदलनी शुरू की। खेत में सब्ज़ियाँ उगाईं, मुर्गियाँ पाल लीं और गाँव की औरतों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने लगी। उसकी मेहनत और समझदारी से घर में थोड़ी-थोड़ी आमदनी बढ़ने लगी।


ससुराल वाले पहले तो सोचते थे कि यह लड़की मायके की रानी थी, गरीब घर में कैसे टिकेगी? लेकिन गौरी ने सबको गलत साबित कर दिया। उसकी लगन और मेहनत ने घर की कंगाली को कम करना शुरू कर दिया।


गाँव की औरतें अक्सर उससे कहतीं –

“गौरी, तू तो अमीर घर की बेटी है, यहाँ तुझे कितनी तकलीफ़ होती होगी।”


गौरी मुस्कराकर कहती –

“सुख-दुख घर की हालत से नहीं, दिल की सोच से तय होते हैं। अगर हम मेहनत करें तो गरीबी भी हमें थका नहीं सकती।”


कुछ सालों में गौरी की मेहनत और समझदारी से रामलाल का परिवार धीरे-धीरे संभलने लगा। बच्चे पढ़ने लगे, घर की हालत सुधर गई।


गाँव के लोग अब उसे प्यार से *“लक्ष्मी बहू”* कहने लगे।


 *शिक्षा*


यह कहानी हमें सिखाती है कि


* बहू केवल एक घर की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे परिवार की तकदीर बदल सकती है।

* गरीबी कोई अभिशाप नहीं, यदि मन में हिम्मत और कर्मठता हो।

* औरत का धैर्य, त्याग और मेहनत परिवार को संवार देता है।



"फिर से हरियाली | अधूरी ख्वाहिशों से नए सवेरे तक की भावुक कहानी"





*एक स्त्री के दिल की गहराई, उसका अकेलापन और फिर रिश्तों में भावनाओं का पुनर्जन्म... 🌸*

यह कहानी है अचला की, जो अपने बगीचे की हरियाली में सुकून ढूँढती रही, पर मन की खाली जगह किसी अपने के साथ से ही भर सकती थी। जीवन की उदासी, रिश्तों की दूरी और फिर प्रेम का लौट आना... यही है "फिर से हरियाली" की असली खूबसूरती।

यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि हर उस दिल की आवाज़ है जिसने कभी भावनात्मक जुड़ाव खोया हो और फिर से उसे पाया हो।


👉 अगर आपने भी कभी रिश्तों में खालीपन महसूस किया है तो यह कहानी आपके दिल को जरूर छुएगी।


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