अग्निवीर आरव भाग:-3

आरव का तीसरा अध्याय प्रस्तुत है, जिसमें उसकी यात्रा गाँवों के बाहर, नए गुरुओं से मुलाक़ात और विवर संघ का बड़ा षड्यंत्र शामिल है.

### अध्याय 3: यात्रा नए गाँवों में


टूर्नामेंट जीतने के बाद आरव को अहसास हुआ कि उसकी असली परीक्षा अब शुरू हुई है। गुरु वेदांत ने उसे आदेश दिया:

“आद्यग्राम से बाहर निकलो, नए गाँवों और नए योद्धाओं से सीखो। केवल अनुभव से ही तुम्हारी प्राणशक्ति पूरी तरह जागेगी।”


आरव, निषा और यश ने यात्रा शुरू की। पहले उन्होंने वायुग्राम में वायु तकनीकें सीखीं, जहाँ आंधी और तूफान उनकी परीक्षा लेते। फिर वे जलग्राम पहुँचे, जहाँ तेज़ धाराओं और बर्फ़ की शक्तियाँ देखीं। हर गाँव में नए गुरु थे — *गुरु अंबर* (वायु), *गुरु रत्नाकर* (जल)।  


हर जगह आरव को अपनी छाया-शक्ति के कारण चुनौतियाँ झेलनी पड़ीं, लेकिन हर सफलता ने उसकी तकनीक और आत्म-विश्वास को और मजबूत किया।  


***


### नए मित्र और विरोधी


यात्रा के दौरान, आरव को दो नए साथी मिले —


- काव्य: बर्फ़ तत्व की साधिका, जिसने आरव की छाया को संतुलित करने की विधि सिखाई।

- ध्रुव: धरती तत्व का योद्धा, जिसने आरव को आंतरिक नियंत्रण देना सिखाया।


वहीं, विवर संघ के जासूस लगातार उन पर निगरानी रख रहे थे।  

उनके नेतृत्वकर्ता अरीहंत ने “छाया-मंत्र” की अत्यंत खतरनाक शक्ति हासिल कर ली थी। उनका उद्देश्य था कालदूत के जागरण के लिए आरव की ऊर्जा चुराना।  


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### गुरुओं से मिलना


गुरु सूरज ने आरव को अग्नि की सर्वोच्च तकनीक सिखाई:  

“अग्नि केवल जलाने के लिए नहीं, जीवन देने के लिए भी है।”  


गुरु मंदाकिनी ने छाया का उपयोग सकारात्मक कार्यों के लिए सिखाया:  

“हर अंधकार का अंत रोशनी में है, आरव! छाया तुम्हारी सबसे बड़ी शक्ति है, डर नहीं।”


हर गुरु की शिक्षा से आरव की विलक्षण शक्तियाँ विकसित होती गईं।  


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### विवर संघ का षड्यंत्र


यात्रा के अंतिम पड़ाव में, आरव और उसके साथी त्रिवेणीग्राम पहुँचे, वहाँ अचानक बाकी गाँवों के योद्धाओं के साथ रहस्यमयी बीमारियाँ फैलने लगीं।  


निषा ने पहचाना:  

“यह विवर संघ की नई योजना है – वे सभी योद्धाओं की प्राणशक्ति को कमजोर बनाना चाहते हैं, ताकि कालदूत की शक्ति लौटे।”  


अरीहंत ने आरव को जाल में फंसा लिया। दोस्ती, साहस और ज्ञान का सहारा लेकर आरव ने अपने साथियों के साथ मिलकर विवर संघ की बीमारी को खत्म किया।  


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### निर्णायक मुकाबला


अंत में आरव का सामना अरीहंत से हुआ, जिसने काले मंतर से कालदूत की छाया एक बार फिर जगाने की कोशिश की। 

आरव ने अपनी अग्नि, जल, वायु, और छाया — सभी तत्वों की शक्ति मिलाकर एक आख़िरी “महातंत्र” तकनीक बनाई।  

दोस्ती और गुरुजनों की शिक्षा से मिली ताकत से उसने कालदूत की छाया को भीतर ही समाहित कर दिया।


अरीहंत पराजित हुआ, मगर जाते-जाते बोला:

“तुमने यह जंग जीत ली, आरव। मगर कालदूत की छाया अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है!”  


***


आरव ने निश्चय किया — अब वह दुनिया के सभी गाँवों को जोड़कर एक नई व्यवस्था बनाएगा, ताकि अंधकार की ताकतें कभी लौट न सकें


अगर कहानी आगे विकसित करनी हो – जहाँ आरव को देश की रक्षा, नए दुश्मनों और अतीत की सच्चाइयों को जानना है तो अगले अध्याय का भी विस्तार किया जा सकता है। आगे की कहानी के लिए

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