बहुत अच्छा! यहाँ आरव की कहानी का अगला अध्याय प्रस्तुत है, जिसमें किशोरावस्था का सफर और उसका पहला बड़ा टूर्नामेंट दिखाया गया है।
अध्याय 2: पहला महान टूर्नामेंट
आरव अब तेरह वर्ष का हो चुका था। उसका प्रशिक्षण और भी कठोर होने लगा था। उसने धीरे-धीरे छाया-शक्ति को काबू करना सीख लिया था, लेकिन पूरी तरह से उस पर नियंत्रण अब भी मुश्किल था। उसके गुरु वेदांत ने उसे और उसके मित्रों निषा और यश को सूचित किया:
“अब तुम सबको अपने गाँव का प्रतिनिधित्व करते हुए भाग लेना होगा – अखिल ग्राम संयोजन टूर्नामेंट में।”
यह प्रतियोगिता हर पाँच साल में होती थी, जिसमें सभी गाँवों के युवा योद्धा अपनी ताकत और कौशल दिखाते। विजेता को ‘**अग्निरत्न’** नामक दुर्लभ रत्न दिया जाता था, जो प्राणशक्ति को और भी शुद्ध और शक्तिशाली बनाने में सक्षम था।
***
### नए योद्धाओं से मुलाक़ात
टूर्नामेंट में पहुँचते ही आरव और उसके साथियों ने अलग-अलग गाँवों के योद्धाओं को देखा।
- काव्य – बर्फ़ तत्व की कुशल साधिका। शांत, चुपचाप, पर बेहद ख़तरनाक।
- ध्रुव – बलिष्ठ योद्धा जो धरती को अपनी इच्छा से हिला सकता था।
- रिया – तेज़ वायु जादूगरनी, जो हवा की धार को तलवार की तरह इस्तेमाल करती थी।
इन सबके बीच, सबसे खतरनाक प्रतिभागी था – विहान, जो *विवर संघ* से भाग आया था। कहा जाता था कि वह छाया-तत्व का माहिर था और टूर्नामेंट को अपनी शक्ति दिखाने का साधन बना रहा था।
***
### आरव की चुनौती
पहले दौर में आरव को कमजोर समझकर कोई गंभीरता से नहीं ले रहा था। गाँव के लोग अब भी उसकी छाया शक्ति के कारण संदेह कर रहे थे।
पहली लड़ाई में उसका सामना ध्रुव से हुआ। ध्रुव ने जमीन हिला दी, विशाल पत्थर उठाकर हमला किया।
आरव पहले चकराया, लेकिन गुरु के शब्द याद आए – *“शक्ति सिर्फ बल में नहीं, बुद्धि में भी होती है।”*
उसने अपनी चपलता और आंशिक आग-तकनीक से ध्रुव की ज़मीन पर पकड़ ढीली कर दी और निर्णायक प्रहार किया।
गाँव वालों की पहली बार तालियाँ गूँज उठीं। अब लोग आरव को नए नज़रिए से देखने लगे।
***
### निषा और यश की लड़ाइयाँ
- निषा ने बिजली की गति से लड़ाई जीतकर सबको चौंका दिया। उसकी वायु-तलवार की कला अद्भुत थी।
- यश ने बेहद शांत ढंग से अपनी जल दीवार बनाकर प्रतिद्वंदी के हर वार को नाकाम किया और आख़िरी में तेज़ लहर से उसे बाहर कर दिया।
तीनों मित्र अब सेमी-फ़ाइनल में पहुँच चुके थे।
***
### अंधकार का सामना: आरव बनाम विहान
सेमी-फ़ाइनल में आरव का सामना हुआ विहान से। वह आरव की तरह ही छाया शक्ति का प्रयोग करता था।
विहान ने कहा:
“आरव, तू और मैं एक जैसे हैं। फर्क इतना है कि मैंने छाया से भागना नहीं सीखा, मैंने उसे गले लगा लिया है। आ, मेरे साथ चल, और तू भी विवर संघ का हिस्सा बन।”
आरव ने स्पष्ट जवाब दिया –
“मैं अपनी छाया को तुम्हारी तरह विनाश के लिए नहीं, रक्षा के लिए इस्तेमाल करूँगा।”
लड़ाई शुरू हुई। मैदान में आग की रोशनी और छाया की लहरें टकराईं।
विहान ने उसे बुरी तरह घायल किया, मगर उसी क्षण आरव के भीतर छिपी अग्निच्छाया कला जाग उठी।
उसने अद्भुत संयोजन से विहान को हरा दिया।
***
### अंतिम मुकाबला
फ़ाइनल में आरव का सामना हुआ अपनी ही मित्र निषा से।
यह लड़ाई अलग थी, क्योंकि दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते थे।
निषा ने अपनी पूरी शक्ति लगाई, हवा की धार से रणभूमि को चीर डाला। आरव ने अपनी आग और छाया को मिलाकर कमाल की ढाल बनाई।
दोनो ने पूरी क्षमता झोंक दी।
अंत में, निर्णायक वार में, आरव ने *आग-छाया के चारों ओर वायु प्रवाह* का उपयोग कर तकनीक को नियंत्रित किया। निषा गिर पड़ी लेकिन मुस्कुराते हुए बोली:
“तू सच्चा ग्रामवीर बनने के करीब है।”
***
### टूर्नामेंट का परिणाम
आरव विजेता बना और उसे अग्निरत्न प्राप्त हुआ। मगर उसे यह भी समझ आया कि जीतना ही सब कुछ नहीं है।
निषा, यश और अन्य योद्धाओं ने महसूस किया कि असली ताकत दोस्ती और भरोसे में है।
वहीं, दूर कहीं अंधेरे में, अरीहंत और विवर संघ टूर्नामेंट की लड़ाइयाँ देख रहे थे। उन्होंने ठंडी हँसी के साथ कहा:
“आरव अब और ताकतवर हो गया है। लेकिन तू जितना ऊँचा जाएगा, उतनी गहरी खाई में हम तुझे गिराएँगे।”
***
क्या आप चाहेंगे कि अगले अध्याय में मैं *आरव की यात्रा गाँवों के बाहर, नए गुरुओं से मुलाक़ात और विवर संघ के असली षड्यंत्र* पर विस्तार से लिखूँ?
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें