सेविंग(बचत)

सेविंग(बचत)


दोनों बच्चे और उनकी माँ के मुँह बने हुए हैं मना जो कर दिया मैनें इस बार मॉल से शॉपिंग करने के लिये। दो महीने हो गए मॉल से घर का सामान लाते हुए। अच्छा भला अब तक बड़े बाज़ार के लाला की दुकान से सामान आया करता था लेकिन उस दिन मैडम ने अखबार में देख लिया......इसके साथ वो फ़्री, उस पर इतने परसेन्ट की छूट। बस दिमाग घूम गया उसका और मेरा भी घुमा दिया .....सेविंग के नाम पर और चले गये हम दोनों मॉल से  शॉपिंग करने। जरुरत से ज्यादा गैर जरूरी चीजें भरीं जा रही थी फ्री और सस्ते के चक्कर में। खचाखच भरी ट्रोली ने मेरी जेब खाली करा दी। आठ हज़ार का परचा फटा राशन के नाम का।


सबक लेती हुए मैडम पिछले महीने बोली, " लिस्ट बना कर ले जायेंगे। कुछ फालतू लेंगे ही नहीं।" इस बार बच्चे भी साथ हो लिये। नूडल्स, दसियों तरह की सॉस,मेयो, कुकीज़, चॉकलेट और ना जाने क्या अटरम-शटरम भर लिया, ना सिर्फ उन दोनों ने, उनकी माँ ने भी। लिस्ट की कसम जो घर से खा कर चली थी उसे वो यहाँ आते ही हजम कर गई। काऊंटर पर खड़ा बारह हजार का अमाउंट पे कर रहा था। बच्चे साथ गए थे उन्हें झूले भी झूलने हैं, कार रेसिंग गेम भी चलानी है और बर्गर भी खाना है अब मना थोड़े ना किया जाता है बच्चे ही तो हैं। अपनी मैडम को भी कहाँ मना किया जब उसने बड़े प्यार से मुझसे कहा, " रात होने वाली है कब घर पहुंचेंगे? कब खाना बनेगा? कब खायेंगे? एक काम करतें हैं यहीं फूड कोर्ट से खाना खा कर चलते हैं।" खा लिया खाना। ये सब हुआ सेविंग के नाम पर।


सामान आया सो आया अब उसे ऐडजस्ट करने की आफत। जब सारी जगह फुल हो गई तब बारी आई मेरी किताबों की अल्मारी की। जो आज तक ना हुआ वो अब हो रहा था। बेचारी मेरी किताबों को टूथपेस्ट, चाय के पैकेट, साबुन,बिस्किट के साथ ऐडजस्ट करना पड़ रहा था। चलो जी, ठूँस-ठास कर जैसे-तैसे सामान भर दिया गया यहाँ तक तो ठीक था पर अगले दिन जो हुआ....... घर पधारी अपनी सहेली से हमारी मैडम मॉल में शॉपिंग के फायदे गिनाते-गिनाते अचानक क्या बोलती है, "ओ! तू मत खरीदना मेरे पास एक्स्ट्रा रखा है।" और ओट्स का एक पैकेट उसे दानवीर बन कर दे दिया। अब कोई मुझे बताये ये एक्स्ट्रा कैसे हुआ? कब हुआ? खुद ने ही तो खरीदा था। एक के साथ एक फ़्री बोल कर। पहले बेमतलब का खरीदो फिर एक-एक को दान करो। ये क्या बात हुई भला?


बस बहुत हुआ। इसलिये इस महीने घर का सामान लाने के लिए मॉल जाने से मैनें साफ़ मना कर दिया।......लिस्ट, थैला उठाया और स्कूटर लेकर निकल पड़ा बड़े बाज़ार वाली लाला की दुकान की तरफ। छ: हजार में सारा सामान आ गया। लौटते हुए तीनों के लटके चेहरे याद आ गए। स्कूटर रोका बच्चों के लिए रेड वेल्वेट पेस्ट्री और उनकी माँ के लिए बटर स्कॉच आइसक्रीम लेकर चल दिया घर की ओर।


कैसे तीनों के मुरझाए चेहरे खिल उठे अपनी फ़ेवरिट चीजें देखकर। जहाँ बच्चे अपनी पेस्ट्री और मैडम अपनी आइसक्रीम का मज़ा ले रही थी वहीं मैं लुत्फ उठा रहा था अपनी सेविंग का।

*बचत करना एक कला है।*


*यह ग्रुप एक प्रेरणा स्रोत और जिंदगी जीने के नजरिया को जाहिर करता है इस ग्रुप में हर रोज धार्मिक, प्रेरणादायक कहानियां और आत्मविश्वास से जुड़ी गाथा भेजी जाती है कृपया इस ग्रुप को लिंक से जॉइन करें*  


रात का समय

इंदौर के गलियों में एक 22 साल की लड़की जो दिखने में किसी मॉडल से कम नहीं थी।

जैसे कोई सुपर मॉडल हो जिसकी हाइट 5 फीट 7 इंच और रंग गोरा एकदम दूध के जैसी सफेद, आंखे मोती जैसी सुंदर गहरी काली उस पर लंबी पलके सुराही जैसे गर्दन।

एक तरह से कहा जाए तो भगवान ने इस लड़की को बहुत ही फुर्सत से तरासा हो जो अभी अभी अपने दोस्त राधा के घर से बाहर निकलकर अपने रूम स्कूटी से जा रही थी।

रात के लगभग 11 बजे होंगे इसलिए रोड में ज्यादा गाड़ी नही चल रहे थे।

अचानक ही उसकी नजर रोड किनारे गिरे एक इंसान पर गया जो शायद बेहोश था।

वो लड़की जल्दी से अपनी स्कूटी को एक साइड में खड़े करके जल्दी उस घायल इंसान को बचाने चली गई ।

जैसे ही वो लड़की उस घायल इंसान के पास गई वैसे ही उस घायल इंसान को देखकर शॉक्ड हो गई ।

घायल इंसान के पीठ पर किसी ने किसी धारदार चीज से वार किया था।

जिससे उस घायल इंसान का शरीर खून से पूरा लथपथ था।

वो लड़की जल्दी से उस घायल इंसान के चोंट लगे जगह पर अपनी दुप्पटे को को आधा फाड़कर जल्दी से बांध दी और उस इंसान के सांसे चेक की तो सांसे बहुत धीमे चल रहे थे।

उस घायल इंसान को वो लड़की बडी मुश्किल से सीधा पलटी और उसे होश में लाने की नाकाम कोशिश करने लगी।

और किसी टैक्सी वाले का वेट करने लगी ।

लगभग आधे घंटे बाद एक टैक्सी दिखा।

उस लड़की ने जल्दी से टैक्सी ड्राइवर के मदद से उस घायल इंसान को टैक्सी में बैठाई और पास ही के सिटी हॉस्पिटल में ले गई।

टैक्सी ड्राइवर के मदद से उस घायल इंसान को लड़की जैसे तैसे उस घायल इंसान को हॉस्पिटल के मैन डोर तक स्ट्रेचर तक लाई और जल्दी से डॉक्टर को ट्रीटमेंट स्टार्ट करवा दी ।

घायल इंसान को देखकर डॉक्टर ने जल्दी से ऑपरेशन के लिए बोल दिया।

लेकिन वो लड़की के पास दिक्कत वाली बात ये थी

"की वो उस घायल इंसान को जानती भी नही थी।

यहां तक नाम भी नही जानती थी,इसलिए उस लड़की को समझ में ही नही आ रहा था, की अब वो क्या करे???

अगर वो लड़की उस पेसेंट के पूरी जानकारी ना बताती तो डॉक्टर पुलिस केस करके ट्रीटमेंट स्टार्ट नही करते पर बहुत दिमाग चलाने के बाद उस लड़की ने उस घायल इंसान के कपड़े चेक की क्योंकि ऑपरेशन थिएटर में ले जाने से पहले उस घायल इंसान को ऑपरेशन के ड्रेस पहना दिए थे।

जिसमे से उसे एक बिजनेस कार्ड दिखा जिसमे ,"बड़े ही स्टाइल में बड़े बड़े अक्षर में लिखा था शिवा राठौर ,सीईओ ऑफ राठौर इंडस्ट्री।

वो लड़की जल्दी से ऑपरेशन होने के पहले वाले प्रोसेस कंप्लीट कर दी रिलेटिव में खुद को शिवा राठौड़ के मंगेतर के रूप सिग्नेचर कर दी जिससे शिवा के जल्दी से ऑपरेशन प्रोसेस स्टार्ट हो गया।

वो लड़की अब जल्दी से हॉस्पिटल के वेटिंग हॉल में गई क्योंकि उसने अभी तक टैक्सी ड्राइवर को उसका किराए नही दी थी ।

जिसे उसने हॉस्पिटल के वेटिंग हॉल में रुकने को बोल दी थी।

जल्दी से ड्राइवर को बोली,"=आपको हमें वहीं दोबारा छोड़ना होगा जहां से हम आए थे, क्योंकि मेरी स्कूटी वहीं पर रह गई है फिर मैं आपको किराए इकट्ठे दे दूंगी।

टैक्सी ड्राइवर भी मान गया और उसने उस लड़की को उसी एक्सीडेंट वाले जगह पर छोड़ दिया और अपना किराए लेकर चला गया।

अभी रात के करीब एक बज गए थे इसलिए रोड एकदम ही सुना पड़ा था और इस सुनसान रोड और भी ज्यादा डरावनी लग रहा था।

वो लड़की अपनी स्कूटी को चालू करके हुए खुद को मोटिवेट करते हुए बोली,"=सुलोचना तू कहां फंस गई यार तू डर मत, डर के आगे जीत है, तू

सुलोचना जल्दी से स्कूटी चालू की और हॉस्पिटल पहुंच कोई कुछ नही करेगा


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