विमान में भोजन
मैं विमान में अपनी सीट पर बैठा था, दिल्ली जा रहा था—लगभग 6 घंटे की यात्रा। मैंने इस समय को एक अच्छी किताब पढ़ने और एक घंटे सोने में बिताने की योजना बनाई।
उड़ान भरने से ठीक पहले, लगभग 10 सैनिक मेरे आस-पास आकर बैठ गए, और आस-पास की सीटों पर बैठ गए। यह सोचकर कि यह दिलचस्प होगा, मैंने अपने बगल में बैठे सैनिक से पूछा, “आप कहाँ जा रहे हैं?”
“आगरा, सर! वहाँ हमें दो सप्ताह का प्रशिक्षण लेना है, और फिर हमें एक ऑपरेशन पर भेजा जाएगा,” उसने उत्तर दिया।
एक घंटा बीत गया। एक घोषणा की गई: “जो लोग खरीदना चाहते हैं, उनके लिए दोपहर का भोजन उपलब्ध है।”
मैंने मन ही मन सोचा—अभी तो बहुत दूर जाना है, शायद मुझे खाना खा लेना चाहिए। मैंने अपना भोजन बुक करने के लिए अपने बटुए से हाथ बढ़ाया, तभी मैंने एक बातचीत सुनी।
“क्या हम दोपहर का भोजन भी लेंगे?” सैनिकों में से एक ने पूछा।
“नहीं, यहाँ बहुत महंगा है। चलो उतरने के बाद किसी सामान्य होटल में खाना खाते हैं,” दूसरे ने उत्तर दिया।
“ठीक है।”
मैं फ्लाइट अटेंडेंट के पास गया और कहा, “कृपया उन सभी को दोपहर का भोजन दें,” और सभी के भोजन का भुगतान किया।
उसकी आँखों में आँसू आ गए। “मेरा छोटा भाई कारगिल में तैनात है, सर। ऐसा लगता है कि आप उसे खाना खिला रहे हैं। धन्यवाद,” उसने कृतज्ञता में झुकते हुए कहा।
उस पल ने मुझे बहुत प्रभावित किया।
मैं अपनी सीट पर वापस आ गया। आधे घंटे के भीतर, उन सभी को उनके लंच बॉक्स मिल गए।
अपना भोजन समाप्त करने के बाद, मैं विमान के पीछे के शौचालय में गया। पीछे की सीट से एक बुजुर्ग सज्जन आए।
“मैंने सब कुछ देखा। आप प्रशंसा के पात्र हैं,” उन्होंने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा।
“मैं आपके अच्छे काम का हिस्सा बनना चाहता हूँ,” उन्होंने मेरे हाथ में ₹500 का नोट थमाते हुए कहा।
मैं अपनी सीट पर वापस आ गया। आधे घंटे बाद, फ्लाइट का पायलट मेरे पास आया और सीट नंबर स्कैन करते हुए मेरी सीट नंबर ढूँढ़ने लगा। उसने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं आपसे हाथ मिलाना चाहता हूँ।”
मैंने अपनी सीट बेल्ट खोली और खड़ा हो गया। जब उसने मुझसे हाथ मिलाया, तो उसने कहा, "मैं कभी लड़ाकू विमान का पायलट था। उस समय, तुम्हारे जैसे ही किसी व्यक्ति ने मेरे लिए भोजन खरीदा था। मैं उसे कभी नहीं भूला—यह प्रेम का प्रतीक था। तुमने जो किया, उससे वह याद ताज़ा हो गई।"
सभी यात्रियों ने तालियाँ बजाईं। मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुई। मैंने यह प्रशंसा के लिए नहीं किया था—मैंने बस एक अच्छा काम किया था।
मैं विमान के आगे की ओर थोड़ा आगे बढ़ा। लगभग 18 वर्षीय एक युवक ने मेरा हाथ हिलाया और मेरी हथेली में एक नोट रख दिया।
यात्रा समाप्त हो गई।
जब मैं बाहर निकलने के लिए दरवाजे के पास इंतजार कर रहा था, तो एक आदमी ने चुपचाप मेरी जेब में कुछ रखा और चला गया। एक और नोट।
जैसे ही मैं विमान से बाहर निकला, सभी सैनिक एक जगह इकट्ठे हुए थे। मैं दौड़कर गया, साथी यात्रियों द्वारा मुझे दिए गए सभी नोट निकाले और सैनिकों को सौंप दिए।
"अपने प्रशिक्षण स्थल पर पहुँचने से पहले इसे भोजन या किसी और चीज़ के लिए इस्तेमाल करें। हम जो देते हैं, वह उस सुरक्षा की तुलना में कुछ भी नहीं है जो आप हमें देते हैं। हमारे देश के लिए आप जो करते हैं, उसके लिए धन्यवाद। भगवान आपको और आपके परिवारों को आशीर्वाद दें," मैंने कहा, आँखें थोड़ी नम थीं।
वे दस सैनिक अब अपने साथ पूरी उड़ान का प्यार लेकर जा रहे थे। जैसे ही मैं अपनी कार में बैठा, मैंने मन ही मन प्रार्थना की, "भगवान, कृपया इन बहादुर आत्माओं की रक्षा करें जो इस देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार हैं।"
एक सैनिक भारत को देय एक खाली चेक की तरह होता है, जिसे किसी भी राशि के लिए भुनाया जा सकता है, जिसमें उनका जीवन भी शामिल है।
बहुत से लोग अभी भी उनकी महानता को नहीं समझते हैं।
चाहे हम इसे जितनी बार भी पढ़ें, यह हमेशा आंसू लाता है।इसे पढ़ें और आगे बढ़ाएँ।
*🌳🦚आज की कहानी🦚🌳*
*💐💐चिड़िया से सीख💐💐*
बहुत पहले आप ने एक चिड़िया की कहानी सुनी होगी..जिसका एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फंस गया था।
चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया उस दाने को दे देने के लिए लेकिन पेड़ उस छोटी सी चिड़िया की बात भला कहां सुनने वाला था।..
हार कर चिड़िया बढ़ई के पास गई और उसने उससे अनुरोध किया कि तुम उस पेड़ को काट दो, क्योंकि वो उसका दाना नहीं दे रहा...।
भला एक दाने के लिए बढ़ई पेड़ कहां काटने वाला था..फिर चिड़िया राजा के पास गई और उसने राजा से कहा कि तुम बढ़ई को सजा दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा और पेड़ दाना नहीं दे रहा...।
राजा ने उस नन्हीं चिड़िया को डांट कर भगा दिया कि कहां एक दाने के लिए वो उस तक पहुंच गई है। चिड़िया हार नहीं मानने वाली थी...।
वो महावत के पास गई कि अगली बार राजा जब हाथी की पीठ पर बैठेगा तो तुम उसे गिरा देना,क्योंकि राजा बढ़ई को सजा नहीं देता..बढ़ई पेड़ नहीं काटता...पेड़ उसका दाना नहीं देता..महावत ने भी चिड़िया को डपट कर भगा दिया...।
चिड़िया फिर हाथी के पास गई और उसने अपने अनुरोध को दुहराया कि अगली बार जब महावत तुम्हारी पीठ पर बैठे तो तुम उसे गिरा देना क्योंकि वो राजा को गिराने को तैयार नहीं...।
राजा बढ़ई को सजा देने को तैयार नहीं...बढ़ई पेड़ काटने को तैयार नहीं...पेड़ दाना देने को राजी नहीं।
हाथी बिगड़ गया...उसने कहा, ऐ छोटी चिड़िया..तू इतनी सी बात के लिए मुझे महावत और राजा को गिराने की बात सोच भी कैसे रही है?
चिड़िया आखिर में चींटी के पास गई और वही अनुरोध दोहराकर कहा कि तुम हाथी की सूंढ़ में घुस जाओ...चींटी ने चिड़िया से कहा, "चल भाग यहां से...बड़ी आई हाथी की सूंढ़ में घुसने को बोलने वाली।
अब तक अनुरोध की मुद्रा में रही चिड़िया ने रौद्र रूप धारण कर लिया...उसने कहा कि "मैं चाहे पेड़, बढ़ई, राजा, महावत, और हाथी का कुछ न बिगाड़ पाऊं...पर तुझे तो अपनी चोंच में डाल कर खा ही सकती हूँ...
चींटी डर गई...भाग कर वो हाथी के पास गई...हाथी भागता हुआ महावत के पास पहुंचा...महावत राजा के पास कि हुजूर चिड़िया का काम कर दीजिए नहीं तो मैं आपको गिरा दूंगा....राजा ने फौरन बढ़ई को बुलाया उससे कहा कि पेड़ काट दो नहीं तो सजा दूंगा...बढ़ई पेड़ के पास पहुंचा...बढ़ई को देखते ही पेड़ बिलबिला उठा कि मुझे मत काटो.मैं चिड़िया को दाना लौटा दूंगा...!!
*'निष्कर्ष*
आपको अपनी ताकत को पहचानना होगा...आपको पहचानना होगा कि भले आप छोटी सी चिड़िया की तरह होंगे, लेकिन ताकत की कड़ियां कहीं न कहीं आपसे होकर गुजरती होंगी...हर शेर को सवा शेर मिल सकता है, बशर्ते आप अपनी लड़ाई से घबराएं नहीं...
आप अगर किसी काम के पीछे पड़ जाएंगे तो वो काम होकर रहेगा यकीन कीजिए. हर ताकत के आगे एक और ताकत होती है और अंत में सबसे ताकतवर आप होते हैं. हिम्मत, लगन और पक्का इरादा ही हमारी ताकत की बुनियाद है..!!
बड़े सपनो को पाने वाले हर व्यक्ति को सफलता और असफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है!
पहले लोग मजाक उड़ाएंगे,फिर लोग साथ छोड़ेंगे, फिर विरोध करेंगे फिर वही लोग कहेंगे हम तो पहले से ही जानते थे की एक न एक दिन तुम कुछ बड़ा करोगे!
रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा,
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..!
थक कर ना बैठ, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा !!
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें