"""सुनो .. ओ लड़की.... ऐसे खिड़की से मत लटकों। ... गिर जाओगी । तुम्हें कहां जाना है? अंदर डिब्बे में आ जाओ। मुझे लगता है तुम्हारे पास टिकट नहीं है इसलिए तुम ऐसे खिड़की से लटकी हुई हो।"" अमन की नजर उसके डिब्बे की खिड़की से लटकतीं एक औरत पर पड़ी और वह चीख पड़ा।
अमन जब गाड़ी रुकी थी तो वाशरूम के लिए अपने डिब्बे से निकल कर चला गया था जब वापस आया तो ट्रेन धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही थी। वो कोई राजस्थानी वेशभूषा पहने हुए थी । बड़ी ही मासूम सी लग रही थी ।ऐसे लग रहा था जैसे उसकी आंखों में बहुत से सवाल हो और वो उनका उत्तर ढूंढ रही हो ।अमन खो सा गया उसकी झील सी आंखों में। अमन को जब होश सा आया तो उसने देखा वो लड़की कब की उसके डिब्बे में आकर बैठ गयी थी वो नीचे फर्श पर बैठी थी ।
अमन ऑफिस के काम के चलते दिल्ली से नो घंटो की दुरी पर बसे नवलगढ़ गाँव ट्रैन से जा रहा था। वहां एक गवर्मेन्ट का प्रोजेक्ट चल रहा था जिसमें एक पुरानी हवेली के रेनोवेशन का काम उसके जिम्मे आया था। यह प्रोजेक्ट अमन के लिए जरुरी था क्यूंकि इसपर सीधा उसका प्रमोशन टिका हुआ था। जब प्रोजेक्ट मिला था तब उसके बॉस ने उसको बताया था -
""""अमन, यहां से बारह घण्टे की दूरी पर नवलगढ़ है वहां के किले का रेनोवेशन करना है ।वो जगह दो तीन सौ सालों से ऐसे ही पड़ी है ।सरकार का मानना है कि उसे रिरेनोवेट करके पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है । लेकिन…….""""
""""लेकिन …. लेकिन क्या सर?"""" अमन ने उत्सुकता वश पूछा।
""""उस जगह के लिए ये प्रसिद्ध है कि वहां ना जाने क्या है जो भी उस किले की मरम्मत के लिए जाता है वो वहां पर काम नहीं कर पाता या तो वो छोड़कर भाग आता है या फिर अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है ।तुम से पहले भी बहुत से अफसर वहां गये है लेकिन कोई भी वहां टिक नहीं पाया।""""
""""सर आप किसी बात की चिंता ना करें । मैं यह सब चीजों में भरोसा नहीं करता हूँ। ऐसा कुछ भी नहीं जो साइंस से ऊपर है। मैं कल ही अपने पूरे स्टाफ के साथ उस जगह चला जाता हूं और काम देखकर आप को फोन पर बता दूंगा कि वो कितने दिन में हो जाएगा।""""
अमन दूसरे दिन ही अपने कुछ स्टाफ के साथ नवलगढ़ जाने निकल चूका था। वह इस ट्रैन से अकेला जा रहा था। उसने अपने स्टाफ को दूसरी गाड़ियों से कंस्ट्रक्शन का सामना देकर पहले ही रवाना कर दिया था । क्यूंकि रात काफी हो गई थी इसलिए उसको हल्का सा डर महसूस हो रहा था। अमन ने फिर से डिब्बे से झांक कर देखा । कुंवर पुर स्टेशन आ गया था ।उसने अपने फोन पर समय देखा रात के नौ बज चुके थे ।अमन ने सोचा कि गाड़ी समय पर ही है ।शायद साढ़े ग्यारह बजे के आसपास वो नवलगढ़ पहुंच जाएगा ।
तभी अमन ने जैसे ठंड की वजह से अपने दोनों हाथों को मसला तो उसे महसूस हुआ कि उसके नाखून बढ़े हुए हैं तो उसने अपनी शेविंग किट से नेलकटर निकाला और नाखून काटने लगा।तभी वो लड़की एकदम से बोली, -
""""ना बाबू सा ।थेह यो के करयो हो ।रात होते पीछे नाखून ना काटया करो। म्हारी मां सा कहया करै थी के रात नै जो लोंगा नूह(नाख़ून)काटया करो ना तो उसके पाछै भूतनी लग जावे हैं।""""
अमन ने देखा वो लगातार एक ही दिशा में देख रही थी जैसे कहीं खो सी गई हो।अमन ने उसकी तरफ देखते हुए कहा,
""""क्या नाम है तुम्हारा ? और कहां जा रही हो ? तुम्हें डर नहीं लगता जैसे तुम खिड़की से लटक गयी थी गिर जाती तो?""""
"""" मुझे लोग भंवरी के नाम से जानते थे। अब तो नाम मिट ही गया है बस साया शेष रह गया है। """"
"""" थे? थे मतलब?""""
""""मतलब इस परदेस में अब मुझे कोई कहाँ जनता है। ... """" वह औरत अपने माथे पर हाथ टेककर फिर से एक ही दिशा में घूरने लगी।
रात के साढ़े नौ बज गये थे ।अमन हल्का फुल्का नाश्ता साथ लाया था उसने बैग में से बिस्कुट और नमकीन निकालें और औपचारिकता वश उसने भंवरी को कुछ बिस्कुट और नमकीन प्लेट में डालकर दी ।वो तो खा रहा था लेकिन भंवरी ने उसे छूआ तक भी नहीं।
अमन ने पानी पिया और थोड़ी देर अपनी सीट पर कम्बल ओढ़कर लेट गया।उसने भंवरी को भी ऊपर सीट पर बैठने को बोला। लेकिन उसने मना कर दिया।
अमन देख रहा था भंवरी वैसे तो एक सम्पूर्ण औरत लग रही थी लेकिन। फिर भी कही कुछ कमी सी लग रही थी उसमे..
क्या चीज़ ऐसी है जो भंवरी को औरत से अलग रूप दे रही थी जबकि उसने सारा श्रृंगार औरतों जैसा कर रखा था । बहुत देर सोचने के बाद उसने जाना……. हां उसकी आवाज ……उसकी आवाज में वो कोमलता नहीं थी जो औरतों के लहज़े में होती है।
उसकी आवाज मर्दाना लग रही थी ।
अमन को लेटे अभी दस मिनट भी नहीं हुई थी तभी उसे बहुत ज्यादा ठंड का अहसास हुआ ।उसने देखा खिड़की हल्की सी खुली हुई थी ।वो जैसे ही खिड़की बंद करने के लिए उठा और पीछे जहां भंवरी बैठी थी उधर देखा तो हैरान रह गया क्योंकि वहां वो थी ही नहीं ।इतनी जल्दी वो कहां चली गयी ।अभी तो कोई स्टेशन भी नहीं आया है ।अमन दौड़कर दरवाजे के पास आया और सिटकनी खोलकर बाहर झांक कर देखा ।वो दूर दूर तक कही भी नहीं थी ।अमन वापस आकर सिटकनी बंद करके अपनी सीट पर बैठा ही था कि थोड़ी देर बाद उसे कुछ याद आया तो उसे करेंट सा लगा।
ऐसा क्या देख लिया था अमन ने भंवरी में जो वह इतना डर गया? क्या ट्रैन से ही वह हवेली अमन को वापिस लौट जाने का सिग्नल दे रही थी? कौन थी भंवरी और अचानक से चालू ट्रैन से गायब कैसे हो गई? क्या होगा अमन के साथ आगे - जानने के लिए क्लिक करे
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