#वसीयत....
एक घर मे तीन भाई और एक बहन थे...बड़ा और छोटा पढ़ने मे बहुत तेज थे। उनके मा बाप उन चारो से बेहद प्यार करते थे मगर मझले बेटे से थोड़ा परेशान से थे।
बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया।
छोटा भी पढ लिखकर इंजीनियर बन गया। मगर मझला बिलकुल अवारा और गंवार बनके ही रह गया। सबकी शादी हो गई । बहन और मझले को छोड़ दोनों भाईयो ने Love मैरीज की थी।
बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी।
आखीर भाई सब डाक्टर इंजीनियर जो थे।
अब मझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी। बाप भी परेशान मां भी परेशान 😞
बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भैया से मिलती...मगर मझले से कम ही मिलती थी वह भी तब मिलती थी जब वह अचानक सामने आ जाता था...क्योंकि वह न तो कुछ दे सकता था और न ही वह जल्दी घर पे ही मिलता था।
वैसे वह दिहाडी मजदूरी करता था, पढ़ नहीं सका तो...नौकरी कौन देता। मझले की शादी कीये बिना बाप गुजर गये ।
माँ ने सोचा कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए अपने ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मझले की शादी करवा दी।
शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मझला बड़े लगन से काम करने लगा ।
दोस्तों ने कहा... ए चन्दू आज अड्डे पे आना मत भूलना समझे?
चंदू - आज नहीं फिर कभी आंउगा
दोस्त - अरे तू शादी के बाद तो जैसे बिबी का गुलाम ही हो गया?
चंदू - अरे ऐसी बात नहीं है कल मैं अकेला एक पेट था तो अपने रोटी के हिस्से कमा लेता था..अब दो पेट है आज
कल शायद और होगा...
घरवाले नालायक कहते हैं मेरे लिए चलता है.
मगर मेरी पत्नी मुझे नालायक कहे तो मेरी मर्दानगी पर एक भद्दा गाली होगी...क्योंकि एक पत्नी के लिए उसका पति उसका घमंड इज्जत और उम्मीद होता है। उसके घरवालो ने भी तो मुझपर भरोसा करके ही तो अपनी बेटी दी होगी...फिर उनका भरोसा कैसे तोड़ सकता हूँ । कालेज मे नौकरी की डिग्री मिलती है और ऐसे संस्कार मा बाप से मिलते हैं ।
इधर घरपे बड़ा और छोटा भाई और उनकी पत्नियां मिलकर आपस मे फैसला करते हैं की...और उनकी दोनों पत्नियां कहती है जायदाद का बंटवारा हो जाये क्योंकि तुम दोनों लाखों कमाते हो मगर मझला ना के बराबर कमाता है..अब तो उसकी शादी भी हो गई और कल बच्चे भी होंगे..और सब बैठकर हमारी कमाई ही खाएंगे ऐसा नहीं होगा।
जब बंटवारे की बात मां को पता चलती है तो मां उन्हें समझाती है मगर मां के लाख मना करने पर भी...बंटवारा की तारीख तय होती है ..बहन भी बंटवारे के दिन आ जाती है आ जाती है
मगर चंदू है की काम पे निकलने के लिए बाहर आता है। उसके दोनों भाई उसको पकड़कर भीतर लाकर बोलते हैं की आज तो रूक जा.. एक दिन काम पर नहीं जायेगा तो तेरा नुकसान क्या होगा? आज बंटवारा कर ही लेते हैं ,
चंदू मुस्कुराते हुए कहता है अरे बंटवारे में मेरी जरूरत क्यों है? कर लो ना बंटवारा...
वकील कहता है ऐसा नहीं होता साईन करना पड़ता है।
चंदू - तुम लोग बंटवारा करो मेरे हिस्से मे जो देना है दे देना..
मैं शाम को आकर अपना बड़ा सा अगूंठा चिपका दूंगा पेपर बंटवारे के काग़ज़ पर..
बहन गुस्से में कहती है अरे बेवकूफ ...तू गंवार का गंवार ही रहेगा..तेरी किस्मत अच्छी है की तूझे इतने अच्छे भाई और भैया मिलें है आज तो रूक जा...
मां- अरे चंदू आज रूक जा बेटा....
फिर बंटवारा शुरू होता है बंटवारे में कुल दस वीघा जमीन मे दोनों भाई 5- 5 रख लेते हैं ..
और चंदू को पुस्तैनी घर छोड़ देते है कि अचानक चंदू जोर से चिल्लाता है...
अरे???? फिर हमारी छुटकी का हिस्सा कौन सा है?
दोनों भाई हंसकर बोलते हैं
अरे मूरख...बंटवारा भाईयो मे होता है और बहनों के हिस्से मे सिर्फ उसका मायका ही आता है..
चंदू - ओह... अच्छा शायद पढ़ा लिखा न होना भी मूर्खता ही है.. ठीक है आप दोनों ऐसा करो..
मेरे हिस्से की वसिएत मेरी बहन छुटकी के नाम कर दो..
दोनों भाई चकित होकर बोलते हैं और तू??
चंदू मां की और देखके मुस्कुराके बोलता है मेरे हिस्से में मेरी माँ है न......😊
फिर मुस्कुराते हुए अपनी बिबी की ओर देखकर चंदू कहता है..क्यों चंदूनी जी...क्या मैंने गलत कहा?
चंदूनी अपनी सास से लिपटकर कहती है..इससे बड़ी वसिएत और क्या होगी मेरे लिए की मुझे मां जैसी सासु मिली और बाप जैसा ख्याल रखना वाला पति😊
बस येही शब्द थे जो बँटवारे को सन्नाटा मे बदल दिया था..
बहन दौड़कर अपने गंवार भैया से गले लगकर रोते हुए कहती है की..मांफ कर दो भैया मुझे... क्योंकि मैं समझ न सकी आपको... मुझे लगा पढ़ें लिखे लोग ही समझदार होते हैं 😞
चंदू - इस घर मे तेरा भी उतना ही अधिकार है जीतना हम तीनों का है...
पता है बहूएं कौन होती है? जैसे हमारी छुटकी यदि ससुराल में तो ए किसी कि बहू है मगर मायके में एक हमारी बहन है...
बहुओं को जलाने की हिम्मत किसी मे नहीं.. मगर फिर भी जलाई जाती है क्योंकि शादी के बाद हर भाई हर बाप उसे पराया समझने लगते हैं ..
अरे सांसें एक बार छोड़कर जाने के बाद वापस नहीं आती... मगर बहन तो तब तक आती रहेगी जब तक उसका मायका जिंदा है...
मेरे लिए तुम तीनों साथ में भाभी और छोटी बहू तुम सब मेरे बहुत अजीज हो चाहे पास रहो या दुर... बंटवारा बेजान चिजो की होती है... और तुम सब तो इस चंदू की जान हो ..
गर हर भाई और बाप ए कहे कि हमारी बेटी भले आपके घर की बहू है मगर पहले हमारी बहन हमारी बेटी ही रहेगी..तो कभी किसी कि हिम्मत नहीं होगी बेटी बहू को जलाने की उनपर हांथ उठाने की,
माँ का चुनाव मैंने इसलिए किया ताकी तुम सब हमेशा मुझे याद आओ...क्योंकि ये वही कोख है जहां हमने साथ साथ 9 - 9 महीने गुजारे थे...मां के साथ तुम्हारी यादों को भी मैं अपने पास रख रहा हूँ...
बंटवारा हम सब भाई बहनों का तो नहीं ना हुआ है? तुम सब जहां भी रहो आते रहना मां और मैं भी तुम लोगों के पास आते रहेंगे...
इतने में दोनों भाई दौड़कर मझले से गले मिलकर रोते रोते कहते हैं आज तो तू सचमुच का बाबा लग रहा है... हमें माफ़ कर दे चंदू 😞
सबकी सबकी आंखें नम थी....
फिर से तीनों भाई सब एक साथ फिर से रहने लगते है...
जानते हो साहेब...डिग्रीयां समझ देती है ज्ञान देती है, मगर संस्कार ..रिश्तों को हमेंशा एक धागे में पिरोकर सम्मानित रखती है 😊
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