" बहू आज मेरी किटी है मेरी किटी की सहेलियां आएगी सब इंतज़ाम अच्छे से होना चाहिेए खाने पीने के सामान में कोई कमी नहीं रहे और हां गंवारो की तरह कपड़े पहनकर ना आना उन लोगों के सामने तुम यह जो छः मीटर का कपड़ा लपेटे रहती हो वह न लपेट लेना। तुम साड़ी पहनकर उन लोगों के सामने नहीं आओगी उन लोगों की बहूएं मार्डन कपड़े पहनती हैं अगर तुम साड़ी लपेटकर आ जाओगी तो वह लोग मेरा मज़ाक उड़ाएगी। इसलिए तुम भी मेरी सहेलियों के सामने मार्डन कपड़े ही पहनकर आना मेरी बात कान खोलकर सुन लो उन लोगों के सामने ऐसा कोई काम न करना जिससे उन लोगों को यह पता चले कि,तुम एक गंवार हो"। प्रेरणा की सास ने व्यंग्यात्मक लहजे में उससे कहा।
" मम्मी जी मेरे पास मार्डन कपड़े नहीं हैं" प्रेरणा ने धीरे से कहा
" मैंने तुम्हें लाकर दिया तो था वह कहां गया" प्रेरणा की सास वीणा ने गुस्से में पूछा।
" मम्मी जी मैंने वह सभी कपड़े सोनिया दीदी को दे दिया था क्योंकि मुझे वह कपड़े पहनने ही नहीं थे" प्रेरणा ने डरते हुए नज़रें झुकाकर कहा।
" अब तो समय भी नहीं है कि, मैं बाज़ार जाकर तुम्हारे लिए कपड़े लेकर आऊं हे भगवान मैंने ऐसा क्या पाप किया था कि, मुझे ऐसी गंवार बहू मिली मेरे तो पढ़े-लिखे बेटे का जीवन ही बर्बाद हो गया। पता नहीं प्रभास के पापा को इस लड़की में क्या दिखाईं दिया जो इस लड़की को अपनी बहू बनाकर ले आए" वीणा जी गुस्से में बड़बड़ा रहीं थीं।
अपनी सास की बात सुनकर प्रेरणा की आंखों में आसूं आ गए। उसने कहा कुछ नहीं चुपचाप वहां से जाने लगी तभी उसकी नज़र अपने ससुर पर पड़ी वह शाय़द दरवाजे पर खड़े होकर अपनी पत्नी की बात सुन रहें थे। वीणा जी की नज़र भी जैसे ही अपने पति पर पड़ी वह सकपका गई।
प्रेरणा के ससुर प्रकाश जी कुछ कहते उससे पहले ही दरवाज़े की घंटी बज गई। वीणा जी ने कहा", लगता है मेरी किटी की सहेलियां आ गई उन्होंने जानबूझकर प्रकाश जी से कहा जिससे वह बात को आगे न बढ़ाएं।
प्रकाश जी भी वहां से चले गए क्योंकि बाहरी लोगों के सामने वह कोई हंगामा नहीं करना चाहते थे। वीणा जी ने दरवाजा खोला तो वहां उसकी किटी की सहेलियां खड़ी हुई थीं, वीणा उन्हें देखकर खुश हो गई उन्हें अन्दर लेकर आई।
घर की सजावट देखकर उनकी एक सहेली ने पूछा " मिसेज पांडे घर का डेकोरेशन तो बहुत अच्छा लग रहा है"?
" हां मिसेज मेहता यह मेरी पसंद से हुआ है इसलिए अच्छा तो रहेगा ही" मिसेज पांडे , वीणा जी ने गर्व से कहा।
सभी किटी की औरतें अपने अपने घर परिवार की बढ़ाई करने में लगी हुई थी। वीणा जी भी अपने पसंद और अपनी काबिलियत का बखान करने में लगी हुई थी।
तभी मिसेज मेहता ने पूछा" मिसेज पांडे आपकी बहू नहीं दिखाई दे रही है क्या आप उसे हम लोगों से मिलवाना नहीं चाहतीं"?
मिसेज मेहता की बात सुनकर वीणा जी को न चाहते हुए भी प्रेरणा को वहां बुलाना पड़ा। प्रेरणा ने शिफाॅन की साड़ी पहनी हुई थी और अपने लम्बे बालों की चोटी गूंथती हुई थी।
प्रेरणा को साड़ी पहने देखकर सभी औरतें एक-दुसरे का मुंह देखकर मुस्कुराने लगी। वीणा जी ने सभी के चेहरों की मुस्कुराहट देखकर प्रेरणा को घूरने लगी।
उन औरतों में से एक ने कहा" अरे वीणा जी आपकी बहू अभी भी पुराने जमाने के कपड़े पहनती है या तुम उसे दबाकर रखती हो स्वयं तो मार्डन कपड़े पहनती हो और बहू को साड़ी पहनने के लिए मज़बूर करती हो" ।
" आप कैसी बातें कर रही हैं मिसेज पाठक मैं आपकी तरह दोहरा व्यक्तित्व नहीं रखती मैंने बहू पर कोई पाबंदी नहीं लगाई है आपकी बहू की तरह मेरी बहू भी गंवारो की तरह रहना पसंद करती है।आज उसके कारण मुझे तुमसे ऐसी बातें सुननी पड़ रही हैं। वरना किसी की क्या मजाल की मुझे कुछ कहें आप इस समय मेरे घर पर हैं इसलिए मैं चुप हूं नहीं तो मुझे भी जवाब देना अच्छी तरह आता है" वीणा जी ने गुस्से में कहा।
" अरे छोड़ो तुम लोग भी क्या बात लेकर बैठ गई वीणा जी की बहू चाहे जो पहने उसकी मर्ज़ी इस पर बहस करने क्या जरूरत है" मिसेज वर्मा ने कहा।
मिसेज वर्मा की बात सुनकर सभी ने उसका समर्थन किया और फिर आपस में हंसी-मजाक होने लगा। वीणा ने संगीत लगा दिया और सभी नृत्य करने लगी किटी पार्टी शाम छः बजे तक चली। उसके बाद सभी किटी मेम्बर वहां से चलीं गईं।
अपनी सहेलियों के जाने के बाद वीणा जी ने अपनी बहू प्रेरणा को गुस्से में आवाज लगाई "प्रेरणा यहां आओ"??
प्रेरणा अपनी सास के सामने आकर खड़ी हो गई फिर डरते हुए धीरे से पूछा ", जी मम्मी जी क्या बात है आपने मुझे क्यों बुलाया है"??
" तुमने कसम खा ली है क्या कि, मेरी लोगों के सामने बेइज्जती करवाती रहोगी"? वीणा जी ने गुस्से में दांत पीसते हुए पूछा।
" मम्मी जी मैंने आपकी बेइज्जती कहां की है मैंने तो आप की सहेलियों के सामने कुछ कहा भी नहीं तब अब ऐसा क्यों कह रहीं हैं"?? प्रेरणा ने धीरे से डरते हुए पूछा।
" इतनी भोली बनने की जरूरत नहीं है तुम्हारे पहनावे को देखकर मेरी सहेलियों ने मेरा कितना मज़ाक उड़ाया तुम्हें पता भी है और तुम कह रही हो कि, तुमने कुछ किया ही नहीं"?? वीणा जी ने चिल्लाते हुए कहा।
" मम्मी जी साड़ी पहनने से आपकी बेइज्जती हुई यह बात मेरी समझ में नहीं आई मुझे साड़ी पहनना पसंद है मैं अपनी भारतीय संस्कृति को पसंद करतीं हूं मुझे पाश्चात्य संस्कृति का पहनावा नहीं पसंद है" प्रेरणा ने परेशान लहज़े में कहा।
" तुम मम्मी से ज़बान लड़ा रही हो"? उसके पति प्रभास ने घर के अंदर आते हुए कहा
" मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा मैं तो मम्मी जी से इतना कह रही थी कि,•••••• प्रेरणा की बात को काटते हुए प्रभास ने कहा चुप करो वैसे तो बहुत संस्कारी बनती हो और जब बड़ों को जवाब देती हो तो तुम्हारा संस्कार कहां चला जाता है"? प्रभास की बात सुनकर प्रेरणा की आंखों में आसूं आ गए।
प्रेरणा के आंसू देखकर वीणा जी ने कहा" फिर शुरू हो गया इसका तिरिया चरित्र"
" तुम मां बेटे हमेशा प्रेरणा का अपमान क्यों करते रहते हो मैंने तुम लोगों को कितनी बार समझाया है कि, अपनी हरकतों से बाज़ आ जाओ वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। प्रेरणा गंवार नहीं है पढ़े-लिखे गंवार तुम दोनों हो मैंने जानबूझ कर प्रेरणा को अपनी बहू बनाया है। जिससे मेरी आने वाली पीढ़ियों को भारतीय सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान हो सके,
तुम दोनों ने तो अपनी भारतीय संस्कृति को ताख पर रख दिया है।तुम दोनों स्वयं गलत हो और गलत प्रेरणा को ठहरा रहे हो आज के बाद अगर तुम दोनों ने प्रेरणा का अपमान किया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा" प्रेरणा के ससुर प्रकाश जी ने गुस्से में कहा और वहां से चले गए।
प्रभास और वीणा जी ने जलती निगाहों से प्रेरणा को देखा और वह लोग भी वहां से चले गए।
प्रेरणा आंखों में आसूं लेकर वहीं खड़ी रही उसकी समझ में यह नहीं आ रहा था कि, उसकी गलती क्या है जो उसकी सास और पति उससे नाराज़ रहतें हैं।यही सोचते हुए प्रेरणा रसोईघर में चली गई।
" प्रेरणा कहां हो यहां आओ" प्रभास ने प्रेरणा को आवाज लगाई प्रेरणा दौड़ती हुई आई," क्या बात है आपने मुझे क्यों बुलाया है"? प्रेरणा ने पूछा।
" कल मैं अपनी तरक्की के उपलक्ष्य में एक पार्टी दे रहा हूं वहां बहुत बड़े बड़े लोग आएंगे विदेशी लोग भी वहां होंगे पार्टी फाइव स्टार होटल में है वहां तुम्हारा रहना आवश्यक है इसलिए तुम्हें भी वहां चलना पर तुम वहां साड़ी पहनकर नहीं चलोगी वहां पहनकर जाने के लिए मैं तुम्हारे लिए यह ड्रेस लाया हूं तुम्हें वही पहनकर चलना होगा" प्रभास ने प्रेरणा को एक पैकेट देते हुए कहा।
प्रेरणा ने वह पैकेट अपने हाथ में लिया और उसे खोलने लगी तभी फोन की घंटी बज उठी सब का ध्यान उधर चला गया। प्रेरणा ने पैकेट रख दिया और फोन उठाया उधर से उसकी मां की आवाज आई,वह कह रहीं थीं कि, तुम्हारे पापा की तबीयत ख़राब है वह तुमसे मिलना चाहते हैं।
अपनी मां की बात सुनकर प्रेरणा घबरा गई और उसने अपनी सास को अपने पिता की तबीयत के बारे में बताया और कहा कि,वह अपने मायके जाना चाहती है। वीणा जी उसे मना करती उससे पहले ही प्रकाश जी ने कहा "प्रेरणा इसमें पूछने की क्या बात है तुम जाओ तुम्हारे पापा तुमसे मिलना चाहते हैं"
अपने ससुर की बात सुनकर प्रेरणा अपने मायके जाने की तैयारी करने लगी उसका मायका उसी शहर में था उसने प्रभास से कहा कि,वह कल पार्टी में जाने से पहले यहां आ जाएगी।
उसके बाद प्रेरणा अपने मायके जाने के लिए निकल गई। अपने माता-पिता से मिलने के बाद प्रेरणा बहुत खुश हुई। प्रेरणा को देखकर उसके पापा की तबीयत में सुधार होने लगा प्रेरणा भी अपने माता-पिता के पास आकर बहुत सुकून और शांति महसूस कर रही थी।
दूसरे दिन प्रेरणा के पापा की तबीयत कुछ ठीक थी प्रेरणा ने प्रभास को फोन करके कहा कि,वह सीधे होटल आ जाएगी। प्रभास ने कहा कि, तुम ड्राईवर के साथ होटल आ जाना और वही ड्रेस पहनकर आना जो मैंने तुम्हें कल लाकर दिया था।
प्रेरणा अपने पापा को डाक्टर को दिखाने के बाद अपनी ससुराल चली गई घर में कोई नहीं था सब लोग होटल जा चुके थे। प्रेरणा भी तैयार होने के लिए अपने कमरे में गई उसने जब अपनी ड्रेस देखी तो वह चौंक गई वह एक गाउन था जो बैकलेस था प्रेरणा ने उसे बेड पर फेंक दिया और अपनी अलमारी से एक कांजीवरम की साड़ी निकाली, साड़ी क्रीम कलर की थी और उसका बार्डर मैरून रंग का था प्रेरणा ने वही साड़ी पहनी अपने लम्बे बालों का ढ़ीला जूड़ा बनाया गले मैं मैरून रंग का जड़ाऊ हार और हाथों में जड़ाऊ कंगन पहने माथे पर मैरून रंग की बड़ी बिंदी और होंठों पर मैरून रंग की लिपस्टिक लगाई।
जब प्रेरणा ने तैयार होकर स्वयं को शीशे में देखा तो स्वयं को देखकर शरमा गई। तभी उसका फोन बज उठा प्रेरणा ने फोन उठाया फोन प्रभास का था। " कहां हो कब तक होटल पहुंच रही हो" प्रभास ने गुस्से में पूछा।
" मैं तैयार हो गई हूं अब घर से निकल रहीं हूं मुझे होटल पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा" प्रेरणा ने कहा।
प्रेरणा फोन रखने के बाद प्रेरणा होटल के लिए निकल पड़ी कुछ समय बाद उसकी कार सड़क पर दौड़ने लगी थोड़ी देर बाद ही कार होटल के कम्पाऊण्ड में खड़ी हुई थी।
कार से उतरकर प्रेरणा सीधे अंदर पहुंचीं वहां सभी लोग आ गए थे जैसे ही प्रभास की नज़र प्रेरणा पर उसके चेहरे पर क्रोध के भाव दिखाई देने लगे वीणा जी भी वहां आ गई और फुसफुसा कर बोली" तुम्हें हमारी बेइज्जती करवाने में इतना मज़ा क्यों आता है।अब सभी लोग मेरे बेटे का मज़ाक उड़ाएंगे कहेंगे कहां की गंवार आ गई है"
तभी विदेश से आए हुए व्यक्तियों ने पूछा "मिस्टर प्रभास आप की वाइफ अभी तक नहीं आई कहां रह गई हैं यहां मेरी वाइफ मारिया उनसे मिलने के लिए बहुत एक्साइटेड हैं"
प्रभास ने अपने चेहरे पर नकली मुस्कुराहट लाते हुए कहा, " मिस्टर डेविड यह है मेरी पत्नी मिसेज प्रेरणा"
" वाउ इंडियन ब्यूटी आपकी पत्नी तो बहुत ही सुन्दर हैं मिस्टर प्रभास" मारिया ने कहा,
पार्टी के सभी लोग प्रेरणा के आसपास इक्कठे हो गए और प्रेरणा की साड़ी उसके पहनावे और श्रृंगार की प्रसंशा करने लगे।
तभी एक महिला ने वीणा जी से कहा" वीणा जी आपने आज तक अपनी बहू से हमें नहीं मिलवाया आज पता चला कि,आपने उसे हमसे क्यों नहीं मिलवाया वह इतनी सुन्दर है कहीं हमारी नज़र ना लग जाए" वीणा जी उस महिला की बात सुनकर गर्व से मुसकुरा उठी,
वहां उपस्थित सभी लोग प्रेरणा की तारीफ करते रहे तभी वहां शहर के मेयर मिस्टर राहुल आ गए बात चीत के दौरान जब उन्हें पता चला कि, प्रेरणा ने हिंदी में पीएचडी किया है तो उन्होंने खुश होकर प्रेरणा के ससुर प्रकाश जी से कहा
" प्रकाश तुमने कभी बताया नहीं की तुम्हारी बहू हिन्दी में पीएचडी है? मुझे अपने कालेज के लिए एक हिंदी की प्रवक्ता की आवश्यकता है क्या प्रेरणा बेटी मेरे कालेज में प्रवक्ता की नौकरी करेंगी"? मेयर साहब की बात सुनकर प्रेरणा के चेहरे पर आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी दिखाई देने लगी।
मेयर साहब की बात सुनकर वीणा और प्रभास के चेहरे पर भी गर्व की मुस्कुराहट फ़ैल गई।
तभी वहां प्रकाश जी आ गए और उन्होंने व्यंग भरी आवाज में कहा क्या हुआ वीणा आज तुम्हारे चेहरे पर प्रेरणा के लिए गुस्सा और नफ़रत नहीं दिखाई दे रही है और प्रभास तुम्हें आज प्रेरणा एक गंवार नहीं लग रही है।आज यह चमत्कार कैसे हो गया अपने पिता की बात सुनकर प्रभास ने शरम से अपनी नज़रें झुका ली और वीणा के चेहरे पर भी शर्मिंदगी के भाव दिखाई देने लगे।
"मुझे माफ़ कर दो प्रेरणा बेटा हम लोगों के चेहरे पर पाश्चात्य संस्कृति का पर्दा पड़ा हुआ था जो आज उतर गया। हमें तुम पर नाज़ है और मैं भी खुश हूं कि,प्रभास के लिए उसके पापा ने इतनी सुन्दर और संस्कारी लड़की ढूंढ़ी" वीणा जी ने हंसते हुए प्रेरणा से कहा।
प्रभास बहुत प्यार से प्रेरणा को देख रहा था प्रेरणा की नज़र जब प्रभास पर पड़ी तो उसे अपनी ओर देखता पाकर प्रेरणा ने शरमा कर अपनी नज़रें झुका ली।
प्रकाश जी अपने परिवार को एकजुट होता देखकर खुशी से उन्हें देख रहे थे उनके चेहरे पर गर्वीली मुस्कान फ़ैल गई।
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