ओहो... आप आज आ गईं.

" ओहो... आप आज आ गईं... ?

मेरी प्यारी ननद रानी आने से पहले फोन कर देती तो.. !"


"उफ्फ... आज मैं छाता नहीं लाई हूँ और आज ही लगता है किसी ने आसमान में छेद कर दिया है। इतनी बारिश हो रही है !"


उर्मि ने स्वाति से कहा।


रोज़ की तरह यह भी एक आम दिन था। ऑफिस पाँच बजे बंद होता था, सो सब साढ़े चार बजे से ही अपना सामान चुपके चुपके समेटने लगते थे। उर्मि ने एक दिन स्वाति से कहा भी था कि,


"हम महिलाएँ जल्दी घर जाना चाहती हैँ क्योंकि हमें घर जाकर सैकड़ों काम करने होते हैँ, पर ये पुरुष घर जाकर ऐसा क्या पहाड़ उखाड़ लेते होंगे जो इनको जाने की इतनी जल्दी होती है। जाकर बीवी से चाय बनवाएंगे फिर आराम से सोफे पर पैर पसारकर बैठकऱ टी. वी. देखेंगे।


और...


 बहुत हुआ तो एहसान जताते हुए सब्जी वगैरह ला देंगे। और... अगर बीवी गलती से कामकाजी हुई तो उससे यह उम्मीद की जाएगी कि शाम को ऑफिस से लौटते हुए सब्जी भाजी के साथ घर की ज़रूरतों का और सामान भी लेती आएँ !"


आज उसी बात को याद करके स्वाति हँसते हुए उर्मि से बोली,


"देख ना उर्मि ! आज बाहर इतनी बारिश हो रही है इसलिए आज किसीको घर जाने की जल्दी नहीं है !"


पर... आज उर्मि को हंसी नहीं आई। उसे चिंता हो रही थी आज अगर ऑफिस से घर जाने में देरी होगी तो घर के काम तो बढ़ ही जायेंगे साथ ही डॉली दीदी अपने तानों की तो बरसात अलग से कर देंगी।


और तो बच्चों की तबियत ख़राब हो जाने की वजह से आलरेडी इस महीने तीन छूट्टी ले चुकी थी। आज सुबह उसने अम्मा जी की बात तो टाल दी थी कि घर की बेटी आई है कम से कम आज तो छुट्टी ले ले।


अब उर्मि भी क्या करे.... ?


डॉली बगल के शहर बड़ोदरा में ही तो रहती है। सबका तर्क है कि भोपल से बड़ोदरा बताकर क्या आना।और अपने आने का दिन समय कभी बताकर इसलिए नहीं आती कि अपने घर कोई बताकर आता है क्या ?


उसकी इस बात पर अम्मा जी की भी मुहर लग जाती थी तब उर्मि दबी ज़ुबान से आवाज़ में भरसक मिठास लाते हुए इतना ही कहती कि,


"डॉली दीदी अगर बताकर आया करें तो हम पहले से कुछ तैयारी करके रखें !"


इस बात पर माँ बेटी दोनों भड़क उठती थी। उनके अपने तर्क थे कि,


"ज़ब बताकर ही आना है तो मायका कैसा ? भला अपने घर भी कोई बताकर आता है ?


वैसे उर्मि यह बात अच्छे से जानती थी कि अम्मा को पता रहता था कि उनकी लाडली आनेवाली है। फोन पर दीदी अम्मा को बता देतीं थी और अम्मा कभी मिठाई, पनीर ज़्यादा मंगवाकर रख लेती थी. पर घर, ऑफिस और बच्चों में अति व्यस्त रहनेवाली उर्मि को इसका पता नहीं चल पाता था।


उर्मि एक आम मध्यम परिवार की मिडिल एज्ड आम महिला जिसकी सुबह की चाय का एक एक घूंट भी समय से बँधा होता है और बच्चों का टिफिन तैयार करते खुद अपने और पति के दफ्तर की तैयारी से घर से निकलने तक एक बार आइना तक देखने का समय नहीं होता था। अगर किसी दिन साढ़े पाँच की जगह छे बजे उठ जाती तो या तो अपनी सुबह की चाय छोड़नी पडती या ब्रेकफास्ट छोड़ना पड़ता। और तो और कभी कभी बिना आयरन किया हुआ झोले जैसा कोई कुरता और प्लाज़ो डालकर निकलना पड़ता था।


उर्मि के दोनों बच्चे भी अब तक स्कूल से आकर खाना खाकर आराम करके माँ का इंतजार कर रहे होंगे। एक एक करके सभी स्टाफ जाने लगे तो उर्मि भी अब उठने का उपक्रम करने लगी। बारिश पूरी तरह रुकी नहीं थी। बूंदाबूँदी अभी भी हो रही थी। उर्मि को अब घर पहुँचने की जल्दी थी।


किसी तरह आटो करके घर पहुँची तो दोनों बच्चे घर के बाहर दालान पर ही खेल रहे थे। उर्मि फिर उनके स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित थी।


अंदर के कमरे में डॉली दीदी और माँ खुसर पूसर कर रही थी जो उर्मि के आते ही चुप हो गई थी। यह देखकर उर्मि का मन एकदम क्षुब्ध हो उठा।


किसी तरह कपड़े बदले, फिर रसोई में गई। अम्मा जी को चाय पिलाकर दोनों बच्चों को गरमगरम पास्ता बनाकर दिया। डॉली दीदी को पूछने गई कि वह चाय के साथ क्या लेंगी तो व्यंग्यवानों से उन्होंने उर्मि का कलेजा छलनी कर दिया।


"हम तो फालतू लोग हैँ, किसीको समय कहाँ है हमसे मिलने का। आज भी ऑफिस जाना ज़रूरी था क्या ?"


बड़ी मुश्किल से मनाया उर्मि ने फिर सबके लिए पकौड़े बनाकर ले आई। अपने लिए कॉफी बनाते हुए सोचने लगी कि शादी के पहले वह कितना भीगती थी बारिश में... और कितना तो ख़ुश रहती थी। पर अब..... ?


तो जैसे यह सपने की बात हो गई है।


अचानक उर्मि के मन में क्या आया वह बच्चों से बोली... "चलो ज़रा भीगते हैं आज बारिश में !"


बच्चों को यकीन नहीं आया कि मम्मी आज क्या कह रही है....


थोड़ी देर में विकास ऑफिस से आने पर देखता क्या है कि उर्मि किशोरी बालिका की तरह पानी में भीगकर नाच रही थी। कितनी चंचल... कितनी उन्मुक्त। अपना बैग रखकर विकास भी उनमे शामिल हो गया।


इधर डॉली और सासु माँ आज एक नई उर्मि को देख रहे थे। डॉली ने थोड़ी देर उनको देखा फिर खुद भी शामिल हो गई। बारिश के पानी में सारा गुस्सा और द्वेष जैसे घुलता जा रहा था।

(समाप्त )


The boy got off the train and turned towards the exit gate while walking on the platform, and his heart was shocked. There was a very beautiful girl standing near the exit gate, who smiled as soon as she saw her, then grew up to her.


"Hi ! "


"Hi ! "


"Wow, you are very handsome! "The girl held her hand saying.


*You yourself came here to receive me. Surprisingly * is ! "Guy spoke out of the exit gate.


"*meaning? "The girl shocked her face*.


*Are you Reema ji? "*


"*Who is Rima? I'm not Rima-insurance, I'm the limit. "*


*Hey, what are you talking about ! I* have your photo. Look at this.


"*Boy removed the pocket and forwarded the photo*.


"Oh, amazing ! This girl's face is similar to me? "She is a shock.


The boy stopped and *stared at the girl's face.


Said "Yes, it's true that there are many people in the world with the same face, but not sure in the same city••••••. "


"*Listen to me," the girl spoke after cutting the talk*


*I'm brand new in this city. Just arrived from yesterday's "* evening train. Staying at a hotel. *What a hotel man! Absolutely fuss class! *


You will be happy if you see. What a decoration, outside the rooms and inside the rooms too. What a great arrangement for bathing, drying clothes, eating and drinking etc! Need any stuff, call * immediately. There is also a TV0 in the rooms. Nothing gets bored. Let's sit there and talk. "


"*Are you mad? "Boy got rid of his hand* in a single blow" What's my work there? "


"G I'm not crazy, I'm callgirl. This is my profession. "Saying girl again holds her hand -" Come on! Your money won't cost. Don't be afraid... . -


Actually' my heart fell on you. You are very handsome! "


"No, I don't go anywhere. Let's go. He started leaving saying ".


The girl went ahead and held her hand again. She said in a way of convincing, "Assume it! Don't break my heart. "


The boy got stuck. He took out the mobile. Said "I say, let me go, otherwise I'll call the police. "


-"Ha ha ha••••• . "The girl laughs then laughs


He is gone. -


"*What are you laughing like this now! "Boy felt bad*.


*You passed my exam Dr. Rohan! "* *she said laughing" yes, I'm Dr. Rima. *


Mom and dad had seen you, but I did not. I had seen the photo, but I just don't talk to it.


Then I had to see something different. I called you by telling my parents.


If you would have been shaken today, I would have rejected you. Today I am very happy. *


Life partner should be like this. "


Boy was going to watch him out.


The girl said- "What are you looking at like this now? Let's sit in the car. There is my 'four-wheeler. "The boy grew up there with a smile.

Beautiful journey


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