आज अचानक से यूँ

आज अचानक से यूँ अपने मायके वाले शहर जाना हुआ। जब रास्ते में थी, तब मां को फोन लगाया यह बताने के लिए कि मैं थोड़ी देर बाद आपके पास आ जाऊंगी। पर खुद ही सरप्राइज हो गई जब पता चला कि मां तो पापा के साथ खुद अपने मायके गई हुई है।


नानी जी की तबीयत बहुत खराब है। मन उदास हो गया लेकिन फिर लगा कि भाई भाभी सब तो है कोई बात नहीं उनसे मिलना हो जाएगा। पर अब सफर में मन नहीं लग रहा था। बार-बार रह रह कर यही लग रहा था कि मुझे फोन करके आना चाहिए था। पर फोन भी क्या करती? अगर जरूरी काम नहीं होता तो आती ही नहीं। बुआ सास फी तबीयत अचानक से खराब हो गई और मम्मी जी का आना नहीं डुआ इसलिए मैं और अनुपम दोनों ही उनसे मिलने निकल गए। आखिर बुआ जी भी तो मेरे मायके वाले शहर में ही थी। 

सोचा था कि बुआ जी से मिलकर कुछ दिन मायके रह आऊंगी, पर...। खैर, अब तो निकल चुके थे तो पलट कर जाने का सवाल ही नहीं उठता और अनुपम से कह भी नहीं सकती थी कि मुझे मायके नहीं जाना। आखिर कहती भी क्या? भाई भाभीनेकभी गलत व्यवहार नहीं किया, पर फिर भी में अपने पूर्वाग्रहों से ्रसित थी। मुझे बहुत अजीब सा लग रहा था। ऐसा महसूस हो रहा था.कि मैं बिन बुलाए मेहमान बन गई हूं।

और पूर्वाग्रह से ग्रसित क्यों ना हो? मैंने कौन सा अपनी भाभी से कभी ठीक व्यवहार किया है। हमेशा तो उन्हें अपने से कमतर माना हैं। इसी उधेड़बुन में थी कि पता नहीं, भाई भाभी क्या सोचेंगे।

माँपापा तो है नहीं, पता नहीं मेरे साथ कैसा व्यवहार करेंग?? पर अब कुछ नहीं कर सकते थे, आखिर ससुराल में भी तो जोश जोश में कह कर आई थी 'औरों की बहुएं भी तो कुछ दिन मायके रूकती है तो मैं भी कुछ दिन मायके रहकर आऊंगी। 

करवाओ अपनी नयी बहू से काम जोश जोश में बोल तो दिया था, पर अब??? काश सोच कर बोला होता। पर करती भी क्या? ससुराल वालों की तो छोटी-छोटी बातें भी ताने ही लगती है। उस दिन जब सा माँ ने नयी देवरानी के लिए कहा, "नयी बहु के कामों में बहुत स्फूर्ति है

पता नहीं क्यों बर्दाश्त नहीं कर पाई और जोश-जोश में कुछ दिन मायके रहने की बात कह कर आ गईं। पर इस बार सासू मां ने ना रोका क्योंकि अब तो उनके पास काम करने के लिए नयी बहू आ चुकी थी, तो भला क्यों रोकती। क्यों अब मेरे नखरे उठाती? पर पता नहीं क्यों, देवरानी आने के बाद दिल में डर बैठ गया कि अब अपनी जगह संभालकर रखनी होगी। 

खैर, पूरे रास्ते यही उथेड़बुन चलती रही और मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। जब नींद खुली तो ट्रेन स्टेशन पर लग चुकी थी। हम दोनों ने अपना सामान लिया और आटो पकड़कर बुआ जी के घर की तरफ रवाना हो गए। सुबह से शाम तक हम लोग बुआ जी के घर पर ही रहे और उसके बाद मेरे मायके रवाना हो गए। वहां पहुंचे तो भाभी और दोनों बच्चे ही थे। 

भाई काम से बाहर गया हुआ था। भाभी ने हमारा आदर सत्कार किया और चाय नाश्ता पकड़ाकर हमारे पास ही बैठ गईं। वह मुझ से कम, लेकिन अनुपम जी से से बातें कर रही थी। सच, मुझे बुरा बहुत लग रहा था। आज समझ़ में आ रहा था कि अगर मां पापा नहीं रहे तो मेरा तो मायका ही खत्म हो जाएगा। 

क्योंकि भाई अकेला कब तक मुझसे बात कर लेगा। उसे तो काम पर भी जाना होगा, घर में तो भाभी ही रहेगी ना। रह रह कर याद आ रहा था भाभी का वह हंसता खिलखिलाता चेहरा जो उनकी शादी के बाद था। हर बात में वह मुझे ही सबसे पहले पूछती थी। पर पता नहीं क्यों? भाई की शादी होते ही मुझमें ननद वाली टेक क्यों आ गई? हर बात में सीधे मुंह तो उनसे बात करती ही नहीं थी। 

हर बात में रोकना टोकना करना। धीरे-धीरे उन्होंने ही मुझसे दूरी बना ली। पर इस बात का मुझे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा क्योंकि मायके में मांतो थी ही ना। में तो वैसे भी जब भी मायके आती थी तो मां के कमरे में ही बैठी रहती थी और मेरे सारे काम बैठे-बैठे ही होते थे। भाभी ही चक्करघिन्नी की तरह घूमती रहती थी। मां कई बार समझाती भी थी पर नहीं- मैं तो ननद हूंना। तभी बातों बातों में उन्हौंने बताया कि मा ने फोन करके बता दिया कि हम लोग आने वाले है। यह सुनकर और बुरा लगा। पहले जो भाई स्टेशन हमें खुद लेने आता था, वह भाई आज यह पता होने के बावजूद कि हम आने वाले है तो घर पर भी ना मिला। 

दिल मे उतनी हलचल मची हुई थी कि बेचारा दिल सकारात्मक तो कुछ सोचने को तैयार ही नहीं था। हो सकता है कि भाई को काम होगा, पर नही वह तो हर बात को नकारात्मक ही लिए जा रहा था। दिल इतना हैरान-परेशान उदास था कि उसे पास में खेलते छोटे छोटे भतीजे भतीजी में नजर नहीं आ रहे थे, जो हर बात में बुआ यह देखो, बुआ वह देखों कहकर अपने अपने खिलौने दिखाने में लगे हुए थे। थोडी देर बाद भाई भी घर पर आ गया। 

बातों ही बातों मे शायद वह मेरी मनोदशा जात चुका था, पर वह कुछ नही कर सकता था। उसकी कोई गलती ही नहीं थी । गलती हमेशा मेरी ही तो रही है। उसने शुरु शुरू में खूब समझाया था, पर तब मे यह समझने को तैयार नहीं थी। कई बार तो उससे लड पडती थी कि भाभी के आने के बाद तू बहुत बदल गया है जब मैं कुछ नहीं समझना चाहती, तो बेचारा भाभी को ही समझा देता था। कई बार तो भाभी ने बिना गलती के भी मुझ से माफी मांगी थी। पर आज मुझे अपनी हर गलती का एहसास हो रहा था कि "मेंतो ननद फी टेक में मैंने क्या क्या खो दिया। और शायद अगर अभी भी यही स़ब मेरे दिल में रहा तो जो बचा कुचा हैं उसे भी खो दूंगी। इतने में भाभी रसोई में रात के खाने की तैयारी करने चली गई। 

थोड़ी देर वही बैठने के बाद काफी सोच विचार कर में भी रसोई की तरफ जाने लगी। मुझे रसोई की तरफ जाता देखकर भाई ने पूछा, "अरे कुछ चाहिए तो भाभी ले आएगी" शायद भाई भी डर रहा होगा कि रसोई में जाकर ये भाभी से किसी बात पर झगड़ ना पड़े। "नहीं भैया, वो मैंयहां बैठी बोर हो रही थी तो सोचा भाभी की मदद कर दूी भाई एकटक मेरी तरफ देखता रहा, क्योंकि मुझासे उससे इस तरह के जवाब "नहीं भैया, वो मैं यहां बैठी बोर हो रही थी तो सोचा भाभी की मदद कर दूँ" भाई एकटक मेरी तरफ देखता रहा, क्योंकि मुझसे उससे इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं थी। 

फिर उसने कहा, "रहने दो, भाभी खुद कर लेगी। तुम आराम करो" शायद अब भाईं को भी मेरे ऊपर भरोसा नहीं था। क्योंकि कभी ऐसा नहीं हुआ कि मैंने भाभी की मदद की हो। उल्टा एक दो बार भाभी ने मदद के लिए कहा था तो उसके लिए भी मैंने घर में काफी हंगामा किया था। फिर मैंने हिम्मत करके कहा, "कोई बात नहीं भैया। कुछ मदद ना सहीं तो भाभी से ही बातें कर लूंगी" अनुपम जी के सामने भैया ने ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं समझा और वह चुप हो गए। और मैं चल दी रसोई की तरफ बचे कुचे रिश्ते को समेटने के लिए। जानती हूं, भाभी के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाया है तो शायद मन में पड़ी गॉठे पूरी तरह से खुले ना, पर कोशिशतो कर सकती हु.


Today suddenly went to my home town. Called mom while on the way to tell me I'll be back to you in a while. But she was surprised by herself when she came to know that mother has gone to her mother herself with her father. 

Grandma is very ill. My mind became sad but then felt that brother and sister-in-law are all there. No matter, I will have to meet her. But now I did not feel like traveling. Been over and over again feeling like I should have called and come. But what would the phone do? If the work is not necessary, then it would not come. 

Bua and mother-in-law suddenly got ill and mother did not come, so me and Anupam both went to meet her. After all, Bua ji was also in my mother's city. I had thought that I will come to my parents for a few days, but....। Well, now that we have left, there is no question of going back and could not even tell Anupam that I don't want to go to my home. What does she say after all? Brother and sister-in-law never misbehaved, but still I was obsessed with my prejudices. I felt so weird. It felt like I became an uninvited guest.

And why not suffer from prejudice? I have never treated my sister-in-law right. Always considered them less than me. I don't know what brother and sister-in-law would think about this. I don't know how they will treat me?? But now couldn't do anything, even in the in-laws had come saying 'others daughter-in-laws also stop for a few days, so I will also come back as my mother-in-laws. 

Get your new daughter-in-law work done' I had spoken with enthusiasm, but now??? I wish I had spoken after thinking. But what do you do? Even small things of in-laws are taunted. That day when sa mother said for the new Devrani, "There is a lot of inspiration in the works of the new daughter-in-law"

I don't know why I couldn't tolerate and came in enthusiasm saying about staying home for a few days. But this time mother-in-law did not stop because now she had a new daughter-in-law to work, so why would she stop. 

Why would you pick my tantrums now? But I don't know why, after Devrani came, there was fear in my heart that now I will have to hold my place. Well, it was a bump all the way and I didn't know when I fell asleep. 

When I woke up, the train was stationed. We both took our luggage and headed to Bua ji's house holding auto.

From morning to evening we stayed at Bua ji's house and after that my mother left. When they reached there, sister-in-law and both were children. Bro was out of work. 

Sister-in-law respected us and sat beside us by holding tea breakfast. She was talking less than me but nicely with Anupam ji. True, I was feeling very bad. Today I was understood that if my parents are no more then my mother will end. Cause bro how long will single talk to me. She has to go to work too, sister-in-law will stay at home.

I was remembering the smiling face of sister-in-law after her marriage. In everything she asked me first. But don't know why? Why did I get sister-in-law's tech when my brother got married? A straight mouth did not talk to her in everything. Stopping and biting in everything. Slowly they made me distance. 

But I didn't care much because there was a mother in my mother. I used to sit in my mother's room whenever my mother came and all my work was sitting. Sister-in-law used to roam like a Chakkaraghinni. Mother used to explain many times but no- I am sister-in-law. 

That's why she told me that mother called and told me that we are coming. This is even worse to hear. Earlier the brother who used to come to the station to pick us up himself, that brother today despite knowing that we are coming, he didn't even get at home. There was so much turbulence in the heart that the poor heart was not ready to think of anything positive. Maybe brother would have work, but no he was taking everything negative. 

Heart was so shocked and upset that she couldn't be seen playing nearby little nephews, showing off her toys by saying "Bua look at this, Bua look at that" After some time brother also came home. He might have known my mood in words, but he couldn't do anything. She was not at all fault. It has always been my fault. He explained a lot in the beginning, but I wasn't ready to understand it then. Many times I used to fight with her that you have changed a lot after sister-in-law came. 

When I didn't want to understand anything, I used to explain to my sister-in-law. Many times sister-in-law had apologized to me even without mistake.

But today I was realizing my every mistake that what I lost in the tech of "I am to sister-in-law". And maybe if it's still in my heart I'll lose what's left. Sister-in-law went to the kitchen to prepare dinner. After sitting there for a while, thinking a lot, I also started going to the kitchen. 

Seeing me going to the kitchen, my brother asked, "If you want something, sister-in-law will bring me"

Perhaps brother must be afraid that he might not fight with sister-in-law over anything after going to the kitchen.

"No brother, she was sitting here getting bored so I thought to help my sister-in-law" Brother once kept looking at me, because I didn't expect such a reply from her. Then she said, "Let it be, sister-in-law will do it herself. 

You rest" maybe even brother didn't trust me anymore. Because it never happened that I have helped sister in law. On the opposite one twice sister-in-law asked for help, so I had a lot of ruckus in the house for her too. Then I dared and said, "No problem brother. 

If there is no help, I will talk to sister-in-law only. Brother did not understand to say much in front of Anupam ji and he became silent. And I walked to the kitchen to wrap up the remaining crooked relationship. I know, if you hurt sister-in-law's self-esteem, then maybe the knots in my mind are not completely opened, but I can try. 


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