RRB book download free hindi English

रवि की जिंदगी में एक ऐसा दौर आया था जब उसका दिल किसी पर पूरी तरह से आ गया था। वह रिया थी, जो उसकी जिंदगी में एक खास जगह रखती थी। रिया और रवि के बीच जो रिश्ता बना, वह केवल दोस्ती तक सीमित नहीं रहा। दोनों के बीच एक गहरा लगाव था, और धीरे-धीरे यह रिश्ता शारीरिक और भावनात्मक रूप से गहराता चला गया।


रिया और रवि एक-दूसरे को "कोड नाम" से बुलाते थे। वह नाम उनके लिए खास था, एक ऐसी पहचान, जो दुनिया से छिपी हुई थी। जब भी रिया रवि को उस नाम से बुलाती, रवि के दिल में एक खास एहसास जगता। उनके बीच यह कोड नाम उनके रिश्ते की गुप्तता और व्यक्तिगतता को दर्शाता था।


समय के साथ, हालात बदल गए। रिया की शादी हो गई, और रवि ने खुद को अकेला महसूस करना शुरू किया। उसने सोचा था कि भले ही रिया की शादी हो गई हो, लेकिन उनके बीच का खास रिश्ता और वह कोड नाम हमेशा जिंदा रहेगा।


शादी के बाद, रिया ने रवि से पूरी तरह से बात करना बंद कर दिया। रवि को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि जो नाम कभी उसका था, अब रिया उसी नाम से अपने पति को बुलाने लगी थी। वह कोड नाम, जो कभी उनके बीच की पहचान थी, अब किसी और के लिए इस्तेमाल हो रहा था।


रवि को यह सब देखकर अजीब लगता था। उसे यह सोचकर तकलीफ होती थी कि रिया ने उसे पूरी तरह भुला दिया है, लेकिन फिर भी उस नाम का इस्तेमाल कर रही है। एक दिन, रवि ने साहस जुटाया और रिया को फोन किया। फोन बजता रहा, लेकिन रिया ने उठाया नहीं।


रवि के दिमाग में सवाल घुमने लगे—क्या रिया उसे भूल नहीं पाई है? क्या वह अभी भी उसे याद करती है, लेकिन बात नहीं करना चाहती? या फिर क्या वह केवल अपने नए जीवन में आगे बढ़ चुकी है और उस नाम का अब अलग मतलब है?


सच्चाई का सामना


कई दिनों तक रवि इसी उधेड़बुन में रहा। आखिरकार, एक दिन उसने रिया से आमने-सामने मिलने का फैसला किया। वह किसी तरह से रिया से मिलकर उसके मन की सच्चाई जानना चाहता था। एक छोटे से कैफे में दोनों की मुलाकात हुई। रिया ने रवि को देखा और एक ठंडी मुस्कान के साथ बैठ गई।


"रवि, मैं जानती हूँ तुम मुझसे सवाल पूछना चाहते हो," रिया ने शांत लहजे में कहा।


रवि की आवाज़ में हल्की थरथराहट थी, "तुम अभी भी मुझे उसी कोड नाम से बुलाती हो, लेकिन मुझसे बात क्यों नहीं करती? क्या तुम मुझे भूल नहीं पाई हो?"


रिया ने एक गहरी सांस ली और कहा, "रवि, वह नाम कभी सिर्फ हमारा था। वह मेरे लिए एक खास पहचान थी, एक ऐसी याद जो कभी नहीं मिट सकती। लेकिन अब मेरी जिंदगी बदल चुकी है। मैं शादीशुदा हूँ, और मेरे पति के साथ एक नया रिश्ता शुरू हुआ है।"


रवि ने अपनी बेचैनी को दबाते हुए पूछा, "तो फिर, तुम उस नाम का इस्तेमाल क्यों करती हो?"


रिया ने जवाब दिया, "वह नाम मेरे लिए अब भी खास है, लेकिन अब वह किसी व्यक्ति का नाम नहीं है, बल्कि एक एहसास का प्रतीक है। यह नाम अब मेरी नई जिंदगी का हिस्सा है। मैंने इसे अपने पति के साथ भी साझा किया है, क्योंकि मैं चाहती हूँ कि मेरे वर्तमान रिश्ते में भी वही विशेषता हो जो हमारे रिश्ते में थी।"


रवि चुप हो गया। उसे एहसास हुआ कि रिया ने अपने अतीत को पूरी तरह से छोड़ दिया है, लेकिन उस नाम के माध्यम से वह अपने नए जीवन में उसे एक नए रूप में जी रही है। रिया अब आगे बढ़ चुकी थी, और उसके लिए रवि से बात करना अब कोई मायने नहीं रखता था।


रवि की समझ


उस मुलाकात के बाद, रवि ने रिया के फैसले को स्वीकार किया। उसने समझा कि लोग अपनी जिंदगी में नए अध्याय शुरू करते हैं और पुराने रिश्तों को भले ही कभी पूरी तरह भुलाया न जाए, लेकिन उन्हें एक नए दृष्टिकोण से देखा जा सकता है।


रिया ने रवि को कभी नहीं भुलाया था, लेकिन उसने अपने अतीत और वर्तमान के बीच एक संतुलन बना लिया था। वह नाम, जो कभी उनके रिश्ते का हिस्सा था, अब रिया के नए रिश्ते का प्रतीक बन गया था।


रवि ने धीरे-धीरे इस सच्चाई को स्वीकार किया और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने का फैसला किया। वह जानता था कि उसके पास भी अपनी जिंदगी को फिर से संवारने का मौका है, और उसे अपने अतीत को पीछे छोड़कर नए सपनों की ओर देखना होगा।


निष्कर्ष

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी लोग अपने अतीत से जुड़े होते हैं, लेकिन उन्हें एक नए रूप में जीते हैं। अतीत की यादें हमेशा हमारे साथ रहती हैं, लेकिन हमें उन्हें एक नए संदर्भ में स्वीकार करना सीखना चाहिए। रिया ने अपने अतीत को अपनी वर्तमान जिंदगी में ढाल लिया था, और रवि ने भी यह समझा कि आगे बढ़ने का समय आ गया है।

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