राघव नाम का एक साधारण माली था, जो दिन-रात बगीचों की देखभाल करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। उसके पास संपत्ति या धन-दौलत नहीं थी, लेकिन उसके पास था अपने काम के प्रति सम्मान और अपने बेटे के लिए असीमित प्यार। राघव का बेटा आर्यन 11 साल का था और अपने स्कूल में अच्छे नंबर लाने के साथ-साथ सबका प्रिय भी था। लेकिन जीवन हमेशा खुशियों से नहीं भरा होता। एक दिन स्कूल से लौटने के बाद, आर्यन चुपचाप एक कोने में बैठा रो रहा था।
राघव ने अपने बेटे को कभी ऐसे रोते हुए नहीं देखा था। उसके दिल में बेचैनी बढ़ गई। वह पास जाकर उसके बगल में बैठा और धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, "क्या बात है, बेटे? क्यों रो रहे हो?"
आर्यन ने अपनी सूजी हुई आँखों से अपने पिता को देखा और दर्द भरे शब्दों में कहा, "पापा, आज मेरे अमीर सहपाठियों ने मेरा बहुत मज़ाक उड़ाया। उन्होंने मुझे माली का बेटा कहकर ताना मारा। वे कहने लगे कि हमारे पास पैसे नहीं हैं और हम केवल उन पैसों पर जीवित हैं, जो आप लोगों के पौधों की देखभाल करके कमाते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पिता केवल गंदा काम करते हैं, और मेरे पास उनके जैसा कोई बड़ा भविष्य नहीं होगा।"
आर्यन के शब्द सुनकर राघव के दिल में एक चुभन सी महसूस हुई, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को काबू में रखा। वह जानता था कि यह दुनिया केवल सफलता और संपत्ति की बाहरी परत को देखती है, इंसान की मेहनत और ईमानदारी को नहीं। राघव ने कुछ सोचा और फिर अपने बेटे के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "बेटा, चलो मेरे साथ, मैं तुम्हें कुछ सिखाना चाहता हूँ।"
राघव ने आर्यन को अपने छोटे से बगीचे में ले जाकर कुछ फूलों के बीज निकाले और उसके हाथ में रख दिए। फिर उसने कहा, "देखो बेटा, हम एक छोटा सा प्रयोग करेंगे। मैं एक फूल की देखभाल करूंगा और तुम दूसरे की। मैं अपने फूल को साफ झील के पानी से सींचूंगा, और तुम अपने फूल को तालाब के गंदे पानी से। कुछ दिन बाद हम देखेंगे कि कौन सा फूल बेहतर बढ़ता है।"
आर्यन ने हैरानी से अपने पिता की तरफ देखा। यह उसे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन वह जानता था कि उसके पिता के हर काम के पीछे कोई गहरी सोच होती है। उसने बिना किसी सवाल के बीज बो दिए और अपने फूल की देखभाल करने लगा। दिन बीतते गए, और दोनों ने अपने-अपने पौधों को सींचा, देखभाल की। आर्यन ने रोज़ तालाब से पानी लाकर अपने पौधे को दिया, जबकि राघव अपने पौधे को झील के साफ पानी से सींचता रहा।
कुछ दिनों बाद, राघव ने आर्यन से कहा, "चलो, अब दोनों फूलों को देखो और मुझे बताओ कि तुम्हारा फूल कैसा है।"
आर्यन ने उत्सुकता से देखा और हैरान रह गया। उसका फूल, जिसे उसने गंदे पानी से सींचा था, उसके पिता के फूल से ज्यादा सुंदर और स्वस्थ दिखाई दे रहा था। वह चकित होकर बोला, "पापा, यह कैसे हो सकता है? मैंने तो इसे गंदे पानी से सींचा था, फिर भी यह आपके फूल से ज्यादा अच्छा क्यों दिख रहा है?"
राघव ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिलकुल सही सवाल, बेटे। देखो, गंदा पानी पौधे को नुकसान नहीं पहुँचाता, बल्कि जैविक खाद की तरह काम करता है। यह पौधे को और भी मजबूती से बढ़ने में मदद करता है। जीवन में भी कुछ ऐसा ही होता है। जब लोग तुम पर नकारात्मकता फेंकते हैं, तुम्हें ताने देते हैं या तुम्हारे सपनों का मज़ाक उड़ाते हैं, तो वह गंदगी नहीं बल्कि तुम्हारी मजबूती का साधन बन जाती है।"
आर्यन ने अपने पिता की बात ध्यान से सुनी और उसकी आँखों में एक नई चमक आ गई।
राघव ने आगे कहा, "बेटा, यह दुनिया तुम्हें नीचा दिखाने की कोशिश करेगी। लोग तुम्हारे काम का मज़ाक उड़ाएंगे, तुम्हारी ईमानदारी और मेहनत को समझने की जगह उसे कमजोरी समझेंगे। लेकिन हमें यह तय करना होता है कि हम उनकी बातों को कैसे लेते हैं। उनका अपमान और ताने हमें रोक नहीं सकते, बल्कि हमें और भी मजबूत बना सकते हैं, जैसे गंदा पानी इस फूल को बड़ा और खूबसूरत बना रहा है।"
आर्यन अब समझ गया था कि जिंदगी में बाहरी बातों का असर उतना मायने नहीं रखता, जितना कि हमारी अपनी सोच और मेहनत करती है। उसने अपने पिता को गले लगाते हुए कहा, "पापा, अब मुझे उनकी बातों से फर्क नहीं पड़ता। मैं भी एक फूल की तरह अपनी परेशानियों से सीखूंगा और उनसे और भी बेहतर इंसान बनूंगा।"
राघव अपने बेटे के चेहरे पर आत्मविश्वास देखकर गर्व महसूस कर रहा था। उसने प्यार से कहा, "याद रखना, बेटा, नकारात्मकता और सकारात्मकता दोनों हमेशा रहेंगी। लेकिन तुम्हें यह चुनना है कि किसका असर तुम पर होने दो। जो लोग तुम्हें रोकने की कोशिश करते हैं, उनके कारण मत रुको, बल्कि अपनी मेहनत और ईमानदारी से आगे बढ़ते रहो।"
उस दिन के बाद से आर्यन ने नकारात्मक बातों पर ध्यान देना बंद कर दिया और खुद को एक बेहतर इंसान बनाने में जुट गया। वह समझ चुका था कि असली ताकत बाहरी चीज़ों में नहीं, बल्कि हमारे भीतर के आत्मविश्वास और मेहनत में होती है। और राघव ने अपने बेटे को सिखा दिया था कि जिंदगी में किसी की बातों का असर तभी होता है जब हम उसे होने दें।
सीख:
जीवन में हमें हमेशा नकारात्मकता का सामना करना पड़ेगा, लेकिन यह हम पर निर्भर करता है कि हम उसे कैसे लेते हैं। नकारात्मकता को अपने जीवन में बाधा न बनने दें, बल्कि उसे अपनी मजबूती का हिस्सा बनाएं। हर चुनौती हमें बेहतर बनाने का एक मौका देती है, और हर कठिनाई हमें फलने-फूलने में मदद करती है।
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