"ये फटीचर घर-जमाई नक्ष है ना? Netflix 2024 की सुपरहिट स्टोरी

"ये फटीचर घर-जमाई नक्ष है ना? इतनी महंगी गाड़ी में ये क्या कर रहा है, पक्का ड्राइवर होगा"... घर में सब नक्ष का मजाक उड़ा ही रहे थे तभी कुछ ऐसा हुआ कि सब दंग रह गए...


Chapter 1

नक्श हर रोज की तरह काम से बाहर निकल रहा था , तभी नक्श की सास चित्रा  ने कहा-

“नक्श … यह मेरी सहेली का सैंडल टूट गया है जरा इसको बनवाकर लाना…”

चित्रा की सहेली ने चौंकते हुए पूछा “चित्रा यह तो तेरा दामाद है ना, अनिका का हसबैंड? तो फिर इससे नौकरों जैसे काम क्यों करा रही है…?”

“इसे नौकर ही समझो…ऐसे गरीब फटीचर की यही औकात है।” चित्रा  ने जवाब दिया।

अपनी सासू मां के मुंह से अपने लिए ऐसी बाते सुनकर नक्श का दिल दुखी हो जाता है, लेकिन उसे ऐसी बाते रोज सुनने की आदत सी हो गई थी

नक्श ने झिझकते हुए कहा  “मां जी मैं अनिका की ज्वैलरी लाने रामनिक भाई ज्वैल के पास जा रहा था।”

चित्रा ने बेरहमी से नक्श पर चिल्लाते हुए कहा “shut up!! दुबारा अपनी गंदी ज़ुबान से मां जी मत बोलना ।

तभी चित्रा की सहेली ने पूछा-  “चित्रा, जब इससे इतनी नफरत थी, तो फिर अपनी बेटी अनिका की शादी इससे क्यों की?’

चित्रा बोली “ यह सवाल मुझसे नही, मेरे स्वर्गीय हसबैंड से पूछना था…”

नक्श कहने के लिए तो ज़वेरी परिवार का दामाद था,लेकिन इज़्ज़त एक भिखारी से भी बदतर थी। नक्श की बेइज्जती सिर्फ उसकी सास या साली ही नहीं, बल्कि उसकी बीवी अनिका भी करती थी। वो नक्श को बेइज्जत करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी।

''यह Driver कहाँ मर गया..? नक्श भी सुबह से गायब है.. काम के वक़्त पता नहीं यह सब कहाँ चले जाते है..'' बड़बड़ाते हुए अनिका ने आईने में देख कर जल्दी से अपने बालों को एक और बार संवारा और पीछे मुड़कर देखा.. तो वहां Driver की जगह उसका हसबेंड नक्श खड़ा था..|

अनिका ने उसे घूरकर देखा तो नक्श ने झिझकते हुए कहा, ''अनिका, मैं कल गया था रमणीक भाई Jewellers के पास.. लेकिन तुम्हारा सेट रेडी नहीं था.. उन्होंने कहा की शायद एक दो दिन और..'' इससे पहले की नक्श आगे कुछ कह पाता.. अचानक से Driver भागते हुए वहां आया और बोला.. ''सॉरी मैडम.. थोड़ा लेट हो गया..''|

ये सुनते ही अनिका आग बबूला होकर बोली.. "कोई काम एक बार में क्यों नहीं होता तुम लोगों से.. दिन भर बस टाइमपास करते रहते हो.. मजाल है जो तुम लोग कोई काम ढंग से पूरा कर दो.. बस बहाने बनाने आते है.. सब के सब एक जैसे हैं ..कामचोर..निक्कमे'' ये कहते हुए अनिका ने नक्श की और देखा और नक्श ने तुरंत ही अपना चेहरा नीचे कर लिया.. तभी ड्राइवर ने सर झुका कर धीमी आवाज़ में कहा.. ''सॉरी मैडम.. आगे से ऐसा नहीं होगा..''|

''हहह.. Sorry My Foot..'' यह कहने के बाद जैसे ही अनिका अपना Bag उठाने लगी तो नक्श.. अनिका की मदद करने के इरादे से बोला.. ''लाओ मैं ले लेता हूँ..'' लेकिन इससे पहले की नक्श Bag उठा पाता.. अनिका ने Bag उठाकर Driver की तरफ बढ़ा दिया और नक्श को पूरी तरह से Ignore कर के वो कमरे से निकल गयी.. नक्श चुपचाप खड़ा उसे कमरे से जाते देखता रह गया था..|

कुछ देर शांत खड़े रहने के बाद.. जैसे ही नक्श पीछे मुड़ा.. उसकी नज़र टेबल पर रखी एक फ़ाइल पर पड़ी.. ज़ाहिर सी बात है अनिका वो फाइल अपने बैग में रखना भूल गई थी.. जैसे ही यह ख्याल नक्श को आया वैसे ही उसने जल्दी से वो फ़ाइल उठाई और अनिका के पीछे भागा..|

नक्श नीचे Drawing Room में पहुंचा तो उसने देखा.. अनिका किसी से फ़ोन पर बात करती हुई हॉल से बाहर जा रही थी.. जब हड़बड़ाते हुए नक्श तेज़ी से अनिका की तरफ बढ़ा तो वहीं पास में सोफे पर बैठी अनिका की Cousin.. भाग्या.. की नज़र उस पर पड़ी और Evil Smile के साथ उसने नक्श के रास्ते में अचानक से अपनी टांग अड़ा दी.. नक्श ने अपना Balance खो दिया और वो सीधा जाकर अनिका की माँ.. चित्रा से टकरा गया.. जो हाथ में ग्रीन टी लिए सोफे की तरफ बढ़ रही थी.. नक्श की टक्कर से ग्रीन टी चित्रा के कपड़ों पर फैल गयी थी..|

तुरंत ही नक्श ने माफ़ी मांगते हुए कहा.. ''Sorry.. Sorry.. वो मैं.. अनिका को फाइल देने जा रहा था और आप बीच में.." इससे पहले की नक्श अपनी बात कह पाता.. चित्रा अपना आपा खोते हुए बोली.. "अच्छा.. तो मैं साहबजादे के रास्ते में आ गई… इसमें भी मेरी ही गलती है.. है ना..?"|

नक्श.. चित्रा को Ignore करते हुए अनिका की ओर बढ़ा और एकदम शांत आवाज़ में बोला.. "अनिका.. तुम ये फाइल भूल गईं.."|

अनिका के कदम गुस्से में नक्श की और बढे और उसने नक्श के हाथ से वो फाइल छीनी और दोबारा फ़ोन पर बात करते हुए, नक्श को देखे बिना ही घर से बाहर निकल गयी.. बस अनिका की एक प्यार भरी झलक के लिए तरस गया था नक्श.. 

तभी Drawing Room में लगे टीवी पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ फ़्लैश हुई.. "ब्रेकिंग न्यूज़.. गुजरात की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन फर्म का भविष्य खतरे में..

क्या Bhanushali Group Of Industries इतने बड़े नुक्सान से उभर पायेगा..? अब कौन संभालेगा Bhanushali Group की बागडोर..? जानने के लिए बने रहिए हमारे साथ.." ये आवाज़ कानो में पड़ते ही नक्श का ध्यान एकदम से टीवी की तरफ चला गया था..| 

लेकिन अभी चित्रा की भड़ास शांत कहाँ हुई थी.. "बेवकूफ.. एक काम भी ठीक से नहीं होता और अब क्या ठीक से चलना भी सिखाना पड़ेगा तुम्हें.. अब यहाँ खड़ा खड़ा मुँह क्या देख रहा है.. दफा हो जा मेरी नज़रों के सामने से..'' इतना कहकर चित्रा.. भाग्या की तरफ मुड़ी और बड़बड़ाने लगी.. ''पता नहीं क्या सोचकर तेरे काका ने अनिका का हाथ इस आदमी के हाथ में दे दिया.. हमारे तो भाग ही फूट गए.. घर दामाद बनकर बस हमारी छाती पर मूंग दल रहा है..''|

गलती चाहे हो या ना हो.. इलज़ाम हमेशा इस परिवार के दामाद यानी नक्श के सर पर ही आता है.. पर नक्श ने कभी भी इस बात को दिल पर नहीं लिया.. हर सुबह किसी और की गलती को अपने सर लेकर मुस्कुराते हुए.. वो अपने काम में लग जाता है..|  

नक्श. तुरंत ही ऊपर अपने कमरे की तरफ चल दिया था..| 

सीढियाँ चढ़ते हुए भी नक्श का ध्यान टेलीविजन पर चल रही ब्रेकिंग न्यूज़ पर था.. वो Bhanushali Group के Loss में होने की ख़बर सुन कर सोच में पड़ गया था..

 नक्श अपने कमरे में आईने के सामने खड़ा, खुद को देख रहा था.. नक्श के चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट थी जो उसकी आँखों की चमक को और बढ़ा रही थी.. तभी नक्श की नज़र.. Dressing Table पर रखी अनिका के पिता रसिक ज़ावेरी की एक तस्वीर पर पड़ी और उसको देखते हुए नक्श ने कहा.. आपकी बेटी अनिका का दिल जीतना ही असली चुनौती है.. लेकिन आप बिलकुल भी फिक्र मत करिये.. उसके दिल में.. मैं अपनी जगह बनाकर ही रहूँगा..''|

वो बाथरूम में शावर लेने चला गया.. नहाते हुए भी नक्श के दिमाग में बस Bhanushali Group ही चल रहा था नहाने के बाद जब नक्श बाथरूम से बाहर आया तो उसका फ़ोन Vibrate होने लगा.. लेकिन इससे पहले की नक्श को एहसास होता.. फ़ोन कट गया था..|

कपडे चेंज करने के बाद आख़िरकार जब नक्श ने अपना मोबाईल उठा कर देखा तो उसमें एक ही नंबर से 40 मिस्ड कॉल्स और 10 टैक्स्ट मैसेजेस थे.. ये देख कर नक्श हैरान रह गया और तुरंत ही उसने Messages खोलकर पढ़ना शुरू किया.. "नक्श.. प्लीज़ फ़ोन उठा लो.. मैं जानता हूं कि तुम मुझ से अब भी नाराज़ हो.. मगर मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है.. प्लीज़ मुझसे एक बार बात कर लो..''|

''वाह.. ढाई साल बाद अपनी गलती का एहसास हो रहा है.. आज का दिन तो वाकई बोहत अजीब हैं..'' अभी नक्श उन Messages के बारे में सोच ही रहा था की इतने में उसी नंबर से एक बार और कॉल आया और इस बार नक्श ने Ignore ना करते हुए कॉल उठाया और अपनी धीमी आवाज़ में बोला.. ''हेलो..'' दूसरी ओर से किसी बूढ़े आदमी की आवाज़ आई.. ''हेलो नक्श बेटा..''|

"हेलो मिस्टर यशवर्धन.." अपना नाम सुन कर वह बूढा आदमी थोड़ा सकपकाया लेकिन यशवर्धन ने फिर से प्यार से शुरुआत की.. ''कैसे हो तुम.. मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है बेटा.."| 

नक्श ने एक तंज कसते हुए कहा.. ''अच्छा.. आपको मेरी याद आने में पूरे ढाई साल लग गए.. इतनी याद आती हैं आपको मेरी..?''|

" इन ढाई सालों के हर दिन.. हर रात.. मैंने तुझे याद करते करते ही काटे हैं.. मैंने कैसे अपने आप को संभाला है.. मैं ही जानता हूँ.. शायद मैं यही Deserve भी करता हूँ.. जो कुछ भी मैंने किया या अपने आँखों की सामने होने दिया.. उसी का नतीजा है यह सब.. तेरी तस्वीर को रोज़ देख कर बस रोता रहता हूँ और खुद को कोसता हूँ की कैसे मैंने अपने सामने यह अन्याय होने दिया.."| 

नक्श को यशवर्धन की बात सुनकर रत्तीभर भी भरोसा नहीं हुआ.. उसने कुछ देर ठंडे दिमाग़ से सोचने के बाद जवाब दिया.. "मुझे पता चला मार्किट में जो खबरे चल रही है..'' यह सुनते ही यशवर्धन एकाएक खामोश हो गए जैसे मानो नक्श ने उनकी चाल पकड़ ली हो.. "हाँ.. लोग तो तरह तरह की बातें बनाते रहते हैं..'' यशवर्धन के मुँह से यह शब्द बाहर आये लेकिन इस बार उनकी आवाज़ में चिंता साफ़ सुनाई पड़ रही थी..|

यशवर्धन ने अपनी आवाज़ में नरमी लाते हुए कहा.. "मैंने तुम्हे काम की बात करने की लिए कॉल नहीं किया बेटा.. बस मुझे तुम्हारी आवाज़ सुननी थी.. मैं तुम्हे जानता हूँ.. तुम्हारा दिल कितना बड़ा है.. चाहे कितनी भी बड़ी गलती हो.. तुम अपने मन में बैर रखने वालों में से नहीं हो.."| 

नक्श अपनी हाज़िर जवाबी दिखाते हुए बोला.. "कुछ लोग अक्सर बड़े दिल वालों को बेवक़ूफ़ समझने की गलती कर देते हैं.. पर आप ठहरे यशवर्धन.. आप यह गलती तो बिलकुल नहीं करेंगे.. क्यों सही कहा ना..?'' यह सुन कर यशवर्धन समझ गए थे कि उनका काम इतनी आसानी से नहीं पूरा होगा.. इतना ही नहीं.. नक्श ने अपनी आवाज़ सख्त करते हुए आगे बोलना जारी रखा.. "आप लोगों ने जो मेरे साथ किया.. उसके लिए मैं आप लोगों को माफ़ करके.. आगे बढ़ चुका हूँ..

पर उस बात को मैं कभी भुल नहीं सकता.. मुझे आप लोगों से अब कोई रिश्ता नहीं रखना.."| 

यशवर्धन ने फिर से कोशिश करते हुए कहा.. "इतना कठोर तो नहीं था मेरा नक्श?"|

"मैं अपनी नयी ज़िन्दगी में खुश हूँ.. आप क्यों मुझे वापस उस जगह बुलाना चाह रहे हैं जिस जगह ने मुझे सिर्फ दर्द ही दिया है..?" नक्श ने अपनी बात पर अड़े रहते हुए कहा..|  

नक्श की बात सुनकर.. यशवर्धन थोड़ा इमोशनल हो गए.. "क्या तेरा दिल नहीं करता, मेरा चेहरा देखने का..? मुझसे मिलने का..? बस एक बार मिल ले बेटा.. पता नहीं अब कितने दिन हैं मेरे पास.."| 

यशवर्धन बोहत अच्छे से जानते थे की नक्श चाहे अपना दिल जितना भी सख्त कर ले.. लेकिन इस बात पर वह पिघल ही जायेगा.. नक्श.. Strong Headed था.. पर निर्दयी नहीं..|

"एक बार और आखरी बार.." नक्श ने यशवर्धन की बात मानते हुए कहा..|  

बीते ढाई सालों में कभी भी यशवर्धन ने नक्श से Contact नहीं किया था.. ढाई सालों से नक्श.. Bhanushali Group से भी बाहर था तो अब जब Bhanushali Group डूब रहा हैं तो यशवर्धन को नक्श की याद क्यों आ रही थी..? यह सोच सोचकर नक्श और भी ज्यादा Confused हो रहा था..|

तुरंत ही नक्श ने अपना लैपटॉप बाहर निकाला और इंटरनेट की हेल्प लेते हुए Bhanushali Group में चल रही हलचल जानने की कोशिश की.. ऐसे तो नक्श के हाथ में Bhanushali Group को लेकर कुछ हाथ नहीं आया लेकिन उसके हाथ में ऐसा कुछ आ गया जिसे देखने के बाद.. नक्श की आँखों की चमक चार गुना बढ़ गयी थी..|

''हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा..'' ज़ोर ज़ोर से हँसते हुए नक्श ने चिल्लाया "काय पो चे!!" अब मैं सबको दिखाऊँगा मेरी असली औकात क्या है, हा...हा...हा...बिस्तर से उठकर नक्श पागलों की तरह नाचने लगा था.. वो भूल गया था की यह घर उसका नहीं हैं.. वो तो बस इस घर का घर जमाई हैं..|

इधर नक्श के हंसने की आवाज़ सुनकर उसकी सासु माँ चित्रा चिढ़ जाती है, ''अब इस पागल को क्या हो गया हैं..? क्या इसमें कोई माता वाता तो नहीं आ गयी..'' नक्श के हंसी और नाचने का पागलपन रुकने का नाम ही नही ले रहा था, और दूसरी तरफ चित्रा का दिल बेचैन हुआ जा रहा था। ना जाने नक्श के हाथ में क्या लग गया था। की आवाज़ सुनकर.. चित्रा का दिल बाहर आ गया था..
 
Chapter 2

अगले दिन सुबह ऑफिस Hours शुरू होते ही नक्श.. Bhanushali Group के ऑफ़िस जा पहुंचा.. अचानक नक्श को ऑफिस में देखकर.. Bhanushali Group के Employees Shocked रह गए थे और इसी के साथ उन्होंने फुसफुसाना शुरू कर दिया..|

अभी लोगों के बीच में कानाफूसी चल ही रही थी की तभी एक आदमी ने कहा.. ''मुझे लगता है की यह बड़े साहब से नौकरी मांगने आया है.. हा.. हा.. हा.. हा..''|

एक तरफ़ Bhanushali Group के कुछ लोग नक्श का मज़ाक बना रहे थे तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्हे नक्श के Dad पर बोहत भरोसा था और वो सभी नक्श को देखकर बोहत खुश थे..|

नक्श.. सीधा यशवर्धन भानुशाली के कैबिन के बाहर जाकर दरवाज़ा खुलने का इंतज़ार करने लगा और गहरी सांस लेते हुए मन ही मन बोला.. ''अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे.. यही सही समय है.. और इन्हे मेरी ज़रुरत हैं.. मज़ा आना चाहिए..''|

कैबिन में बैठे यशवर्धन को भी नक्श का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था.. उन्होंने जैसे ही अपने कैबिन पर किसी के आने की आहट सुनी.. वो फौरन अपनी कुर्सी से उठ कर कैबिन से बाहर देखने की कोशिश करने लगे.. फिर कुछ सोचने के बाद दरवाज़ा खोलने पहुंच गये.. अब यशवर्धन भानुशाली और नक्श एक दूसरे के आमने सामने खड़े थे 

यशवर्धन भानुशाली ने नक्श का हाथ पकड़ा और कहा.. "चलो अन्दर आओ नक्श बेटा.. हम आराम से बैठ कर बात करते हैं…"| नक्श कैबिन के अंदर बढ़ चला था..|

यशवर्धन भानुशाली ने जब नक्श को ध्यान से देखा तो उनकी आँखें भर आईं और वो नक्श को निहारते हुए प्यार से बोले.. "नक्श बेटा.. कैसे हो तुम..? क्या तुम्हें कभी मेरी याद नही आती..?"|

नक्श को यशवर्धन भानुशाली की भावुक बातों से कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि उसे पता था ये सब एक दिखावा है.. इसलिए वो बड़े ही सरल और सीधे अंदाज़ में बोला.. "मेरे ख्याल से हमें अब सीधा काम की बात पर आना चाहिए.. ये सब बातें तो आप कल मुझ से कर ही चुके हैं मिस्टर भानुशाली..''|

“नक्श बेटा.. तुम मेरे पोते हो.. मैं समझ सकता हूं कि तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो… आख़िर गलती मेरी ही है और मुझे अपनी गलती की सज़ा मिलनी भी चाहिए.. लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि मैं अपनी उस एक गलती की सज़ा पिछले कुछ सालों से हर रोज़ भुगत रहा हूं…"|

नक्श पर यशवर्धन भानुशाली की इमोशनल बातों का ज़रा भी असर नहीं हुआ और वापस से मुद्दे की बात करते हुए बोला.. "हम दोनों ही बोहत अच्छे से जानते हैं कि हम यहाँ ये सब बात करने के लिए नहीं आए हैं.. बेहतर होगा कि आप डायरेक्ट काम की बात करें नहीं तो मैं चलता हूं..'' इतना कहते ही नक्श अपनी कुर्सी से उठ कर जाने लगा की तभी यशवर्धन ने उसका हाथ पकड़ लिया और हड़बड़ाते हुए बोले.. "नक्श बेटा.. प्लीज़ मत जाओ.. Bhanushaali Group को तुम्हारी ज़रूरत है.. मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. क्या तुम अपने दादा जी को माफ़ नही करोगे..?''|

 वैसे तो नक्श को बोहत गुस्सा आ रहा था लेकिन उसके पास भी यही एक मौक़ा था जहां वो खुद की ज़िल्लत भरी ज़िंदगी को बदल सकता था.. यही सोचकर उसने अपने कदम पीछे लिए और चेयर पर जाकर बैठ गया.. तभी यशवर्धन ने नक्श की ओर देखा और कहा.. "बेटा.. मैं जानता हूं कि आज से कुछ साल पहले मैने तुम्हारे पापा के साथ कुछ ज़्यादा ही सख्ती दिखाई थी.. लेकिन अब मैं अपनी गलती सुधारना चाहता हूं.. तुम्हारे पापा ने जिस कंपनी को इतना बड़ा बनाने में अपना खून पसीना एक कर दिया.. वो आज डूबने की कगार पर आकर खड़ी हो गई है.. मीडिया वाले पहले ही बात का बतंगड़ बना चुके हैं.. जिस से अब हमारे क्लाइंट्स भी जाने लगे हैं.."|

 नक्श ने अपने दादा जी को इतना लाचार और असहाय आज से पहले कभी नहीं देखा था.. उन्हें सच में उसकी ज़रूरत है.. मगर नक्श.. Bhanushaali Group के सीईओ.. दर्पण भानुशाली.. यानी अपने चाचा को बिल्कुल भी पसंद नही करता था..|

अपने दादा जी की बात सुनकर.. नक्श को उनपर दया आने लगी.. "अच्छा बताइए.. आप मुझ से क्या मदद चाहते हैं..?"|

यशवर्धन ने थोड़ा हिचकिचाते हुए नक्श से कहा.. "मैं चाहता हूं कि तुम ये कंपनी ज्वॉइन कर लो और अपने पापा की तरह ही इसे संभालो.."|

नक्श ने कुछ देर सोचा और फिर बोला.. "इसका मतलब आप चाहते हैं कि मैं चाचा जी के अंडर काम करूं..?''|
यशवर्धन ने धीरे से अपना सर हिलाते हुए कहा.. ''हम्म..''|

नक्श ने सर उठा कर अपने दादा जी से कहा.. "दादा जी यहां बात कंपनी और आपके फायदे की है इसलिए रिश्ते.. नाते और पछतावा जैसे शब्दों को हम ज़रा पीछे छोड़ दें तो बेहतर होगा.. मैं आपकी परेशानी दूर करने के लिए तैयार हूं.. पर उसके बदले में आपको भी मेरे लिए कुछ ऐसा करना होगा जो मुझे खुशी दे सके.. मेरा और मेरे Dad का खोया हुआ सम्मान लौटा सके.. मैं आपसे ज्यादा कुछ नहीं चाहता.. बस समय समय पर आपको मेरी कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी और बदले में आपको मुझसे जो चाहिए.. वो मैं आपको देता रहूँगा..''|

नक्श के मुंह से शर्त वाली बात सुनकर यशवर्धन चौंक गये.. उन्होने भौहें चढ़ाते हुए नक्श से कहा.. ''शर्तें..? अब तुम अपनों के सामने शर्तें रखोगे..?''|

नक्श ने मुस्कुराते हुए अपने दादाजी से कहा.. "वो क्या है ना दादा जी.. पिछले ढ़ाई साल में मैंने ज़िंदगी की कई ठोकरें खाकर यही सीखा है कि इस दुनिया में सीधा और ईमानदार बनकर रहना सबसे मुश्किल काम है.. इसलिए अब मुझे भी आज की दुनिया के तौर तरीकों के हिसाब से ही बात करनी पड़ेगी.. शायद इसी में मेरी भलाई हैं.. और वैसे भी जरुरत आपको है मेरी.. मुझे आपकी कोई जरुरत नही..''|

नक्श की तीखी बातें सुनकर.. यशवर्धन भानुशाली सकपका गए.. तुरंत ही उन्होंने नक्श से पुछा.. "अच्छा बताओ.. तुम मुझसे क्या चाहते हो..?

 नक्श ने अपनी पहली शर्त सामने रखी.. "मेरी पहली शर्त ये है कि अगर मैं ये कंपनी वापस ज्वॉइन करता हूँ तो इस कंपनी का नया सीईओ.. मैं बनूँगा..''|

नक्श की पहली शर्त ने ही यशवर्धन को झटका दे डाला था और वो चौंकते हुए बोले.. "क्या.. ये क्या कह रहे हो तुम..? नक्श.. तुम अपने चाचा की जगह कैसे ले सकते हो..?''|

नक्श ने जब अपने दादा जी की बात सुनी तो उसने मुस्कुरा कर तंज़ कसते हुए कहा.. ''ठीक वैसे ही जैसे चाचा जी ने मेरे Dad की जगह ली.. हा.. हा.. हा.. हा.. मैं जानता था कि आप ने मुझे यहां चाचू के बिज़नेस को बचाने के लिए बुलाया है.. लगता है आप को अब भी अपनी गलती का एहसास नहीं है दादू..''|

नक्श की बात सुनकर उसके दादा जी ने कुछ देर सोचा और कहा.. "अच्छा ये बताओ की तुम्हारी बाकी की शर्तें क्या हैं..?''|

नक्श ने अपनी दूसरी शर्त बताते हुए कहा "मेरी दूसरी शर्त ये है कि मैं कंपनी में वापस तभी आऊंगा जब मुझे काम करने की पूरी Freedom मिलेगी.. मुझसे कोई सवाल नहीं करेगा.. कंपनी का पैसा कहाँ जा रहा हैं..? कहाँ से आ रहा हैं..? यह सब कुछ मेरे Jursidiction में होगा.. No If.. No But.. शर्तें अभी ख़त्म नहीं हुई हैं और शायद कभी होगी भी नहीं.. इस कंपनी को मेरे हिसाब से चलना होगा..''|

नक्श की इस बात पर भी यशवर्धन कुछ देर के लिए हिचकिचाये लेकिन फिर बोले.. "तुम्हारी शर्तें सुनकर लग रहा है कि जैसे तुम मुझ से कोई बदला ले रहे हो.. लेकिन मुझे तुम्हारी ये शर्तें मंजूर हैं..''|

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