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एक मध्यम वर्गीय परिवार का लड़का, जो अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर था, 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त करके अपने माता-पिता के लिए गर्व का कारण बन गया था। जैसे ही उसके पिता ने उसकी मार्कशीट देखी, उनकी आंखों में खुशी की चमक आ गई। उन्होंने तुरंत अपनी पत्नी को आवाज़ दी, "बना लीजिए मीठा दलिया, हमारे बेटे ने स्कूल की परीक्षा में 90% अंक हासिल किए हैं!"

माँ, जो उस समय किचन में काम कर रही थी, खुशी के मारे दौड़ती हुई आई और बोली, "मुझे भी बताइए, देखती हूँ, कितने अंक आए हैं हमारे लाड़ले के!"


लेकिन इस खुशी के पल को बेटे के एक वाक्य ने ठंडा कर दिया। वह अचानक बोला, "बाबा, उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं? क्या वह पढ़-लिख सकती है? वह अनपढ़ है!"


यह सुनकर माँ की आंखों में आंसू भर आए, लेकिन वह अपने आँसू पोंछते हुए चुपचाप किचन में वापस चली गई। उसने बिना कुछ कहे दलिया बनाना शुरू कर दिया। यह दृश्य देखकर पिता का दिल टूट गया। उन्होंने तुरंत बेटे की कही हुई बातों को मन ही मन दोहराया और फिर बड़े ही शांत स्वर में बोले, "हाँ, बेटा, तुम सही कह रहे हो।"


पिता की बात सुनकर बेटा थोड़ा चौंक गया। पिता ने उसकी आँखों में देखकर कहा, "जब हमारी शादी हुई थी, तो तुम्हारी माँ सच में अनपढ़ थी। शादी के तीन महीने बाद ही वह गर्भवती हो गई थी। उस समय मैंने सोचा कि शायद हम दोनों को एक-दूसरे को समझने और थोड़ा समय बिताने का मौका मिलना चाहिए। मैंने अबॉर्शन करवाने की बात सोची, लेकिन तुम्हारी माँ ने ज़ोर देकर मना कर दिया। उसने कहा, 'नहीं, चाहे जो भी हो, इस बच्चे को जन्म देना ही है।'"


पिता ने आगे कहा, "तुम्हारी माँ अनपढ़ थी, लेकिन जब तुम उसके गर्भ में थे, तो उसने तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए नौ महीने तक बिना किसी शिकायत के रोज़ दूध पिया, जबकि उसे दूध से नफरत थी।"


"क्योंकि वह अनपढ़ थी, उसने तुम्हारे लिए सुबह-सुबह पांच बजे उठकर तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और लंच बॉक्स तैयार किया, ताकि तुम स्कूल में अच्छा महसूस करो। जब तुम रात को पढ़ाई करते हुए सो जाते थे, तो वह चुपचाप आकर तुम्हारी किताबें समेटती और तुम्हें ओढ़ना से ढक देती थी, ताकि तुम ठंड से बच सको।"


"बचपन में जब तुम बीमार होते थे, तो वह रात-रात भर जागकर तुम्हारी देखभाल करती थी और फिर सुबह जल्दी उठकर घर के कामों में लग जाती थी, क्योंकि वह अनपढ़ थी।"


"क्योंकि वह अनपढ़ थी, उसने हमेशा तुम्हारे लिए ब्रांडेड कपड़े लाने की जिद की, जबकि खुद वह सालों तक वही पुरानी साड़ी पहनती रही।"


पिता की आँखों में भी अब आंसू थे, उन्होंने कहा, "बेटा, तुम्हारी माँ ने कभी अपने स्वार्थ के बारे में नहीं सोचा। उसने हमेशा तुम्हारी खुशी को प्राथमिकता दी, क्योंकि वह अनपढ़ है, लेकिन इस अनपढ़ता में वह ज्ञान का महासागर है।"


यह सुनकर बेटे के दिल में गहरी चोट लगी। वह अपनी माँ की ओर दौड़ा और उससे लिपटकर रोते हुए बोला, "माँ, मुझे आज 90% अंक मिले हैं, लेकिन असल में मैं ही अनपढ़ हूँ। आपने मेरे जीवन को 100% बनाने में जो भूमिका निभाई है, वह किसी भी डिग्री से ऊपर है। आप ही मेरी पहली शिक्षक हो, और आज मुझे अहसास हुआ है कि आपके पास पीएचडी से भी ऊपर की डिग्री है। आप मेरे जीवन में डॉक्टर, शिक्षक, वकील, ड्रेस डिजाइनर, और सबसे अच्छी कुक, सब कुछ हैं।"


यह सुनकर माँ की आँखों से भी आंसू बहने लगे, लेकिन वे आंसू अब खुशी के थे। बेटे ने अपनी माँ के पैर छुए और मन ही मन यह संकल्प लिया कि वह अब कभी अपने माता-पिता का अपमान नहीं करेगा।


ज्ञानबोध: हर बेटे और बेटी को यह समझना चाहिए कि उनके माता-पिता ने उनके लिए क्या-क्या कष्ट सहन किए हैं। वे जो कुछ भी हैं, अपने माता-पिता की बदौलत हैं। माता-पिता के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करना हमारा कर्तव्य है। उनके बलिदान और प्रेम को कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि वे हमारे जीवन के असली हीरो हैं।


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