एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक गरीब लड़का रहता था। उसके माता-पिता बहुत मेहनती थे और उन्होंने अपने संघर्षों के बावजूद उसकी पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास किए। लड़का दिल का बहुत ही प्यारा था, और उसकी ख्वाहिश थी कि वह एक दिन डॉक्टर बने और गांव के लोगों की सेवा करे।
जब वह बड़ा हुआ, तो उसने एक अच्छे विद्यालय में दाखिला लिया और वहां पढ़ाई करने लगा। धीरे-धीरे उसके सपने साकार होने लगे। परिवार का गर्व बढ़ रहा था और वह खुद भी खुश था।
एक दिन, जब वह अपने अंतिम वर्ष की परीक्षा देने वाला था, तब उसकी माँ बहुत बीमार पड़ गई। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, और डॉक्टर ने बताया कि उसकी स्थिति बहुत गंभीर है। लड़के को अपनी पढ़ाई से ज्यादा माँ के स्वास्थ्य पर ध्यान देना पड़ा।
परीक्षा के परिणाम के दिन, लड़के को पता चला कि वह अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाया था। उसके सपने टूट गए और उसका दिल भी। लड़के को बहुत आशा थी कि वह डॉक्टर बनकर अपनी माँ का इलाज करेगा, पर उस समय उसके हाथ से वह सब निकल गया।
कुछ समय बाद, उसकी माँ का निधन हो गया। लड़के को इस दुख का सामना करना पड़ा और उसका दिल फिर से टूट गया। उसने अपने गांव के लिए सपने देखना छोड़ दिया और ज़िन्दगी भर गरीबी में जीने को मजबूर हो गया। लेकिन कहते हैं ना, आदमी का स्वभाव कभी नहीं बदलता! समय बीता तो उसका थोड़ा दुख कम हुआ और उसे वही सपने फिर से आने लगे जो वह पहले देखा करता था।
वह लड़का, अपने पड़ोसी की मदद से एक नौकरी पाने में सफल हुआ। धैर्य और मेहनत से, उसने अपने जीवन को फिर से संवारा। उसका दिल अब भी दर्दभरा था, लेकिन वह नहीं चाहता था कि उसके सपनों को तोड़कर वह ज़िंदगी बिताए।
अब वह एक छोटे से शहर में काम कर रहा था, और उसके लिए अच्छे दिन आने लगे। उसने ज़िन्दगी के सभी बुरे लोग और समय को भुला दिया और दूसरों की मदद करने में खुशी महसूस करने लगा।
एक दिन, जब वह नए शहर में घूम रहा था, तो उसने एक बड़े अस्पताल को देखा। उसके मन में फिर से डॉक्टर बनने का सपना जगा। उसने अस्पताल के बाहर खड़ा होकर एक लंबी साँस ली, और फिर अपने सारे हौसले इकट्ठे किए।
धैर्य और समर्पण से, उसने फिर से अपने डॉक्टरी के सपने की तलाश शुरू की। वह रात-रात भर काम करता और दिनभर अध्ययन करता। उसकी मेहनत और लगन ने उसे अंततः उसी अस्पताल में एक चिकित्सक के रूप में काम करने का मौका दिया।
उसके सपने सच हो गए थे। वह अब लोगों की सेवा कर रहा था और उसका दिल खुशियों से भर गया था। उसने अपने जीवन के संघर्षों को महत्वपूर्ण बना दिया था।
जीवन में वक़्त कभी-कभी मुश्किलों से भरा होता है, परन्तु हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। जब तक हम अपने सपनों पर विश्वास करें और मेहनत से काम करते रहें, हमें अपनी जिंदगी में सफलता ज़रूर प्राप्त होगी। धैर्य रखें, सपनों का पीछा करें, और सफलता अपने आप पीछे आएगी।
एक चाट वाला था। जब भी उसके पास चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख रहा हो। हर विषय पर बात करने में उसे बड़ा मज़ा आता था। कई बार उसे कहा कि भाई देर हो जाती है, जल्दी चाट लगा दिया करो पर उसकी बात ख़त्म ही नहीं होती।
एक दिन अचानक उसके साथ मेरी कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।
तक़दीर और तदबीर की बात सुन मैंने सोचा कि चलो आज उसकी फ़िलासफ़ी भी देख ही लेते हैं। मैंने उससे एक सवाल पूछ लिया।
मेरा सवाल उस चाट वाले से था कि, आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से ?
और उसने जो जवाब दिया उसके जवाब को सुन कर मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए।
वो चाट वाला मेरे से कहने लगा आपका किसी बैंक में लॉकर तो होगा?
मैंने कहा हाँ, तो उस चाट वाले ने मेरे से कहा कि उस लाकर की चाबियां ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाबियां होती हैं। एक आपके पास होती है और एक मैनेजर के पास।
आपके पास जो चाबी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली चाबी भाग्य है।
जब तक दोनों चाबियां नहीं लगती लाॅकर का ताला नहीं खुल सकता।
आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।
आपको अपनी चाबी भी लगाते रहना चाहिये। पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाबी लगा दे । कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाबी लगा रहा हो और हम अपनी परिश्रम वाली चाबी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये।
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