मायका
बहू बुरा मत मानना अपनी मां को बता देना कि हमारी पसंद कैसी है हम कैसी चीजें पसंद करते हैं तुम्हारी मां की पिछली बार भेजी हुई साड़ी हमें काम वाली को देनी पड़ी कम से कम हमारी पसंद तो देखकर गिफ्ट भेजती या गिफ्ट ना भेजे हमें किस चीज की कमी है तन्नू जी अपनी बड़ी-बड़ी आंखें घुमाते हुए शिकायत भरे लफ्जों में अपनी बहू दुसा को बोल रही थी दुसा अपनी सासू मां की बातों को सिर्फ सुन रही थी और चुपचाप अपने कीमती साड़ियां सूट को समेटकर बैग में पैक कर रही थी
कल वह अपने माके जा रही थी वह भी अकेली वहां उसकी बचपन की सहेली की शादी थी वैसे तो उसकी सहेली ने उसके पति को भी आमंत्रित किया था पर दुसा ने शादी का कार्ड छुपा लिया था वह नहीं चाहती थी कि उसका संपन्न और शहरी पति उसके ग्रामीण प्रवेश वाला निम्न मध्यवर्गीय मायके जाए और उसका मजाक उड़ाए पिछली बार जब दुसा का पति ऋषभ उसके साथ उसके मायके गया था तो वहां का परिवेश और लोगों के व्यवहार को देखकर खुद को असहज महसूस कर रहा था
घर में लगी मच्छर दानी ओल्ड मॉडल का बाथरूम और बरामदे में बिछी खाट जिस पर मोहल्ले के कई लोग सामाजिक मुद्दों पर बहस करते दिखते थे यह सब उसे असहज लगता था इसके अलावा एक दिन उसके कमरे में बिना इजाजत के मोहल्ले की भाभी घुस गई थी और उनके बिस्तर पर बैठकर उनसे हंसी मजाक कर ने लगी थी इससे वह और ज्यादा अपसेट हो गए थे वैसे गांव में यह सब आम बातें होती हैं वहां के लोग अत्यंत भोले होते हैं
गांव में मोहल्ले की भाभी सबकी भाभी होती और मोहल्ले के जीजा भी सभी के जीजा होते हैं कोई औपचारिकता नहीं कोई बनावट नहीं कोई दिखावा नहीं पर शहर में पले बड़े ऋषभ उस वक्त तो कुछ नहीं बोले लेकिन घर वापस पहुंचते ही अपनी मां को सारी कहानी बता दी और उनकी मां ने यह बात आग की तरह फैला दी अब जब भी जिसे भी परिवार में मौका मिले वह इस वाक्य की चर्चा कर खूब हंसते थे तभी से दुसा ने सोच लिया था
कि जब तक बहुत जरूरी ना हो तब तक ऋषभ को लेकर वह अपने मायके नहीं जाएगी कहां खो गई दुसा बैग पैक हो गया हो तो चाय भी पिला दो वैसे भी कल से आया के हाथ की चाय पीनी पड़ेगी रिशव ऑफिस से घर आ चुका था और ड्राइंग रूम से उसे आवाज लगा रहा था
अभी आई बोलकर दुसा ने पैक किए बैग्स को साइड में रखती है और किचन में पकड़े के साथ चाय भी बनाने लगी उसके हाथ में चाय के साथ पकड़े देखकर ऋषभ मुस्कुरा पड़ा और अपनी प्यारी मुस्कान के साथ उसका हाथ पकड़कर अपने पास बैठा हुए बोला माइके जा रही हो तुम्हें अपने लिए कुछ चाहिए नए कपड़े नए जेवरात या फिर सहेली के लिए कुछ कीमती उपहार वैसे अगर तुम्हारी सहेली मुझे बुलाती तो मैं भी तुम्हारे साथ जरूर चलता तुम्हारी मम्मी पापा से भी मिल लेता अगर तुम कहो तो कल की छुट्टी लेकर तुम्हें मैं गाड़ी से छोड़ आता हूं अरे उसकी क्या जरूरत है 5च घंटे का सफर है
ड्राइवर भी तो जा रहा है साथ में मेरे मैनेज कर लूंगी और रही बात कपड़ों की तो पहले से मेरे पास मेरी शादी की रंगबिरंगी साड़ियां और जेवरात रखे हैं वही प पहन लूंगी बस एक रेशमी साड़ी आप मुझे मंगवा दो बारात के दिन पहनने के लिए दुसा मुस्कुरा कर बोली दुसा की फरमाइश पर ऋषभ ने मोहल्ले की साड़ी स्टोर से खूबसूरत सी रेशमी साड़ी खरीदकर उसे दे दी अगले दिन दुसा अपने मायके रवाना हो गई शादी के आठ महीने होने को थे और दुसा अभी तक ससुराल में खुद को अकेला महसूस कर रही थी
इसकी वजह शायद दोनों परिवार की हैसियत में जमीन आसमान का फर्क था या फिर दुसा का मितवासी होना दुसा अपने पति से यह भी नहीं बोल पाती थी कि उसके मायके की छोटी-छोटी बातें सभी के सामने मजाक का विषय बनाना उसे बिल्कुल नहीं पसंद उसकी सासू मां का तकिया कलाम था कि उसके मायके में एक दुसा है जो हमारे परिवार के लायक है वरना हम ऐसे परिवार में अपने बेटे की शादी ना करते दुसा को ऐसी बातों से बहुत कष्ट होता था
अगर उस परिवार की लड़की को आपने बहू बनाया है तो फिर वह परिवार उपहास का पात्र क्यों लेकिन उसकी चुप्पी की वजह से कोई उसके हृदय के भाव को समझ नहीं पाता ऋषभ ने कई बार कोशिश की दुसा उससे खुलकर बात करे मगर दुसा हां और ना में जवाब देकर चली जाती ऋषभ उसकी हिचकिचाहट को उसके ग्रामीण परिवेश का होना समझता था
दुसा और ऋषभ की शादी ऋषभ की बुआ ने करवाई थी दुसा की सुंदरता और उसकी योग्यता से प्रभावित होकर उन्होंने अपने भतीजे के लिए दुसा को चुना था दुसा सर्वगुण संपन्न लड़की थी जिसने शादी के बाद तुरंत ही ससुराल में सभी का दिल जीत लिया था दुसा बहुत खुश थी सभी उसे प्यार करते थे
परंतु उसे बात-बात में अपने मायके का उपहास बर्दाश्त नहीं होता ऋषभ बहू का फोन आया था कि वह दो दिनों में वापस नहीं आ पाएगी वह कुछ दिन और वहां रहना चाहती है मैंने भी कहा ठीक है रह लो आखिर वह तुम्हारा मायका है ऋषभ के ऑफिस से आते ही उसकी मां बोली मां की बातों को सुन ऋषभ असमंजस में पड़ गया था आज दुसा की सहेली जिसकी शादी थी उसका फोन आया था वह शादी में नहीं आने का उलहाना दे रही थी
उसने शादी के कार्ड पर उसके पूरे घर वालों को आमंत्रित किया था दुसा से रिक्वेस्ट भी की थी कि कोई और ना आए तो कोई बात नहीं पर अपने पति को अपने साथ शादी में जरूर लाना दुसा ने उससे सारी बात छुपाई और झूठ बोला कि उसकी सहेली ने उसे आमंत्रित नहीं किया और आज अचानक से वहां रुकने के लिए फोन कर दिया जबकि उसे पता है
कि कल उसका और मेरा हील स्टेशन जाने का प्रोग्राम है फोन व मुझे भी कर सकती थी सैकड़ों सवाल के साथ रिशब खाना खाकर सोने चला गया उसने बिस्तर पर जाने के बाद दुसा को फोन मिलाकर उससे बात करनी चाहि पर उसका फोन स्वी चॉप था दुसा का इस तरह से झूठ बोलना और उससे बातें छुपाना ऋषभ को परेशान कर रहा था एक सप्ताह बीत गया दुसा का कोई फोन कोई समाचार नहीं आने से ऋषभ और उसका परिवार परेशान हो गया दुसा के घर का लैंडलाइन भी बंद था
और उसके पिता का मोबाइल भी बंद था ऋषभ की मां खुद वहां जाकर उसे वापस लाने की बात बोलने लगी ऋषभ ने उन्हें मना किया और ऑफिस में छुट्टी अप्लाई कर दी और खुद वहां जाने की तैयारी में लग गया इसी बीच उसे याद आया कि दुसा की सहेली के मोबाइल नंबर पर बात की जा सकती है दुसा की सहेली से बात करने से ऋषभ के पांव तले जमीन खिसक गई दुसा शादी में डांस करते हुए गिर गई थी जिससे उसके पांव में चोट लग गई थी सुनते ही आनन फानन में ऋषभ अपने ससुराल के लिए निकल गया वहां पहुंचते ही वह दुसा पर बहुत नाराज हुआ और तुरंत ही उसे अपने साथ वापस ले आया घर जाने से पहले वह उसे हॉस्पिटल ले गया दुसा के पांव में सिर्फ चोट नहीं थी
बल्कि उसका पांव फैक्चर था गांव के डॉक्टर ने सिर्फ गर्म पट्टी बांधकर उसे रखा था जब दुसा हॉस्पिटल से आई तो घर के सदस्य उससे काफी नाराज थे बात फिर वहीं आकर रुकी कि दुसा के मायके में किसी को औपचारिकता निभानी नहीं आती दुसा गिर गई या बीमार थी तो उसके माता-पिता की जिम्मेदारी थी कि हमें सूचित करते हद हो गई दुसा ने कॉल करके भी मुझसे झूठ बोला उसे हमसे झूठ बोलने की क्या जरूरत पड़ गई
हमें अभी तक वह पराया मानती है वह कभी खुलकर बात नहीं कर करती समझ में नहीं आता हमसे कहां गलती हो गई हमारी बहू शादी के आठ महीने बाद भी हमें पराया समझती है दुसा की सांस बड़बड़ा लगी अभी हम इस बारे में कोई बात नहीं करेंगे मां दुसा को ठीक हो जाने दो दिया जाओ भाभी का ख्याल रखो और गोलू तुम दुसा को उठने बैठने में उसकी मदद करना ऋषभ ने इस मुद्दे में दखल अंदाजी कर बातों को वहीं रोक दिया लेकिन वह भी दुसा से उसके झूठ बोलने का कारण जानना चाहता था
इसी बीच तन्नू ने अपने शादी के साल गिराह के उपलक्ष में सत्यनारायण भगवान की पूजा रखवा पूजा पर पंडित जी के साथ बए और उसके पति भी बैठे पूजा में नए कपड़े पहनने थे इसलिए दुसा के मायके से आई हुई साड़ी जो इस बार वो लेकर आई थी वही पहनी थी इतने दिनों में पहली बार दुसा के मायके की साड़ी उन्हें पसंद आई थी पूजा में दुसा को भी वल चेयर पर बैठाकर ऋषभ लेकर आया मोहल्ले की स्त्रियां भी पूजा में सम्मिलित होने आई थी पूजा संपन्न होने के बाद तन्नू जी की पड़ोसी बोल पड़ी इस साड़ी में तुम बहुत सुंदर लग रही हो हां बहू के मायके से आई है
सोचा नहीं है तो इसे ही पहन लेती हूं तन्नू जी मुस्कुराकर बोली अरे नहीं तन्नू यह साड़ी तो मेरे स्टोर की है यह लेटेस्ट फाइव डिजाइन साड़ी मैंने मंगवाई थी ऋषभ ही तो लेकर आया था उस दिन शाम को जब तुम्हारी बहू माइके जा रही थी पड़ोसन मुस्कुरा कर बोली यह वही पड़ोसन थी जिसका साड़ी का स्टोर मोहल्ले में ही था तन्नू जी को दुसा की झूठ पर बहुत क्रोध आ रहा था किसी तरह उन्होंने सारे अतिथ को विदा कर दिया और फिर पूरा घर सिर पर उठा लिया ऋषभ भी मां की साड़ी को पहचान चुका था और और उसने भी स्वीकृत दी थी कि यह साड़ी मैं दुसा के लिए लाया था
तन्नू जी अपनी आज की बेइज्जती से उभर नहीं पा रही थी उन्होंने अपने केक कटिंग का प्रोग्राम भी कैंसिल कर दिया और अपने कमरे में जाकर सो गई रोना बंद करो दुसा आज तुम मुझे अपने झूठ बोलने की वजह बताओगी क्यों तुमने अपनी सहेली की शादी के आमंत्रण के बा बारे में भी झूठ बोला क्यों तुमने अपने पांव टूटने की बात नहीं बताई और झूठ बोला कि तुम अपने मायके में कुछ दिन रहना चाहती हो और क्यों तुमने मां को झूठ बोलकर साड़ी दी कि तुम्हारी मां ने उन्हें गिफ्ट किया है
ऋषभ आज बहुत गंभीर होकर सवाल कर रहा था ऋषभ के पिता और उसके भाई बहन भी यह जानना चाहते थे हां मैंने झूठ बोला और आगे भी बोलती रहूंगी अगर आप लोग मेरे मायके का इस तरह उपहास करेंगे मैंने अपनी सहेली का आमंत्रण इसीलिए छुपाया कि आप मेरे माके नहीं जाएं वहां जाकर आप उस वक्त तो कुछ नहीं बोलते और वहां से आने के बाद आप वहां के प्रवेश का मजाक बनाते हैं मेरे माता-पिता अपने दामाद के स्वागत में हर वह चीज की व्यवस्था करते हैं जिससे उनके दामाद को कोई असुविधा ना हो तकलीफ ना हो फिर भी वहां की चीजें आपको बुरी लगती हैं
आप हर वक्त एहसास दिलाते हैं कि आप बहुत अन कंफर्टेबल हैं इसी वजह से मैंने अपने पैर में चोट की बात छुपाई मुझे लगा दो चार दिन में आराम हो जाएगा फिर वापस चली जाऊंगी अगर आपको चोट की बात बताती तो आप वहां आ जाते यह मैं नहीं चाहती थी रही बात सासू मां को झूठ बोलकर साड़ी देने की तो उसकी वजह भी यही उपहास है वहां से भेजी गई कोई भी साड़ी मां को पसंद नहीं आती इसलिए आपसे झूठ बोलकर मैंने रेशमी साड़ी मंगवाई ताकि मां उस साड़ी को पसंद करके पहने उसका दिल दुखाने का मेरा कोई इरादा नहीं था दुसा बोलते बोलते रोने लगी उसने रोते हुए अपनी और बातें भी परिवार के सामने रखी जिसमें यह भी था कि उसका मायका अगर सुविधा से पूर्ण नहीं है
तो क्या हुआ है तो वह उसका मायका ना जहां उसका बचपन बीता जहां उसे जान से ज्यादा प्यार करने वाले माता-पिता हैं फिर वह उसे कम कैसे आग सकती है उसे भी ससुराल में एडजस्ट होने में परेशानी हुई पर वह इन बातों को अपने माता-पिता को नहीं बता सकती क्योंकि इतने बड़े परिवार में शादी से पहले उसकी मां की यही चिंता थी कि नए घर में उन लोगों के साथ क्या वह एडजस्ट कर पाएगी दुसा बोलते जा रही थी और रोते जा रही थी दुसा की बातें बहुत हद तक सही थी जिसकी स्वीकृत वहां पर खड़े सारे लोगों की झुकी नजर दे रही थी कमरे के दरवाजे पर खड़ी दुसा की सास भी उसकी सारी बातें सुनकर बाहर आ गई तभी दुसा के ससुर जी बोल पड़े दुसा उसके परिवार को स्वीकार कर उन्हें अपना प्रेम दे रही है
फिर दुसा का परिवार इस से वंचित क्यों विवाह सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं होता दो परिवार का मिलन होता है जिसमें एक दूसरे का सम्मान अत्यंत आवश्यक है अगर परिवार में रहन सहन का अंतर है तो दुसा को भी अपने आपको यहां के रहन सहन के अनुसार ढालना पड़ा है जो उसने बखूबी किया है कभी भी उसने अपने आप को असहज महसूस नहीं होने दिया असहजता का अर्थ ही अस्वीकार होता है अगर हम किसी को स्वीकार करते हैं तो असहज नहीं हो सकते आज के बाद मुझे इस तरह की शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए ससुर जी के वहां से जाने के बाद दुसा अपनी सासु मां की तरफ मु कर माफी मांगने लगी तो उन्होंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा बहू मुझे तुमसे माफी मांगनी चाहिए मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है
घर के बड़े होने के कारण मुझे बच्चों और ऋषभ को इस तरह के उपहास के लिए रोकना चाहिए था मुझे खुद भी सोचना चाहिए था कि उपहार उपहार होता है उसे स्टेटस से नहीं जोड़ा जाता मैंने तुम्हारी हर सुख सुविधा को तुम्हारे मायके से जोड़ा इसके लिए मुझे माफ कर दो आज से मैं वचन देती हूं
जिस तरह तुमने हमारे परिवार को स्वीकार किया हम भी तुम्हारे परिवार को स्वीकार करेंगे मैं स्त्री होकर कैसे भूल गई कि एक स्त्री का मायका उसके लिए कितना प्यारा होता है अब रोना बंद करो बेटा सासू मां की बात सुनते ही दुसा ने झट से अपने आंसू पहुच लिए और कहा मैंने रोना बंद कर दिया मां अगर आपने मुझे माफ कर दिया तो प्लीज केक कट कर दीजिए उसकी अचानक से इतने गंभीर मुद्दे से इस मुद्दे पर आने से घर के सभी सदस्य जोर-जोर से हंसने लगे इस गूंजती हंसी में एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान का रंग था दोस्तों आपको हमारी आज की कहानी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताइए दोस्तों ऐसी ही कहानी को पढ़ने के लिए पेज को फॉलो करें
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