काली अंधेरी रात में, शहर से थोड़ा दूर सड़क पर

काली अंधेरी रात में, शहर से थोड़ा दूर सड़क पर, दुल्हन के लिबास में, एक बहुत ही सुंदर लड़की अपनी जान बचाने के लिए भाग रही है। वो बहुत बुरी हालत मे है। उसका दुपट्टा छुपाते बचते, भागने में कही पीछे छूट गया है। उस लड़की के पीछे लगा है, उसका होने वाला पति , कपिल, जो बहुत गुस्से मे है। उसके दो दोस्त, अलग रास्ते से जा के लड़की को पकड़ने में कपिल का साथ दे रहे हैं।

ऐसा लग रहा था कि, क़िस्मत उसका साथ नहीं दे रही है क्योंकि वो फंस चुकी है। सड़क के एक तरफ है वो आदमी, जिसकी क़ैद से ये भाग निकली थी, अपनी jeep के बाहर निकल के खड़ा, गुस्से में दांत पीसता, कपिल। और दूसरी तरफ, उसके दो दोस्त, हाथ मे torch पकड़े उस लड़की के जिस्म पर पड़ती बारिश की बूंदों को तिरछी मुस्कुराहट के साथ देख रहे है।

कपिल अपने क़दम बढ़ाते हुए, अपनी शैतानी हसी हंसते हुए बोला– "आरोही! आरोही! क्यूँ? क्यूँ करती हो तुम ऐसा! जानती हो ना! मैं तुम्हें खुद से कभी दूर नहीं होने दूंगा! तो फिर क्यूँ? बार बार ये लुका-छिपी का खेल खेलती हो मेरे साथ।”

कपिल को अपनी ओर आता देख वो लड़की आरोही, डर के जम गई। सब तरफ़ से घिर जाने पर आरोही ने रोते हुए अपनी आँखें बदं कर के मन में कहा, "please कान्हा जी! संभाल लेना!"

इतना कहकर वो हरकत में आई और कपिल या उसके दोस्त उसे छू पाते उससे पहले वो रोड के बगल से गहराई में कूद गई।

ये देख कपिल, जिसके होठों पर जंग जीतने वाली मुस्कान थी, वो हवा हो गई, और वो पागलों की तरह चिल्लाया,

"आरोही..!"

क्या आप किस्मत मे विश्वास करते हैं? क्या आप मानते हैं के जीवन में जो कुछ भी होता है, वो ultimately आपको आपकी destiny से मिलाता है? भले ही हम turantउसे समझ न पाएं। ऐसे ही आरोही समझ नही पा रही थी, के उसके साथ जो हो रहा है उसमे क्या ही अच्छा हो सकता है? वो तो बस अपने कान्हा जी पे विश्वास रख के, उसे जो ठीक लग रहा था, वो करती जा रही थी।

जी हां! वो गहराई मे कूद कर बच गई थी, लेकिन अभी उसकी मुश्किलें खत्म नहीं हुई थीं।

अंधेरे में जैसे -तेसै वो आ पहुंची एक खाली पड़ी झोपड़े में। ना जाने कब से भागती, बारिश में भीगती, थकी हुई आरोही ने कोना पकड़ के थोड़ी सांस लेनी चाही, तो वहीं उसकी आखं लग गई। नींद मे उसे महससू हुआ, के कोई उसके गाल सहला रहा है, उसने घबरा के आखं खोली, तो देखा, की दो अंजान लड़के, उसे गंदी नजरों से घूर रहे थे।

उसने आव देखा न ताव, वो दोनो लड़कों से कुछ देर जूझ कर भाग निकली।

भागते हुए मोड़ आया, तो देखा सामने एक लड़का कार के पास खड़ा हुआ था। पीछे मुड़ कर अपने करीब आते उन दो लड़कों को देख कर आरोही जल्दी से उस लड़के की तरफ़ भागी और उसने जा कर उस लड़के से अपनी उखड़ती सांसों को संभालते हुए कहा,

“Help..! Please help me!!" इतना कहकर आरोही अब खुद को और देर तक खड़ा ना रख सकी, और वहीं, उस लड़के के परैों में गिर पड़ी।

तभी उसे अपने पीछे पड़े उन्हीं लड़कों के हंसने की आवाज़ सुनाई दी।"क्या यार! इतना दौड़ाया और फिर खुद पिंजरे में आ कर बदं हो गई!" आरोही ने अपनी बदं होती पलकों को खोल कर देखा तो उसे समझने में देर नहीं लगी कि उसने मदद के लिए गलत जगह हाथ फैलाए हैं। अपनी क़िस्मत पर उसे एक बार फिर रोना आया, और उसने अपने पास खड़े लड़के के पैर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर, अपना सिर उसके पैर पर टिका दिया।

इधर उनमें से खड़े एक लड़के ने, आरोही के पास खड़े उस लड़के से कहा, "राणा! उठा लड़की को उठा और गाड़ी में डाल!"

आरोही ने ये सुन ,रोते हुए कहा, "नहीं! Please नहीं! मुझे जाने दीजिए.. मै बहुत परेशान हूं..!"

उस लड़के ने आरोही से अपना परै छुड़ा कर, car के बोनट को जोर से बदं कर के अपने दोस्तों की तरफ़ मड़ुते हुए कहा, "क्यूँ बे नवाबजादों! लड़कियों ने भाव देना छोड़ दिया? जो अब लड़की को यों जबरदस्ती उठा कर गाड़ी में डाल रहे हो..!"

सामने खड़े उसके दोनों दोस्तों में से एक ने आगे बढ़कर कहा, "नहीं यार राणा! पहले लड़की को एक नज़र देख तो सही! क्या चीज़ है! तेरा दिल खुश हो जाएगा! तू खुद उसे अपने हाथ से नहीं जाने देगा!"

तभी बीच में दूसरे दोस्त ने कहा, "और नहीं तो क्या? ये अकिंत सही बोल रहा है रूद्र!"

रुद्र ने sarcastically, हल्का सा मुस्कुरा कर नीचे देखते हुए कहा, "साला किन चिंदी चोरों के साथ फस गया हूं मैं?"

रुद्र नेअब अपना सिर उठा कर अपने दोस्तों की ओर देखते हुए, अपनी भारी मर्दाना आवाज़ में जोर से कहा, "अगर ऐसा है! तो ठीक है! ये लड़की रूद्र प्रताप सिहं राणा की हुई! और अब अगर किसी ने इसे हाथ लगाने की कोशिश की.. तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!”

अभी तक अपनी किस्मत को कोसती आरोही ने मन ही मन कान्हा जी को धन्यवाद दिया। और रुद्र को उसे शहर तक छोड़नेके लिए request किया। रुद्र, आरोही को car मे बैठने का इशारा करते हुए खुद भी car मे बैठ गया।

Car drive कर रहे रुद्र के दोस्त अकिंत ने मिरर से रूद्र को देख कर नाखशु होते हुए कहा, "मुझे समझ नहीं आता राणा..! तू इतनी समाज सेवा क्यूँ करता है?"

अपने दोस्त की बात सुन रूद्र ने अपने बगल में सिमट कर बैठी आरोही को एक नज़र देखा, जो अपने खुले आँचल को अपने हाथों से छुपा कर बैठी हुई थी। ये देख रूद्र ने कार की पिछली सीट से अपनी शर्ट लेकर आरोही को देते हुए कहा, "लो! इसे पहन लो!" आरोही उसकी गहरी आवाज़ सुनकर ठिठक गई। वहीं रूद्र ने उसे शर्ट देने के बाद अपनी बीयर की बॉटल मुँह से लगा ली।

नशे मे धुत्त होने के बाद भी रुद्र ने कोई बत्तमीजी नही की। ये देख कर आरोही को बहुत सुकून मिला। फाइनली आरोही सेफ फ़ील कर रही थी।

ये कैसा खेल, खेल रही है किस्मत उसके साथ? कपिल से फिलहाल तो वो बच गई थी, लेकिन कब तक वो बचती रहेगी? क्या रुद्र से इस तरह मिलना कान्हा जी का कोई संकेत है? इन्ही विचारों मे, आँखें बंद किए आरोही को रुद्र की आवाज़ सुनाई दी “उठो, मुंबई पहुंच गए..”

“Thank you.. thank you soo sooo much” ऐसा बोल कर जब आरोही जाने लगी, तो कुछ दूर चलते हुए वो परेशान सी थी, और सोच रही थी

“हे भगवान.. अब कहां जाऊं मैं? ” शादी से भागी आरोही के पास कोई खास options नही थे।

वहां से जाती हुई आरोही को नीचे से ऊपर तक देखते हुए रुद्र चिल्लाया “Oo Hello! मेरी shirt!"

आरोही के क़दम अपनी जगह पर रूक गए और उसने शर्ट पर अपनी पकड़ मजबतू कर ली।

रूद्र चल कर उसके पास आया और उसने आरोही से कहा, "ok रखो अपने पास! Next time मिले तो वापस कर देना!"

ये कह कर वो जाने को मुड़ा ही था, कि आरोही ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा,

“Please मुझसे शादी कर लो!”

आरोही की बात सुन कर रूद्र को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ इसलिए उसने मुड़ कर आरोही को देखा तो, आरोही ने अब उसके हाथ को अपने दोनों हाथों में लेकर बिलख-बिलख के रोते हुए कहा

"मैं आपका ये एहसान जिदंगी भर नहीं भूलूँगी.. please.. मुझ से शादी कर लो, please.. please.. मैं बहुत परेशान हूं, please.. शादी कर लो मुझसे.. please!”

रूद्र ने ये सुन के गुस्से में अपना हाथ छुड़ा कर आरोही को धक्का देकर नीचे गिराते हुए कहा, 

"Are you crazy?”

वर अब, वधु को, मंगलसूत्र पहना दें.. आज से आप दोनों एक दूसरे के सुख दुख के साथी हुए… और इसी के साथ ये विवाह सपंन्न हुआ.. शभु मगं लम सावधान..)

ऐसा क्या कहा आरोही ने रुद्र को, जो वो उससे शादी कर बैठा? तक़दीर जब आपको किसी से मिलाने की साज़िश करती है, तो आपका दिमाग़ भी कुछ इस तरह से फिर जाता है, के मानो आपके फैसले आप नही, कोई और ही ले रहा हो।

रात के अंधेरे मे रुद्र ने आरोही से एक छोटे से मन्दिर मे शादी तो कर ली, मगर सबुह होते ही उसका रुख बदल गया। मन्दिर से निकल कर, जब car मे वो जा रहे थे, तो अचानक से break लगा कर रुद्र बाहर निकला और बड़ी बेदर्दी से आरोही को खींच कर car से बाहर निकाल के बोला

"मैं नहीं मानता इस शादी को! सुना तुमने! नही मानता इस शादी को! नशें में था! मुझे नहीं पता कब ये शादी हुई! कब मैंने तुम्हारे साथ फेरे लिए! इसलिए कोई उम्मीद भी मत रखना कि मैं ये शादी निभाउंगा!"

आरोही, रूद्र की बात सुन के अपना सिर उठा कर उसे देखने लगी। वहीं रुद्र, आरोही की आँखों में बेबसी देख कर उसके दिल में हलचल महससू हुई, मगर उसने जल्दी ही उसे ignore किया, और आरोही को खुद से दूर करते हुए कहा 

"निकलो यहां से.. और खबरदार जो कभी मेरे सामने आने की कोशिश की! कोई नहीं जानता इस शादी के बारे में! इसलिए भूल जाओ! और मुझे भी भूलने दो!"

आरोही उसकी बात सुन कर, अब भी उसे एकटक देखती रही तो रूद्र ने गुस्से में कार पर अपना हाथ मारते हुए कहा,

"जाओ.. just go away..!”

कुछ देर ही हुए होंगे जब, आरोही को लगने लगा था, कि सब ठीक हो रहा है, अचानक से रुद्र के बदले तेवर ने उसे बहुत बड़ा झटका दे दिया, रात भर की भागती रोती आरोही इतना emotionally drain हो चुकी थी, के उसे कुछ समझ नही आ रहा था के वो क्या करेगी अब?

"तो! आख़िर आ ही गई वापस!" कपिल ने वर्दी के button लगाते हुए सीढियों से नीचे उतरते हुए कहा।

अपनी मां के साथ खड़ी लड़की को देखके वो मुस्कुराया और अपने क़दम उस लड़की की तरफ़ बढ़ाए।

वो लड़की और कोई नही आरोही ही है। लेकिन क्यों आ गई वो, उसी आदमी के पास, जिसकी क़ैद से वो कल भाग निकली थी?

आरोही ने कपिल को अपने पास आते देखकर, अपने कदमों को पीछे लेते हुए कहा, "हां! मुझे मेरा सामान और मेरे पैसे चाहिए!"

कपिल ये बात सुनकर हंसने लगा और फ़िर अचानक से आरोही का हाथ पकड़ कर हँसते हुए कहा,

"तुम हो क्या? क्या लगता है तुम्हें .. हां? कि तुम .. यहां.. आओगी, और मैं तुम्हें वापस जाने दूंगा? क्यूँ आरोही? तमु इतनी भोली क्यूँ हो? हां? हहाहा.."

आरोही ने उसे हँसता देखकर अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा,

"कपिल! तुम अब कुछ नहीं कर सकते! जाने दो मुझे!"

कपिल ने आरोही के नर्म गाल पर, अपने लोहे जैसे सख्त हाथ से थप्पड़ लगाया, तो आरोही अपने गाल पर हाथ रख, नीचे गिरते हुए बैठ गई। और उसके सिर पर ओढ़ी हुई माता रानी की चुनरी, उसके सिर से हट गई।

कपिल और उसकी मां ने चुनरी हटते ही आरोही किसी सिंदूर से भरी मांग को देखा तो कपिल की मां ने अपने मुँह पर हाथ रखते हुए कहा, "हे राम! ये मांग किसने भर दी तेरी!"

वहीं कपिल, वो तो आरोही को देख कर आग बबूला हो गया। उसने गुस्से में, पीछे गर्दन से आरोही के बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़कर उसे उठाते हुए पूछा 

"क्या मज़ाक है ये सब! क्या करके आई हो? ये सिंदूर?"

कपिल का ध्यान उसके गले में पहने साधारण से मगंलसूत्र पर गया तो उसने उसके बालों पर पकड़ और मजबूत करते हुए कहा, 

"ये नक़ली मगंलसूत्र ! सिंदूर! क्या ढोंग है! ये सब करके तुम मुझे बेवकूफ बनाना चाहती है? मुझे पागल समझती है? ये सब करके तुम मुझसे बच पाएगी? मां! पडिंत जी को बुलाइए! मैं आज.. अभी इससे यहीं पर शादी करूंगा!"

इस पर कपिल की मां ने कहा, "बेटा यहां जबरदस्ती शादी करेगा तो बात बढ़ सकती है! अपनी post का ख्याल कर!”

झुँझलाहट मे कपिल पागल सा हो गया, और आरोही को मारने लगा। किसी criminal को जैसे सवाल पूछते हो वैसे बोलता रहा, “बोल किस्से की है शादी? कौन है वो? और शादी हुई कब? बता..! जवाब दे!”

आरोही बचने की कोशिश करते रोते हुए, बस अपना समान वापिस मांग रही थी।

उन दोनों के बीच में अब कपिल की मां ने चिढ़ते हुए कहा, "नहीं! हमें कुछ नहीं सुनना! तू शादी कर चुकी है ना? ठीक है.. अभी निकल! शाम को अपने पति के साथ में आना और लेकर जाना अपना सामान और पैसे!"

आरोही के जाने की बात सुनकर कपिल ने, ना में सिर हिलाते हुए आगे बढ़कर आरोही को पकड़ना चाहा, के उससे पहले ही उसकी मां ने बीच मेंआते हुए कहा, "नहीं कपिल! जाने दे इसे मैं भी देखना चाहती हूं इसके पति को! और हां hospital में पड़ी इसकी मां का इलाज़ करवाने की अब कोई ज़रूरत नहीं! इसका पति करवाएगा!"

इतना कहकर कपिल की मां आशा ने आरोही का हाथ पकड़कर उसे घर से बाहर निकाल दिया। आरोही ने उन्हें रोकने की कोशिश करते हुए कहा, "नहीं आंटी! मेरे पैसे! प्लीज़ आंटी मुझे मेरा सामान लेने दीजिए.. Aunty please.. please!"

आरोही चिल्लाती रही मगर आशा ने उसके मुँह पर डोर बदं कर दिया।

इधर कपिल ने अपनी मां पर भड़कतेहुए कहा, "ये क्या किया आपने!"

आशा नें बीच में ही रोककर गुस्सा करते हुए कहा, "चुप कर नालायक! अगर कहीं उसकी बात सच हुई तो? अपनी वर्दी से तो हाथ धो ही बैठेगा.. साथ ही साथ जेल जाना पड़ा तो कोई बचाने भी नहीं आयेगा!"

ये सुन कपिल ने कहा, “seriously मां? आप उस बेवकूफ लड़की की बातों में आ रही हैं?"

इस पर आशा ने कहा, "नहीं! सिर्फ़ तुम्हारे बारे में सोच रही हूं! उसे सिर्फ़ बाहर निकाला है.. ये नहीं कहा कि तुम उसका पीछा छोड़ दो.. पुलिस इंस्पेक्टर हो! जाओ! जा कर पता करो, के इस लड़की की बात में कितना दम है, और अगर वो झुठी निकली.. तो घसीटते हुए मेरे पैरों में लाकर पटक देना, फिर वो हाल करूंगी उसका कि अपने मौत की भीख मांगेगी!"

कपिल ने अपनी मां की बात सुनकर समझते हुए, हां में सिर हिलाया।

दरवाज़े के बाहर किसी जानवर की तरह धकेले जाने पर आरोही सिसक-सिसक के रो रही थी, और सोच रही थी के

आखिर वो करे तो करे क्या ?

वो लड़का जिससे उसने शादी कर ली है, जो उसे छोड़के जा चुका है। क्या तक़दीर दोनो को फिरसे मिलाएगी?

अपना समान और पैसे, वो कपिल और उसकी मां के कब्ज़े से कैसे छुड़ाएगी?

अपनी खुद की मां, जो hospital मे जिदंगी और मौत से जूझ रही है, उसके इलाज के लिए वो पैसे कहाँ से लाएगी?

कान्हा जी को रोते हुए याद करके वो अब किसी चमत्कार की ही उम्मीद कर रही थी।

तक़दीर ने क्या लिखा है आरोही की क़िस्मत में?

क्यों इस तरह मिलाया आरोही और रुद्र को तक़दीर ने?

क्या रुद्र के मन में उठी, अरोही के लिए, कुछ ही वक्त की हमदर्दी , फिरसे जागेगी?

क्या शादी का बधंन, जो दोनो को बांध चुका है, दिखायेगा अपना चमत्कार?

कौन है आरोही की मां और कौन है कपिल? रुद्र असल में है कौन? और क्या है उसकी destiny?

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