यह कहानी तो आपने बहुत बार सुनी होगी पर इसको बार-बार पढ़ना भी जरूरी है !
गांव में एक किसान, रामु, अपनी पत्नी और चार बच्चों के साथ रहता था। रामु खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था, लेकिन उसके चारों बेटे बहुत आलसी थे। वे गांव में बेवजह इधर-उधर घूमकर टाइम पास करते रहते थे।
एक दिन रामु ने अपनी पत्नी से कहा, "फिलहाल तो मैं खेतों में काम कर रहा हूँ, लेकिन मेरे जाने के बाद इन चारों का क्या होगा? इन्हें तो खेती के बारे में कुछ भी नहीं पता और ना ही ये जानना चाहते हैं।"
रामु की पत्नी ने कहा, "आप चिंता मत कीजिए, धीरे-धीरे ये भी काम करने लगेंगे।" लेकिन समय बीतता गया और रामु के बेटों ने कोई काम नहीं सीखा।
एक दिन रामु बीमार हो गया और उसकी बीमारी बढ़ती गई। उसने अपनी पत्नी को बुलाकर कहा, "चारों बेटों को बुलाओ, मैं उन्हें एक राज बताने वाला हूँ। शायद अब मैं ज्यादा दिन तक नहीं रह पाऊँगा।"
चारों बेटों के आने पर रामु ने कहा, "मैंने अपने जीवन में जो भी धन कमाया है, वह सारा खजाना हमारे खेतों के नीचे गाड़ रखा है। मेरे जाने के बाद तुम उस खजाने को निकालकर आपस में बराबर बांट लेना।"
पिता की बात सुनकर चारों बेटों की आंखें खुशी से चमक गईं। कुछ समय बाद, रामु की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के बाद, चारों बेटे खेत में खजाना निकालने के लिए गए। उन्होंने सुबह से शाम तक सारा खेत खोद डाला, लेकिन उन्हें कोई खजाना नहीं मिला।
सभी ने घर आकर अपनी माँ से कहा, "माँ, पिताजी ने हमसे झूठ क्यों बोला? खेत में हमें कोई भी खजाना नहीं मिला।" माँ ने कहा, "तुम्हारे पिताजी के इस घर और खेत के अलावा कोई खजाना नहीं है। मेरी बात मानो, अब तुमने खेत खोद ही दिया है तो उसमें बीज भी बो दो।"
चारों ने खेत में बीज बो दिए और माँ की सलाह के अनुसार समय पर पानी भी देते रहे। कुछ समय बाद, फसल तैयार हो गई। इसे बेचकर उन्हें बड़ा मुनाफा हुआ। जब वे मुनाफा लेकर अपनी माँ के पास पहुंचे, तो माँ ने कहा, "तुम्हारी मेहनत ही तुम्हारा असली खजाना है, यही तुम्हारे पिताजी तुम्हें अपने आखिरी समय में समझाना चाहते थे।"
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