एक पति और पत्नी के बीच एक छोटी सी बात पर झगड़ा हो गया। गर्मियों की रात थी, और दोनों अपने-अपने बिस्तर पर अलग-अलग सोने चले गए। घर में सन्नाटा पसरा हुआ था, और बाहर से आने वाली हल्की-हल्की हवा ने उस रात की खामोशी को और भी गहरा बना दिया। रात के किसी पहर में पति की नींद अचानक टूटी। उसे प्यास महसूस हुई। पास की मेज़ पर पानी का गिलास रखा था। उसने बिना किसी को जगाए खुद उठकर पानी पिया।
लेकिन जैसे ही उसने पानी पिया और वापस बिस्तर की ओर मुड़ा, तो देखा कि उसकी पत्नी उसे गुस्से में देख रही थी। उसकी आँखों में नाराज़गी और चिंता का मिश्रण साफ नजर आ रहा था। पत्नी ने गुस्से से कहा, "आपने पानी खुद क्यों पिया?"
पति, जो पहले से ही गुस्से में था, अकड़कर बोला, "हाथ-पांव सलामत हैं मेरे। खुद पी सकता हूँ, किसी का मोहताज नहीं हूँ।"
यह सुनते ही पत्नी ने करीब आकर पति का गिरबान पकड़ लिया और बोली, "सुनो, मेरी लड़ाई अपनी जगह है, लेकिन मैं अपना हक और खुशी छीनने नहीं दूँगी। क्या तुम्हें पता है, तुम्हें पानी देते वक्त मुझे कितनी खुशी होती है? भले ही हमारी बातचीत बंद हो, लेकिन पानी तुम खुद नहीं पियोगे।"
उसकी आँखें नर्म और नाज़ुक थीं, पर उनकी सुर्खी में एक गहरी भावना छिपी हुई थी। उसकी बातों में न केवल प्रेम था, बल्कि एक अधिकार भी था, जो सिर्फ एक पत्नी का होता है। पति ने उसे गले से लगा लिया, और उस एक पल में सारा गुस्सा, सारी नाराजगी पिघल गई। दोनों के बीच का झगड़ा वहीं खत्म हो गया, जैसे वह कभी हुआ ही न हो।
वह रात, वह पल उनके रिश्ते के लिए एक यादगार बन गया। लेकिन जिंदगी हमेशा एक सी नहीं रहती। समय बीता, साल गुजरे, और दस साल बाद, एक रात ऐसा हुआ कि पति फिर से प्यास से जागा। वह उसी मेज़ की तरफ मुड़ा, जहाँ पानी का गिलास रखा था, लेकिन इस बार उसकी नजर उस दीवार पर पड़ी जहाँ उसकी पत्नी की खूबसूरत तस्वीर टंगी हुई थी।
उसने तस्वीर की ओर देखा, और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। वह तस्वीर अब सिर्फ एक यादगार बनकर रह गई थी। वह तस्वीर उसकी पत्नी की थी, जो अब इस दुनिया में नहीं थी। पति ने कांपते हुए हाथों से उस तस्वीर को छुआ, और उसकी आँखों में वह पुरानी रात तैर गई।
उस रात को याद करते हुए उसने अपनी पत्नी की बात को फिर से महसूस किया। उसने याद किया कि कैसे उसकी पत्नी कहा करती थी, "मोहब्बत कभी मर नहीं सकती।"
उसने तस्वीर को गले से लगाया, और उसकी आँखों से बहते आँसू उस दर्द को बयां कर रहे थे, जिसे वह आज तक नहीं भुला पाया था। वह अब भी उसकी बातों को याद करता था, और उसके दिल में एक खामोश दर्द उभर आया था। उसने खुद से कहा, "काश, मैंने उसकी बातें तब समझी होतीं जब वह मेरे साथ थी।"
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे करीब के लोगों की कद्र हमें तब करनी चाहिए, जब वे हमारे साथ हों। जीवन में अक्सर हम छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाते हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जिनसे हम प्यार करते हैं, वे हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं। मोहब्बत और रिश्ते हमारी जिंदगी का सबसे बड़ा उपहार हैं। हमें इनकी कद्र करनी चाहिए और उनके साथ बिताए हर पल को संजोना चाहिए, क्योंकि वक्त का कोई भरोसा नहीं, और एक बार खोई हुई चीजें वापस नहीं आतीं।
इसलिए, अपने प्रियजनों के साथ बिताए हर पल को खुशी और प्यार से भरने की कोशिश करें, ताकि जब कभी आप पीछे मुड़कर देखें, तो आपके पास सिर्फ मीठी यादें हों, न कि पछतावे।
तभी नक्श वहां आ गया.. पर उसने उन दोनों को नज़र अंदाज़ करके अंदर जाना ठीक समझा.. भाईसाहब का Attitude देखने लायक था.. जब अनिका ने देखा की नक्श उसे Ignore करता हुआ अपने कमरे की तरफ जा रहा हैं तो अनिका को और भी ज़्यादा गुस्सा आ गया.. उसी समय चित्रा ने नक्श पर तंज कस्ते हुए कहा.. "ये लो.. आ गए साहबजादे नैन मटक्का करके.. और हाँ.. यहाँ तुम्हारी कामचोरी के बारे में बात चल रही है.. समझे..''|
अनिका को ऑफिस के लिए देरी हो रही थी इसलिए उसने चिढ़ते हुए चित्रा से कहा.. "मम्मी प्लीज़.. नॉट नॉव.. अभी मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है.. वहां विहान मेरा इंतज़ार कर रहा होगा..''|
विहान का नाम सुनते ही नक्श के चेहरे का रंग फ़ीका पड़ गया.. अनिका ने नक्श के चेहरे के उड़े हुए रंग को पूरी तरह Ignore करते हुए उस से कहा.. "देखो.. कामचोरी में तुम सबसे आगे निकल गए हो.. मैं आज तुम्हें एक आख़िरी मौका दे रही हूँ.. तुम मेरे साथ ऑफिस चलो और वहाँ से लौटते समय रमणीक भाई की शॉप से मेरा सेट उठा लेना.. अब चलो.. तुम्हारे कारण मैं पहले ही बहुत लेट हो चुकी हूँ.."|
अनिका और नक्श कुछ ही देर में अनिका के ऑफिस पहुँच गए.. कार से उतरते हुए अनिका ने देखा की उसके पास बोहत सारी फाइल्स हैं.. उसने नक़्श की तरफ़ देखा और उसे अंदर आने के लिए कहा.. ''यह सब लेकर अंदर चलो..''|
अनिका आगे आगे चल रही थी और नक्श उसके असिस्टेंट की तरह हाथ में अनिका का बैग और सामान लिए उसके पीछे चल रहा था.. अनिका जब अपने कैबिन में पहुंची तो उसका दोस्त और बिज़नस पार्टनर विहान बजाज पहले ही वहां बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था.. अनिका को देखकर विहान कुर्सी से खड़ा हुआ और बोला.. "यार अनिका.. तुम कहाँ रह गयी थीं..? पता है मैं पिछले एक घंटे से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ..?''|
जब नक्श ने विहान की बात सुनी तो वो मन ही मन बोला.. "ये आदमी इतना खाली है कि एक घंटे से यहां बैठा मेरी बीवी अनिका का इंतज़ार कर रहा है.."|
अपने चेहरे पर Apologies लिए.. अनिका ने कहा.. "विहान.. I'm so sorry यार.. कुछ लोगों के कारण घर से निकलने में देर हो गई.." अनिका की बात सुनकर.. विहान के एक घंटे इंतज़ार करने की शिकायत एक पल में ही गायब हो गयी और वो बस मुस्कुराते हुए अनिका को ही देखे जा रहा था.. वो आज बहुत ही ज़्यादा खुश नज़र आ रहा था.. और अनिका ने भी उसकी ख़ुशी को नोटिस कर लिया था.. "विहान.. तुम इतना मुस्कुरा क्यों रहे हो..? तुम्हारी कोई लोटरी लग गई हैं क्या..? हा.. हा.. हा.. हा..'' अनिका ने विहान से एक दोस्त की तरह मज़ाक में लॉटरी वाली बात पूछी थी लेकिन विहान ने उसका जवाब देते हुए कहा.. "हाँ.. ऐसा ही कुछ समझ लो.. तुम्हारा आना किसी लॉटरी से कम है क्या..?''|
विहान की ये बात सुनकर अनिका और नक्श दोनों ही चौंक गए.. नक्श ने गुस्से से विहान की तरफ़ देखा और बोला "भाईसाहब.. आप ऑफ़िस में है इस बात को मत भूलिए.. और दोस्ती की सीमा भी नहीं भूलिए.."|
नक्श की बात सुनकर.. अनिका ने नक्श की ओर देखा और उसे चुप कराते हुए बोली.. "तुम बीच में मत बोलो.." और फ़िर वापस विहान की ओर देख कर बोली.. "मैं तुम्हारी बात का मतलब नहीं समझी विहान.."|
विहान समझ गया था कि अनिका उसकी बात से थोड़ी अनकंफर्टेबल हो गई हैं.. इसलिए उसने झट से बात बदल दी और बोला.. "अरे ये सब छोड़ो.. मैं आज इतना खुश क्यों हूं ये Important नहीं है.. Important ये हैं की मैं तुम्हारे लिए एक गिफ्ट लाया हूं अनिका.." यह बोलते हुए विहान और भी ज्यादा खुश नज़र आने लगा और तभी उसने अपने बैग से Necklace का एक खूबसूरत बॉक्स बाहर निकाला और खोल कर अनिका के सामने रखते हुए बोला.. "ये देखो.. अनिका तुम्हारे लिए डायमंड का रेयर नेकलेस.."|
डायमंड नेकलेस देख कर अनिका Surprised होते हुए विहान से बोली.. "ये तुम मेरे लिए लाए हो विहान..?"|
नक्श भी उस डायमंड नेकलेस को देख कर पहले तो चौंका लेकिन फिर कुछ देर ध्यान से उस नेकलेस को देखने के बाद गम्भीर आवाज़ में बोला.. "ये तो उस रेयर नेकलेस की कॉपी हैं.. ये ओरिजनल नेकलेस नहीं है अनिका.."|
बीते ढाई सालों में जिस नक्श के मुँह से एक आवाज़ नहीं निकली.. आज उसने इतनी बड़ी बात कह कर सबको कर दिया हैरान।
नक्श की हिम्मत के पीछे क्या राज छुपा था..?
विहान और नक्श के बीच क्या होगा..? क्या विहान.. गुस्से में नक्श पर हमला करने वाला था..? आख़िर नक्श अब विहान और अनिका के साथ क्या करने वाला है?
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