मेरी शादी अनुज के साथ हुई थी

मेरी शादी अनुज के साथ हुई थी, जो एक बहुत ही अच्छे और समझदार इंसान हैं। हमारी शादी पंजाबी रीति-रिवाज़ से हुई, लेकिन ससुराल वालों ने मेरी ख़ुशी का पूरा ख्याल रखा। उन्होंने मुझे अपनी पसंद की ड्रेस पहनने की इजाज़त दी, जिससे मैं बेहद खुश थी। मेरे ख़ास दिन पर मुझे अपने मन की करने का मौका मिला, और मैं यह सोचकर बेहद रोमांचित थी। मैंने भी उनके हर रीति-रिवाज़ को दिल से स्वीकार किया और शादी के बाद सारे रस्मों-रिवाजों को खुशी-खुशी निभाया।

कुछ समय बाद, मैं अपने मायके गई। पापा को देखकर मुझे कुछ अजीब सा लगा। वह पहले से ज्यादा कमजोर और खोये-खोये से लग रहे थे। माँ से जब मैंने उनके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, "तुम्हारे शादी के बाद से पापा बहुत शांत और उदास से हो गए हैं। वह हर वक्त किसी गहरी सोच में डूबे रहते हैं। शायद तुम्हें अपनी ज़िंदगी से दूर जाते देखना उनके लिए आसान नहीं था।"


मैंने पापा के साथ शाम की चाय पी और उनसे उनकी उदासी की वजह जानने की कोशिश की, लेकिन पापा ने कुछ नहीं बताया। उनका हंसमुख चेहरा अब थोड़ी उदासी से ढका हुआ सा लगता था। मैंने उनसे वादा किया कि जल्द ही फिर मिलने आऊंगी, और पापा के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। अनुज मुझे लेने आए थे, और मैं मायके से विदा लेकर ससुराल लौट आई।


कुछ दिनों बाद, मेरे चाचा का फोन आया। उन्होंने मुझसे मेरी और पापा की खैरियत पूछी और धीरे से कहा, "तुम्हारे पापा अभी तक यह स्वीकार नहीं कर पाए हैं कि तुम अब उनके साथ नहीं रहतीं। वो आज भी रोज़ शाम को उसी बस स्टॉप पर जाते हैं, जहां कभी तुमसे मिलने आया करते थे, तुम्हारे साथ घर लौटते थे।"


चाचा की ये बातें सुनकर मेरी आंखें भर आईं। मुझे याद आया, कैसे पापा हर शाम मेरे आने का इंतजार करते थे, और हम दोनों हंसते-बोलते घर की ओर जाते थे। वह समय जैसे बीतता गया, लेकिन पापा का दिल अभी भी उसी वक्त में अटका हुआ था।


मैंने बालकनी में जाकर बारिश की बूंदों को गिरते देखा, जो मेरी आंखों से बह रहे आंसुओं में मिल गईं। जीवन का कड़वा सच मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था। बेटों को भले ही कहा जाए कि शादी के बाद तुम पराए हो गए हो, लेकिन सच्चाई यह है कि बेटियों के लिए तो शादी के बाद सब कुछ बदल जाता है—उनका घर, उनका हक़दार, और यहां तक कि उनके पास रह जाने वाली यादें भी।


पापा के दिल में अब भी वह पुरानी शामें बसती हैं, जब हम दोनों साथ होते थे। और मेरे दिल में बसी हैं वे अनमोल यादें, जो हमेशा याद दिलाती हैं कि शादी के बाद भी बेटी का दिल मायके में ही रहता है, चाहे वह कितनी ही दूर क्यों न हो।


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