एक समय की बात है, एक शक्तिशाली

एक समय की बात है, एक शक्तिशाली और धनी राजा था जिसका नाम विक्रमादित्य था। उसकी एक सुंदर, बुद्धिमान और जिद्दी बेटी थी जिसका नाम सुमन था। सुमन का विवाह योग्य उम्र में पहुंचने पर राजा विक्रमादित्य ने अपनी बेटी के लिए एक स्वयंवर की घोषणा की। सुमन ने अपनी शर्त रखी कि वह उसी से विवाह करेगी जो उसे 20 तक की गिनती सुनाए, जिसमें पूरा संसार समाहित हो। यह शर्त केवल राजाओं और महाराजाओं के लिए ही थी, और अगर कोई यह शर्त पूरी नहीं कर पाया, तो उसे 20 कोड़े खाने पड़ेंगे।

स्वयंवर के दिन देश-विदेश से कई राजा और महाराज आए। राजा विक्रमादित्य ने उनके स्वागत में शानदार दावत रखी। महल में मिठाइयों और पकवानों की महक चारों ओर फैली हुई थी। सभी राजा और महाराजा दावत का आनंद ले रहे थे, लेकिन उनके दिलों में सुमन की कठिन शर्त का भय भी बैठा था।


सभा में राजकुमारी का स्वयंवर शुरू हुआ। एक के बाद एक राजा, महाराजा, और योद्धा आए और गिनती सुनाने की कोशिश की। सभी ने वही गिनती सुनाई जो उन्होंने अपने जीवन में सीखी थी। कोई एक से बीस तक की साधारण गिनती सुनाता, तो कोई कुछ और, लेकिन कोई भी ऐसी गिनती नहीं सुना सका जिससे सुमन संतुष्ट हो सके।


हर असफल प्रयास के बाद, उन राजाओं को 20 कोड़े मारने का आदेश दिया जाता। कई राजा तो डर के मारे सभा में आने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे थे। वे आपस में कहने लगे, "यह क्या पागलपन है? राजकुमारी हमें केवल पिटवाने के लिए यह शर्त रख रही है।"


इसी बीच, एक साधारण सा दिखने वाला हलवाई, जिसका नाम रामू था, सभा के बाहर खड़ा होकर यह तमाशा देख रहा था। रामू के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी। उसने धीरे से कहा, "इन राजाओं को 20 तक की गिनती भी नहीं आती, डूब मरना चाहिए इन्हें!"


उसकी बात सुनकर पास खड़े कुछ राजा नाराज हो गए। वे बोले, "तुम्हें गिनती आती है क्या? अगर आती है तो सभा में जाकर सुना दो।"


रामू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मैं एक साधारण हलवाई हूं। अगर मैं गिनती सुनाऊंगा भी, तो क्या राजकुमारी मुझसे शादी करेगी? यह स्वयंवर तो केवल राजाओं के लिए है, मेरे सुनाने से मुझे क्या लाभ?"


राजकुमारी सुमन, जो पास ही खड़ी थी, उसकी बात सुनकर बोली, "ठीक है, अगर तुम गिनती सुना सको, जो मेरी शर्तों पर खरी उतरे, तो मैं तुमसे विवाह करूंगी। लेकिन अगर तुम असफल रहे, तो तुम्हें मृत्युदंड दिया जाएगा।"


सभी लोग हैरान थे। रामू, जो केवल एक हलवाई था, उसकी मौत अब निश्चित लग रही थी। सभी की नजरें रामू पर टिक गईं।


राजा विक्रमादित्य ने रामू को गिनती सुनाने का आदेश दिया। रामू ने सिर झुकाकर राजा को प्रणाम किया और फिर उसने गिनती शुरू की:


एक भगवान,

दो पक्ष (धूप और छाँव),

तीन लोक (स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल),

चार युग (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग),

पांच पांडव,

छह शास्त्र (साहित्य, संगीत, नृत्य, चित्रकला, वास्तुकला, शिल्पकला),

सात वार (सोमवार से रविवार तक),

आठ खंड (भूगोल के आठ बड़े खंड),

नौ ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु),

दस दिशा (उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, और इनके बीच की दिशाएं),

ग्यारह रुद्र (शिवजी के 11 रूप),

बारह महीने (जनवरी से दिसंबर तक),

तेरह रत्न (समुद्र मंथन के समय प्राप्त हुए रत्न),

चौदह विद्या (शास्त्र, दर्शन, धर्म, न्याय, गणित, संगीत, नृत्य, कला, चिकित्सा, भूगोल, ज्योतिष, राजनीति, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र),

पन्द्रह तिथि (पंद्रह दिन का पखवाड़ा),

सोलह श्राद्ध (पितरों के लिए),

सत्रह वनस्पति (सत्रह प्रमुख वनस्पतियाँ जो जीवन का आधार हैं),

अठारह पुराण (भारतीय धर्मग्रंथ),

उन्नीसवां तुम (राजकुमारी सुमन),

बीसवां मैं (हलवाई रामू)।

रामू की यह गिनती सुनकर पूरा दरबार स्तब्ध रह गया। राजकुमारी सुमन ने पहली बार किसी की गिनती सुनकर सिर झुकाया। यह गिनती सिर्फ संख्याएं नहीं थीं, बल्कि उनमें संसार का सार छिपा था। रामू की बुद्धिमत्ता ने सभी को हैरान कर दिया।


राजकुमारी सुमन ने राजा विक्रमादित्य के सामने कहा, "पिताजी, मैं इस गिनती से पूरी तरह संतुष्ट हूं। रामू की बुद्धिमत्ता और ज्ञान ने मेरा दिल जीत लिया है। मैं अपनी शर्त के अनुसार अब रामू से विवाह करूंगी।"


राजा विक्रमादित्य ने थोड़ी देर के लिए सोचा, लेकिन फिर उन्होंने कहा, "राजकुमारी, तुमने अपनी शर्त पूरी कर दी है और रामू ने तुम्हारी चुनौती को सफलतापूर्वक पार किया है। यह विवाह अब हमारे कुल के लिए एक नई दिशा का प्रतीक बनेगा।"


रामू और सुमन का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। रामू का ज्ञान और समझदारी अब सबके सामने थी। वह केवल एक साधारण हलवाई नहीं था, बल्कि एक सच्चे ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति था, जिसने राजकुमारी के हृदय को जीत लिया।


यह कहानी हमें यह सिखाती है कि ज्ञान और समझदारी का स्थान कहीं भी हो सकता है, चाहे वह राजा हो या एक साधारण व्यक्ति। सही दृष्टिकोण और सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता ही इंसान को महान बनाती है।


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