हीरों का हार
एक रानी का हीरों का हार,एक बाज आया और झपटा मारकर ले उड़ा और उसे लेकर एक पेड़ पर जा बैठा और खाने की कोशिश करने लगा हीरे तो कठोर होते हैं. उसने चोंच मारा तो दर्द से कराह उठा. उसे समझ में आ गया कि यह उसके काम की चीज नहीं. वह हार को उसी पेड़ पर लटकता छोड़ उड़ गया. रानी को वह हार बहुत प्यारा था. उसने राजा से कह दिया कि हार का तुरंत पता लगवाएं. राजा ने कहा कि दूसरा हार बनवा देगा लेकिन उसने जिद पकड़ ली कि उसे वही हार चाहिए इसलिए राजा ने सारे सैनिकों को हार खोजने पर लगा दिया और यहां तक कह दिया कि जो भी वह हार खोज निकालेगा उसे वह आधे राज्य का अधिकारी बना देगा. अब तो होड़ लग गई. राजा के अधिकारी और प्रजा सब आधे राज्य के लालच में हार ढूंढने लगे. अचानक वह हार किसी को एक गंदे नाले में दिखा, राज्य के लोभ में एक सिपाही उसे निकालने कूद गया. उसने बहुत हाथ-पांव मारा, पर हार नहीं मिला, कई और सिपाही यहां तक कि सेनापति भी कूदे लेकिन उन्हें भी वह हार नहीं मिला, इस तरह वहां बहुत लोग एकत्रित हो गए और हार निकालने की कोशिश करने लेकिन वह हार किसी को नहीं मिला. इतने में राजा को खबर लगी. राजा को भय हुआ कि आधा राज्य हाथ से निकल जाए, इसलिए क्यों ना मैं ही उसे वहां जाकर स्वयं निकाल लूं इसलिए वह भी वहां पहुंचकर कूद गया परंतु और उसे भी हार नहीं मिला. तभी एक संत उधर से गुजर रहे थे उन्होंने सबको वहां कीचड़ में सना देखा तो चकित हुए. और पूछ बैठे- क्या इस राज्य में नाले में कूदने की कोई परंपरा है ? लोगों ने बताया कि महारानी का हार इस नाले में गिर गया है लेकिन बड़े प्रयास करने के बाद भी वह मिल नहीं रहा है
संत हंसने लगे और बोले आप उस हार को गलत जगह ढूंढ रहे हैं क्योंकि वह हार इस नाली में नहीं बल्कि इस नाली के ऊपर पेड़ की टहनी पर लटका है, नीचे नाली में तो केवल उसकी परछाई दिख रही है।
इस कहानी में जैसे लोग हार को गलत जगह ढूंढ रहे थे और इसलिए वह उन्हें नहीं मिल रहा था, ठीक वैसे ही संसार के लोग भी अज्ञान के कारण परमात्मा को बाहर ढूंढते घूम रहे हैं, पर प्रभु अभी तक किसी को बाहर मिला ही नहीं है ऐसा इसलिए क्योंकि वह बाहर कहीं नहीं वह तो अपने अंदर ही मौजूद है, जिसे भी प्रभु मिला है, अपने अंदर ही मिला है। *अपने अंदर मौजूद प्रभु तक पहुंचने के लिए हमें समय के पूर्ण संत/ सतगुरु की आवश्यकता पड़ती है! जो ब्रह्मज्ञान की दीक्षा के समय ही नि:शुल्क हमारे अन्तःकरण मे ईश्वर का दर्शन/दीदार करा दे..!!
सुब्रत रॉय सहारा देश के जाने माने अमीर आदमी सहारा ग्रुप के मालिक सुब्रत रॉय ने 2004 में जब अपने बेटों की शादी की तो करीब 500 करोड़ रुपये खर्च किये ये उस समय की सबसे महंगी शादी थी अमिताभ बच्चन शाहरुख खान सचिन तेंदुलकर अरुण जेटली सोनिया गांधी अनिल अम्बानी आनन्द महिंद्रा ऐश्वर्या राय माधुरी दीक्षित जैसे बॉलीवुड बिजनेस खेल और राजनीतिक दुनिया का ऐसा कोई मशहूर शख्स नही जो उस शादी में नही आया हो हॉलीवुड से डांसर और सिंगर बुलाये हर प्रकार का संगीत था हर तरह का खाना था मतलब अपने बेटों की शादी में सहारा ग्रुप के मालिक ने कोई कसर नही छोड़ी‼️
___सहारा ग्रुप ने पूरे देश में हर इंडस्ट्री में सहारा ग्रुप का इन्वेस्टमेंट था खूब सोहरत थी और अभी 3 दिन पहले लम्बी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया उनके निधन के बाद उनकी बॉडी 2 दिन तक मोर्चरी में पड़ी रही उनके दोनों बेटे उनके अंतिम संस्कार में भी नही आये बाद में उनका एक पोता आया और उनको मुखाग्नि दी उनके दोनो बेटे विदेशों में थे उन्होंने आने में असमर्थता जताई और वो आये भी नही जिस बाप ने अपने बेटों पर कभी करोड़ों रुपये लुटाए वो बेटे अपने पिता की बीमारी में हालचाल तक नही पूछने आये यहाँ तक मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार में मुखाग्नि तक नही देने आए‼️
▪️अपने जमाने का मशहूर शख्स लखनऊ के मोर्चरी हाउस में 2 दिन तक वीरान पड़ा रहा उसके परिवार इष्ट मित्र जिनपर उसने करोड़ों रुपये लुटाए वो उसके मरने के बाद अंतिम संस्कार में भी शामिल नही हुवे देश की क्रिकेट टीम की जर्सी को 20 साल तक स्पोंसर करने वाले सहारा की मौत के दिन पूरा देश क्रिकेट में व्यस्त था सचिन तेंदुलकर को छोड़कर शाहरुख खान अमिताभ बच्चन जैसे उनके केई परम् मित्रों ने उनकी मौत पर ट्वीट तक नही किया‼️
___दोस्तों ये दुनिया की हकीकत है हम ये दौलत जो गरीबों के पेट पर लात मारकर कमाई जाती है ये किसी काम की नही सुब्रत रॉय सहारा की जिंदगी में काला अध्याय भी जुड़ा धीरे धीरे उनकी सोहरत भी फीकी पड़ी सुब्रत रॉय सहारा का नाम फ्रॉड और धोखाधड़ी में आया सहारा ग्रुप ने इन्वेस्टर के पैसों का गबन किया और आखिर सहारा ग्रुप ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया लाखों लोगों के करोड़ों रुपये डूब गए मोदीजी की सरकार में CBI जांच बैठी उनपर केस चलाया गया और उन्हें जेल में बन्द कर दिया काफी दिन जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली और बीमारी के चलते उनका निधन हो गया आप लोग खुद सोचिये इस शख्स के ये दौलत क्या काम आई जो उसने आम मध्यम वर्गीय लोगों को झांसा देकर कमाई थी सुब्रत रॉय अंत समय में भी रोते बिलखते तड़पते अपने लाडले बेटों का इंतजार करते रह गये और बेटे विदेशों में मौज उड़ाते रह गए‼️
हम आज सुखी है अपने परिवार के साथ है उनके साथ खाना खाते है हर त्योहार मनाते है भले ही दौलत उनके जितनी नही है पर हम उनसे ज्यादा सुखी है और गर्व है कि हमारी दौलत किसी गरीब के पेट पर लात मारकर नही कमाई हुई है‼️
*मेले की भीड़ में बच्चा जबतक अपनों का हाथ पकड़ कर चलता है, तब तक उसे मेला बहुत ही सुंदर लगता है, वो बच्चा अगर मेले में अपनों से बिछड़ जाए, तो मेला उसे डरावना और नीरस लगने लगता है। दुनिया के मेले में भी हम जब तक अपनों से जुड़े हुए रहते हैं, उनका हाथ थामे हुए रहते हैं, तो हमारे लिए दुनिया बहुत सुंदर है, चाहे अपनों के लिए सारे संसार से लड़ लेना, मगर कभी भी संसार की बातों में आकर अपनों से मत लड़ना, क्योंकि संसार कभी साथ नहीं देता,। साथ तो हमेशा अपने ही देते हैं एक प्यारी सी लाइन उल्टी पढ़ो यहां सीधी कैसे भी पढ़ो अच्छा लगता है कि "है ज़िंदगी तो अपने हैं" शंका का कोई इलाज नही, चरित्र का कोई प्रमाण नहीं, शब्द से तीखा कोई बाण नहीं, और मौन से अच्छा कोई साधन नहीं, जिन्दगी में खुशी का अर्थ लड़ाइयाँ लड़ना नहीं, बल्कि उनसे बचना है, कुशलता पूर्वक पीछे हटना भी अपने आप में एक जीत हे।*
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