अर्जुन की दुल्हनिया डाउनलोड फ्री

महसूस करें- मैं कृतज्ञ हूँ, उस हर एक व्यक्ति के लिए जिसने मुझे सही राह दिखाई


सत्य घटना


हैरी नाम का एक वृद्ध व्यक्ति था। वह बहुत गरीब था। वह अपनी गुजर-बसर भीख मांग कर करता था ताकि उसे रात भर सड़क पर ना सोना पड़े।  


एक सुबह, उसने हमेशा की तरह अपनी चटाई बिछाई, भीख माँगने के लिए अपना प्याला रखा और माँगने के लिए याचना करने लगा। आस-पास बहुत सारे ऑफिस थे, तो कई सारे लोग वहाँ से हर रोज गुजरते थे। लेकिन उस दिन, कोई भी हैरी की ओर ध्यान नहीं दे रहा था। उसे लगा आज कुछ नहीं मिल सकेगा और वह उदास महसूस करने लगा। पर उसे नहीं पता था कि उस दिन उसकी किस्मत बदलने वाली है। 


कुछ ही देर में वहाँ से एक युवती गुज़री। उसने मुस्कुराकर हैरी का अभिवादन किया व उसके प्याले में $20 डाल दिए। वह चौंक गया! यह पहली बार था जब किसी ने उसे इतने पैसे भीख में दिए थे! हैरी ने आभार व्यक्त करते हुए उस युवती से उसका नाम पूछा। 


युवती ने मुस्कुराकर अपना नाम "सारा" बताया। हैरी बड़ा ही खुश होकर उत्साह से उसे बताने लगा, "मुझे आज रात सड़क पर नहीं सोना पड़ेगा! धन्यवाद, आपकी वजह से आज रात मैं चैन से सो सकता हूँ।" फिर उसने पूछा, "आपने मुझे इतने पैसे क्यों दिए?"

         

सारा ने बड़े ही प्यार से उस वृद्ध व्यक्ति को कहा, "मेरा यह मानना है कि *जो हम करते हैं वह प्रकृति हमें वापस ज़रूर देती है।* जैसा हम बोएंगे, वैसा फल मिलेगा।" दोनों ने कुछ समय बातचीत की, और फिर सारा का लंच ब्रेक खत्म होने के कारण उसे जाना पड़ा। उसने हैरी को आगे के लिए शुभकामनाएँ देकर अलविदा कहा।


थोड़े समय में हैरी को लगा कि उसे पैसे गिनकर देखना चाहिए, शायद एक दिन के लिए पर्याप्त राशि इकट्ठी हो गई हो। उसने पैसे गिनना शुरू किया तो उसे प्याले में कुछ चमकता हुआ नजर आया। वहाँ एक अंगूठी पड़ी देख वह हैरान रह गया, और सोचने लगा कि यह अंगूठी यहाँ कैसे पहुँची।


फिर उसे लगा कि प्याले में पैसे डालते समय सारा के हाथ से अंगूठी उसी में गिर गई होगी।

        

वह तुरंत सारा को ढूँढने के लिए जुट गया - गलियों में इधर-उधर ढूँढता, आस-पास के ऑफिस में पूछता। लेकिन वह उसे कहीं नहीं मिली और वह तलाश करते-करते थक गया।


अचानक उसके मन में लालच जाग उठी। उसने सोचा, अगर वह अंगूठी बेच दे, तो उसे कई महीनों तक सड़क पर नहीं सोना पड़ेगा!


यही सोचते हुए वह एक सुनार की दुकान पहुँच गया, और अंगूठी बेचने के लिए दुकानदार से उसकी कीमत पूछी। सुनार ने उसे $4000 अंगूठी की कीमत बताई और जिसे सुनकर हैरी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। यह उसके लिए बहुत बड़ी रकम थी! सुनार के प्रस्ताव को सुनकर, हैरी पैसे लेकर कुछ महीने आराम में बिताने के लिए ललचाने लगा। वह अनेक सुविधाओं की कल्पना करने लगा, और हर रात चैन से सोने की संभावना ने उसे बहुत लुभाया। लेकिन अचानक उसे सारा के शब्द याद आ गए :*"जो हम करते हैं वह प्रकृति हमें वापस जरूर देती है"*।  


उसे मानो एक झटका सा लगा। सारा के वह शब्द उसे वापस वर्तमान में ले आए और उसकी गलती का एहसास कराया। और उसने अंगूठी नहीं बेचने का फैसला किया व फिर से सारा की खोज में लग गया। वह आस-पास के सभी कार्यालयों में जाकर पूछने लगा। तभी उसे याद आया कि सारा ने पिछली गली में काम करने की बात कही थी।


वह उस गली में गया और हर एक ऑफिस में जाकर पूछा। इस तरह वह उस गली के अंतिम ऑफिस में पहुँचा, और पूछा, "क्या सारा यहाँ काम करती है?" और आखिर उसे वह मिल गई। 


सारा उसे वहाँ देखकर बहुत हैरान हुई और बोली, "बताइए, मैं आपकी कैसे मदद कर सकती हूँ।" हैरी ने तुरंत उसकी अंगूठी निकाली और कहा, "मुझे लगता है यह आपकी है। शायद पैसे डालते समय यह आपके हाथ से गिरकर मेरे प्याले में आ गई थी।"


उस अंगूठी को देखते ही सारा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा, "मैं वास्तव में आभारी हूँ कि आप इसे वापस लाए। आप नहीं जानते कि यह मेरे लिए कितनी मायने रखती है! मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ।" 


पर उसके मन में एक सवाल आया जो वह पूछे बिना रह न सकी। "अगर आप चाहते तो आप अंगूठी बेच कर बहुत पैसा कमा सकते थे। आपने इसे वापस क्यों किया," उसने उत्सुकतावश पूछा।


यह बात सुनकर हैरी ने कहा,"आपने इतनी उदारता से मेरी मदद की, मैं कम से कम इतना तो कर ही सकता हूँ। और वैसे भी, एक बुद्धिमान महिला ने मुझे कभी कहा था, *जो हम करते हैं वह प्रकृति हमें वापस जरूर देती है।*"

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उस वृद्ध व्यक्ति की यह बात सुनकर सारा का हृदय गदगद हो गया और उसे दिल से शुक्रिया करते हुए सारा ने कहा, "आप जानते हैं, यह मेरी शादी की अंगूठी है। मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगी।"


एक सांप को एक बाज़ आसमान पे ले कर उड राहा था..


अचानक पंजे से सांप छूट गया और कुवें मे गिर गया बाज़ ने बहुत कोशिश की अखिर थक हार कर चला गया..

सांप ने देखा कुवें मे बड़े किंग साईज़ के बड़े बड़े मेढक मौजूद थे..

पहले तो डरा फिर एक सूखे चबूतरे पर जा बैठा और मेढकों के प्रधान को लगा खोजने..

अखिर उसने एक मेढक को बुलाया और कहा मैं सांप हूँ मेरा ज़हर तुम सब को पानी मे मार देगा..

ऐसा करो रोज़ एक मेढक तुम मेरे पास भेजा करो, वह मेरी सेवा करेगा और तुम सब बहुत आराम से रह सकते हो..

पर याद रखना एक मेढक रोज़ रोज़ आना चाहिए.. एक एक कर के सारे मेढक सांप खा गया..

जब अकेले प्रधान मेढक बचा तब सांप चबूतरे से उतर कर पानी मे आया और बोला प्रधान जी आज आप की बारी है

प्रधान मेढक ने कहा मेरे साथ विश्वास घात ? सांप बोला जो अपनो के साथ विश्वास घात करता है उसका यही अंजाम होता है।

फिर उसने प्रधान जी को गटक लिया।

कुछ देर के बाद साँप आहिस्ता आहिस्ता कुवें के ऊपर आ कर चबूतरे पर लेट गया..

तभी एक बाज़ ने आ कर साँप को दबोच लिया..

पहचान साँप मुझे मैं वही बाज़ हूँ जिसके बच्चे तूने पिछले साल खा लिये थे..

और जब तुझे पकड़ कर ले जा रहा था तब तू मेरे पंजे से छूट कर कुवें मे जा गिरा था..

तब से मैं रोज़ तेरी हरकत पर नज़र रखता था.. आज तू सारे मेढक खा कर काफी मोटा हो गया..

मेरे फिर से बच्चे बड़े हो रहे है वह तुझे ज़िंदा नोच नोच कर अपने भाई बहनो का बदला लेंगे..

फिर बाज़ साँप को लेकर उड़ गया अपने घोसले की तरफ..

बुराई एक दिन हार जाती है वह चाहे कितनी भी ताक़त वर हो..!!
   

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