सही-सोच-का परिणाम
एक बार एक गांव मे एक सरपंच जी रहते थे उनकी प्रखर बुद्धि से उन्हे जाना जाता था। पूरा गांव उनका सम्मान करता था। तथा गांव की खुशहाली के लिए सरपंच जी खूब मेहनत करते थे। यही नही दूर दूर से भी लोग उनके पास न्याय मांगने आते थे।
एकबार दूर गांव से उनको मिलने एक व्यक्ति आता है और कहता है कि मैने किसी यात्री को रात मे रहने के लिए जगह दी थी। किन्तु वह कीमती चीज लेकर भाग गया।
सरपंच जी कहते है कि उस व्यक्ति को और जिसने उसे पकड़ा उसे यहां उपस्थित करो। दूसरे दिन दोनों को उपस्थित किया जाता है। सरपंच जी पहले यात्री अतिथि से पूछते है। कि क्या तुमने चोरी की है? वह कहता है नही मै तो आराम से कमरे मे सो रहा था मैने चोर की आवाज सुनी तो उसके पीछे भागा और मुझे ही दोशी बताया गया।
फिर दूसरे कैदी से पूछते है जो की गांव का ही चौकीदार था। वह कहता है कि मैने इसे भागते हुए देखा तभी मैने इसको पकडा। सरपंच की कुछ समझ मे नही आ रहा था। उन्हे दूसरे दिन आने को कहा लेकिन दूसरे दिन भी कुछ न हुआ।
फिर सरपंच जी ने एक उपाय सोचा और कहा कि गांव के बाहर एक बक्सा पडा है तुम दोनों उसे मेरे पास लादो तो तुम दोनों ने की चोरी की सजा को क्षमा किया जाएगा। दोनों दौड़ते हुए जाते है और दोनो चले जाते है बक्सा लाते समय दोनो बाते करते है कि तू गांव का चौकीदार है तो फिर चोरी क्यों करता है।
तबतक चौकीदार कहता है कि मै तो चोरी कर रहा था तो तुमने मुझे पकडा क्यों फिर दोनों पहुच जाते है और कहते है इसमे इतना भारी क्या है।
सरपंच जी बक्सा खोलते है, तो उससे एक आदमी निकलता है । वह आदमी सब कुछ कहता है जो उसने सुना था। आखिर चौकीदार को सजा होती है और अतिथि को सम्मानित किया जाता है।
आखिर सरपंच जी की सोच ने एक सही फैसला सुनाया जिससे वह अतिथि निर्दोष साबित हुआ।
मित्रों" इसीलिए कहा गया है कि सोच बडी होनी चाहिए उससे हर समस्या के हल निकल जाता है..!!
तीन बुद्धिमान व्यक्ति और ऊँट:
एक बार अरब के एक छोटे से गाँव में एक आदमी रहता था। उसके पास एक ऊँट था. वह जब भी यात्रा पर जाता तो अपने ऊँट के साथ ही जाता। ऐसी ही एक यात्रा में उसने अप्रत्याशित रूप से अपना ऊँट खो दिया। वह अपने ऊँट की तलाश में था। उसने सभी से पूछा, "क्या तुमने मेरा ऊँट देखा है।" लेकिन हर जगह उसका प्रयास व्यर्थ गया।
एक दिन जब वह किसी शहर से होकर आया तो रास्ते में उसे तीन बुद्धिमान व्यक्ति मिले। हमेशा की तरह उसने बुद्धिमानों से पूछा, "क्या आप में से किसी ने मेरा ऊँट देखा है?" तीनों बुद्धिमान व्यक्तियों ने कुछ देर सोचा और बोलना शुरू किया। उस आदमी ने उत्सुकता से उनसे पूछा, “क्या तुमने रास्ते में मेरा ऊँट देखा है?”
पहले बुद्धिमान व्यक्ति ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारे ऊँट की एक आँख अंधी है?”
उस आदमी ने तुरंत उत्तर दिया, “हाँ, हाँ मेरे ऊँट की एक आँख अंधी है।”
“क्या तुमने रास्ते में मेरा ऊँट देखा है” उस आदमी ने दूसरे बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा।
दूसरे बुद्धिमान व्यक्ति ने उससे पूछा, “क्या तुम्हारा ऊँट लंगड़ा है?”
वह आदमी उत्सुक हो गया और बोला, “हाँ, हाँ वह लंगड़ा है!”
“क्या तुमने मेरा ऊँट देखा है” उसने फिर तीसरे बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा।
तीसरे बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा, "क्या आपका ऊँट एक तरफ शहद और दूसरी तरफ अनाज ले जा रहा था?"
ये शब्द सुनकर ऊँट का मालिक खुश हो गया और उनसे पूछा, ''क्या आप सभी ने मेरा ऊँट देखा है? कृपया मुझे बताओ।"
अब तीनों बुद्धिमानों ने उत्तर दिया, “हमने तुम्हारा ऊँट कभी नहीं देखा?”
“तुम तीनों अब मुझे बेवकूफ बना रहे हो” मेरा मज़ाक मत उड़ाओ”, आदमी ने गुस्से में कहा।
तीनों बुद्धिमान व्यक्तियों ने शांति से कहा, "हम तुम्हें मूर्ख नहीं बना रहे हैं। हमने तुम्हारा ऊँट कहीं नहीं देखा।" वह आदमी क्रोधित हो गया और उन्हें पूछताछ के लिए राजा के पास ले गया।
उसने राजा से कहा, हे प्रभु, उन तीन व्यक्तियों ने मेरा ऊँट चुरा लिया।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने क्या कहा था। राजा ने उन तीनों से पूछा कि क्या हुआ था। तीनों व्यक्तियों ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने इसे कभी नहीं देखा है। राजा ने उनसे पूछा कि वे खोये हुए ऊँट की पहचान कैसे बता सकते हैं।
पहले आदमी ने राजा को बताया कि उसने घास केवल एक तरफ से खाई हुई देखी है। "तो मैंने मान लिया कि ऊँट एक आँख से अंधा होगा", उन्होंने कहा।
दूसरे आदमी ने कहा कि उसने एक तरफ अनाज और दूसरी तरफ शहद बिखरा हुआ देखा है। "तो मैंने मान लिया कि ऊँट एक तरफ अनाज और दूसरी तरफ शहद ले जा रहा था", उन्होंने कहा।
तीसरे आदमी ने बताया कि ऊँट के खुर के निशान एक तरफ से दूसरे की तुलना में हल्के थे। "तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ऊंट लंगड़ा होगा", उन्होंने कहा।
राजा सहित दरबारियों को उन तीनों की चतुराई पर आश्चर्य हुआ। तो राजा ने घोषणा की कि वे चोर नहीं थे और उसने ऊँट के मालिक से कहा कि वह रास्ते में खोजे कि तीन बुद्धिमान व्यक्ति आये थे। ऊँट वाला अपने ऊँट की तलाश में सिर झुकाये दरबार से बाहर चला गया। राजा ने तीनों को अपना मंत्री नियुक्त किया और उनकी सलाह के अनुसार शासन किया।
The Three Wisemen and The Camel:
Once there lived a man in a small village in Arabia. He had a camel. Whenever he went on a journey, he went along with his camel. At one such journey, he lost his camel unexpectedly. He was in search of his camel. He asked everyone, “Have you seen my camel." But everywhere his effort was in vain.
One day when he came through a city he met three wise men on his way. As usual he asked the wise men "Have any one of you seen my camel?" The three wise men thought for a while and began to speak. The man asked them curiously, “Have you seen my camel on your way?"
The first wise man asked him, “Is your camel’s one eye blind?"
The man replied quickly, “Yes, yes my camel's one eye is blind."
"Have you seen my camel on your way" the man asked the second wise man.
The second wise man asked him, “Is your camel lame?"
The man became curious and said, “Yes, yes he is lame!"
“Have you seen my camel" again he asked the third wise man.
The third wise man asked, "Was your camel carrying honey on one side and grain on the other side?"
On hearing these words, the owner of the camel became happy and asked them’ “Have you all seen my camel? Please tell me."
Now the three wise men replied, “We had never seen your camel?"
“You three are fooling me now" Don’t make fun of me", the man said in anger.
The three wise men said calmly." We are not fooling you man. We didn’t see your camel anywhere". The man got angry and took them to the King for enquiry.
He said to the King, “The three men had stolen my camel my Lord".
He also described what they had said. The king asked the three what had happened. The three men denied that they had never seen it. The King asked them then how they could tell the identity of the camel lost.
The first man told the king that he had seen the grass eaten on only one side. “So I assumed that the camel must be blind in one eye", He said.
The second man said that he had seen the grains scattered on one side and the honey on the other side. “So I assumed that the camel was carrying the grains on one side and honey on the other side", He said.
The third man described that the hoof marks of the camel were lighter on one side than the other. “So we came to a conclusion that the camel must be lame", He said.
The courtier including the king wondered about the cleverness of the three. So the king declared that they were not thieves and he asked the owner of the camel to search on the way the three wise men had come. The camel man went out of the court bending his head in search of his camel. The king appointed the three, as his ministers and ruled according to their advice.
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