विश्वास की जीत
एक बार एक गांव में एक सज्जन पुरूष रहते थे, वे बहुत ही दयालू तथा हृदय ग्राही थे, किसी को भी कभी अपशब्द नहीं कहते थे। जो भी उनके घर आता वे अच्छे से उसका आथित्य सत्कार करते। लोग उनसे सलाह मशविरा लेने आया जाया करते थे।
एक बार एक कैदी जेल से भाग जाता है, पुलिस उसके पीछे लगी रहती है। वह जब गांव के बीच पहुंचता है तो उसे एक घर का दरवाजा खुला दिखता है। वह घर उसी सज्जन पुरूष का था। वह बिना इजाजत के अन्दर प्रवेश करता है।
जैसे ही वह कैदी अन्दर पहुचता है तो वह सज्जन पुरूष बड़ी सौम्यता से कहते है, आइए महाराज आपका स्वागत है। उसे आराम से बिठाता है और कहता है कि तुम कौन हो और कहां से आ रहे हो। वह कैदी कहता है कि मैं रास्ता भटक गया हूं, क्या आप मुझे आज रात रहने की जगह दे सकते हैं। आपका बडा एहसान होगा।
वह पुरूष कहता है- क्यों नहीं आप आराम से यहां रहिए, आप नहा लिजिए मैं आपके लिये खाने सोने की व्यवस्था करता हूं। जब तक वह कैदी नहाता है तब तक वह सज्जन पुरूष उसके लिए सब व्यवस्था करता है। खाने के बाद सब सो जाते हैं। लेकिन उसकी नियत खराब हो जाती है और वह वहां से सोने की चीजें चुरा लेता है और फिर भाग जाता है।
रास्ते में पुलिस उसे पकड़ लेती है। और जब पूछताछ करती है तो वह कहता है कि मैंने उस सज्जन पुरूष के यहां से यह चुराया है। उस कैदी को उस पुरूष के सामने लाया जाता है। लेकिन वह पुरूष कहता है कि यह सोने की वस्तु मैंने ही इसे दान में दी है।
उस कैदी की आंखें खुल जाती है और उस पुरूष से माफी मांगता है। और कहता है कि जब भी तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो मांग लेना चाहिए ना की चुराना।
*शिक्षा :-*
इसीलिये कहा गया है कि विश्वास रखो तो सब कुछ सही हो जाता है।
मछुआरा और जिन्न:
एक बार एक गाँव में एक मछुआरा रहता था। वह मछली पकड़ने से होने वाली कमाई से अपना जीवन व्यतीत करता था। एक दिन उसने अपना जाल समुद्र में डाला। उसने कुछ देर इंतजार किया और जाल बाहर खींच लिया। लेकिन नेट पर कुछ नहीं था. उसे चिंता हुई और उसने मन में सोचा, "आज तो मैं और मेरा परिवार भोजन के बिना भूखे मर जायेंगे।" उसने बार-बार कोशिश की लेकिन व्यर्थ गया।
अंततः उसने बिना किसी आशा के समुद्र में जाल डाल दिया। कुछ मिनटों के बाद, उसने जाल खींच लिया। उसे लगा कि जाल भारी है। उसका चेहरा चमक उठा....ऐसा लगता है कि जाल में कोई बड़ी मछली है। लेकिन जब उसने समुद्र से जाल निकाला तो उसे जाल में एक बड़ा पुराना घड़ा दिखाई दिया। इसे एक सुंदर ढंग से सजाए गए ढक्कन से बंद किया गया था। उसने कोशिश की और जार खोला।
वहाँ एक बदसूरत दुष्ट चेहरे वाला एक विशाल जिन्न आया। वह ऊँचे स्वर में हँसा “मुझे जार के अंदर भूख लगी है। मुझे तुरंत खाना चाहिए. मैं तुम्हें खाऊंगा"। उसने ऊंची आवाज में कहा। यह सुनकर मछुआरा बहुत डर गया। लेकिन उसने साहस जुटाया और कहा। "तुम इतने बड़े हो। मैं तुम्हारी भूख कैसे शांत कर सकता हूं? दुष्ट जिन्न ने फिर उसे आने के लिए कहा। पास ताकि वह मछुआरे को खा सके।
मछुआरे ने फिर कहा, ''मैं गरीब हूं। मैंने तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया. फिर तुम मुझे क्यों मारना चाहते हो? जिन्न?" लेकिन जिन्न ने कहा। "मैं तुम्हारी बातें दोबारा नहीं सुनूंगा। जल्दी मेरे पास आओ"।
लेकिन मछुआरे के मन में जिन्न से बचने का एक विचार आया और उसने कहा, "मैं अब तैयार हूं...लेकिन मुझे मारने से पहले तुम्हें मेरे सवाल का जवाब देना होगा"।
"जल्दी करो", जिन्न ने गुस्से से कहा।
मछुआरे ने उससे पूछा कि इतना बड़ा जिन्न एक छोटे से जार के अंदर कैसे हो सकता है। जिन्न ने उत्तर दिया कि वह स्वयं को उसके जितना छोटा बना सकता है। मछुआरा इसका परीक्षण करना चाहता था। तो जिन्न ने खुद को जितना संभव हो सके उतना छोटा बना लिया और जार में कूद गया। अचानक मछुआरे ने जितनी जल्दी हो सके जार को बंद कर दिया और जार को समुद्र में फेंक दिया। तो दुष्ट जिन्न एक बार फिर जार के अंदर बंद हो गया। मछुआरा बहुत खुश हुआ और अपनी सूझबूझ से वह खतरे से बच गया।
The Fisherman and The Genie:
Once a fisherman lived in a village. He led his life with his earnings from fishing. One day he cast his net into the sea. He waited for some time and pulled the net out. But there was nothing in the net. He felt worried and thought in his mind, "To day, my family and I will starve without food." He tried again and again but was in vain.
Finally he cast the net without any hope into the sea. After a few minutes, he pulled the net. He felt that the net was heavy. His face brightened….It looks there is a big fish in the net. But when he pulled out the net from the sea, he saw a big old jar in the net. It was closed by a beautifully decorated lid. He tried and opened the Jar.
There came a gigantic genie with an ugly wicked face. He laughed in high pitch “I have been hungry inside the jar. I want food immediately. I shall eat you". He said in loud voice. On hearing this the fisherman was terribly afraid. But he gathered his courage and said. “You are so big. How can I satisfy your hunger? The wicked genie again asked him to come near so that it could eat the fisherman.
Again the fisherman said, ‘‘I am poor. I didn't do any harm to you. Then why do you want to kill me. Genie?" But the genie said. “I would not hear your words again. Come near me quick".
But the fisherman had an idea in his mind to escape from the genie said", I am ready now…but before you kill me you have to answer my question".
"Quick", the genie said with anger.
The fisherman asked him how such a huge genie could be inside a small Jar. The genie replied that he could make himself as tiny as he. The fisherman wanted to test it. So the genie made himself as little as possible and jumped into the jar. Suddenly the fisherman closed the Jar as quickly as he could and threw the Jar into the Sea. So the wicked genie was locked inside the Jar once again. The fisherman was very happy and he escaped from the danger with his presence of mind.
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