Burt मुनरो की कथा
दिवंगत बर्ट मुनरो, साउथलैंड के सबसे प्रसिद्ध दिग्गजों में से एक हैं, और उन्हें श्रद्धांजलि लोकप्रिय आकर्षण बन गई है। द वर्ल्ड्स फास्टेस्ट इंडियन फिल्म में अमर, न्यू जोसेन्डर एक स्पीडबाइक रेसर था, जिसने 1950 और 1960 के दशक के अंत में एक अत्यधिक संशोधित भारतीय स्काउट मोटरसाइकिल पर यूटा में भूमि गति रिकॉर्ड स्थापित किया था। वह 1967 में बोनविले साल्ट फ़्लैट्स में स्थापित अपने 1000 सीसी से कम के विश्व रिकॉर्ड (183.586 मील प्रति घंटे - 295.45 किमी की औसत गति) के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं। यह रिकॉर्ड आज भी कायम है।
हर्बर्ट जेम्स 'बर्ट' मुनरो का जन्म 25 मार्च 1899 को इन्वरकार्गिल के पास एक शहर एडेंडेल में हुआ था। उन्होंने 1940 में अपना पहला न्यूजीलैंड स्पीड रिकॉर्ड (120.8 मील प्रति घंटे - 194.4 किमी) स्थापित करने से पहले 1920 की एक भारतीय मोटरसाइकिल को संशोधित करने में वर्षों बिताए। 10 यात्राओं के दौरान बोनेविले में उन्होंने तीन विश्व गति रिकॉर्ड बनाए।
उनके प्रयास और उपलब्धियाँ 2005 में एंथनी हॉपकिंस अभिनीत फिल्म का आधार हैं। उनके जीवन का जश्न इन्वरकार्गिल के आसपास स्थायी प्रदर्शनों में भी मनाया जाता है, जिसमें ई हेस एंड संस उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं और साथ ही दुनिया की सबसे तेज़ भारतीय यादगार वस्तुएं बेचते हैं। उनके पास प्रदर्शन पर बर्ट की दो बाइकें भी हैं; 1977 में एक स्ट्रोक के कारण उनकी सवारी करने की क्षमता में बाधा आने के बाद उन्होंने उन्हें स्टोर को बेच दिया।
बर्ट 68 वर्ष के थे और 47 वर्ष पुरानी मशीन की सवारी कर रहे थे जब उन्होंने अपना आखिरी रिकॉर्ड बनाया। 6 जनवरी 1978 को 78 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
2006 से साउथलैंड में बर्ट मुनरो चैलेंज के साथ महान रेसर के जीवन का जश्न मनाया जाता रहा है। 6 दिवसीय कार्यक्रम साउथलैंड के आसपास विभिन्न स्थानों पर आयोजित किया जाता है जिसमें ओरेटी बीच शामिल है, जहां बर्ट ने मूल रूप से बोनेविले साल्ट फ्लैट्स के लिए प्रशिक्षण लिया था और साथ ही टेरेटोंगा पार्क रेसवे, जो दुनिया में सबसे दक्षिणी एफएआई अनुमोदित रेसवे है।
THE LEGEND OF BURT MUNRO
The late Burt Munro, is one of Southland’s most celebrated legends, and tributes to him have become popular attractions. The New Zealander, immortalised in The World’s Fastest Indian movie, was a speedbike racer that set land speed records in Utah in the late 1950s and 1960s on a highly modified Indian Scout motorcycle. He is most famous for his under-1000cc world record (an average speed of 183.586mph - 295.45km), set at the Bonneville Salt Flats in 1967. The record still stands today.
Herbert James 'Burt' Munro was born in Edendale, a town near Invercargill on 25 March 1899. He spent years modifying a 1920 Indian motorcycle before setting his first New Zealand speed record (120.8mph - 194.4km) in 1940. During 10 visits to Bonneville he set three world speed records.
His efforts and achievements are the basis of the 2005 movie starring Anthony Hopkins. His life is also celebrated in permanent displays around Invercargill, with E Hayes and Sons paying tribute to him as well as selling World’s Fastest Indian memorabilia. They also have two of Burt’s bikes on display; he sold them to the store after a stroke in 1977 hampered his riding ability.
Burt was 68 and riding a 47-year old machine when he set his last record. He died at the age of 78, on 6 January 1978.
Since 2006 the life of the legendary racer has been celebrated in Southland with the Burt Munro Challenge. The 6 day event is held in different locations around Southland which include Oreti Beach, where Burt originally trained for the Bonneville Salt Flats as well as Teretonga Park raceway, the most southern FAI approved raceway in the world.
॥बेटे की चुभन॥
शर्मा जी सुबह सुबह अपने दफ़्तर के लिए निकलने वाले थे ।
तभी अचानक क्षितिज ने एक पैकेट उनके सामने कर दिया.... पापा ! वापस करना है ये जैकेट।’
‛क्यों?’
‛फिट नहीं हो रहा...ज़्यादा टाइट है ।’
लंच बॉक्स देते हुए मां तमतमाई...अरे शर्मा जी ! आप भी न..! बेटा बड़ा हो गया है औऱ पहले से ज़्यादा तगड़ा भी , अब थोड़ा बड़ा साइज का जैकेट ही पहनेगा ना ....क़भी कुछ ख़याल तो रहता नहीं आपको... ! फिर से आप उसके लिए पुराना साइज ले आएँ होंगे । इतना महंगा वाला जैकेट लाने से पहले एक बार उससे पूछ भी लिया होता।
लेकिन अपनी पत्नी की बातों को बेहद गौर से सुनने के बाद भी शर्मा जी की आंखों में अपने लाड़ले के लिए अविश्वास दिखा.. क्षितिज ने बात ही ऐसी की थी...क्योंकि शर्मा जी ये भली भांति जानते थे कि उनका औऱ उनके बेटे का साइज़ एक ही है ।
‛बेटा ! इस बार भी इंटरव्यू में वही पुराना जैकेट...
बोलते-बोलते रूक गए शर्मा जी... शायद उनका गला भर आया था ।
‛छोड़िए न पापा ! इंटरव्यू ही तो देना है , कोई फ़ैशन शो में थोड़े न जाना है मुझें । आख़िर क्या फर्क पड़ता है ! जीवन की राह नई है और मंजिल नई , जैकेट पुराना ही सही।’,,
दरअसल क्षितिज की नज़र अपने पिता की बहुत पुरानी स्वेटर पर थी जो उसके पुराने जैकेट से भी कहीं ज़्यादा फटेहाल थी। उसके पिता प्रतिदिन दफ़्तर से घर देर रात तक पहुँचते थे और सर्दियां शुरू हो चुकी थीं ।
अब शर्मा जी ने अपनी लाचारी बतानी शुरू की....लेकिन बेटे, पैसे तो वापस नहीं मिलेंगे , ऐसा करते हैं शाम को हम दोनों एक साथ चलेंगे..इन्हें बदलकर तुम्हारे लिए दूसरी ले आएंगे ।
नहीं पापा , मेरे पास बिलकुल भी इस काम के लिए वक़्त नहीं है , मुझें अपने अगले इंटरव्यू की तैयारी पर फ़ोकस करना है....इस बार मुझें माफ़ कीजिए प्लीज ।
औऱ वो इतना बोलकर अपने कमरे की ओर बढ़ गया ।
अब शर्मा जी की पत्नी ने उनसे कहा....ए जी , अगर ये जैकेट आपमें फिट आएगा तो इसे अपने लिए भी रख सकते हैं क्योंकि इसका कलर औऱ डिजाइन मुझें बहुत पसंद आ रहा है ।
पत्नी की ज़िद पर बेचारगी में शर्मा जी ने जब उस जैकेट को नापना शुरू किया तो उन्हें बिलकुल फिट आ गया....हालांकि उन्होंने जैकेट अपने साइज़ का ही लिया था क्योंकि दोनों बाप बेटे का माप एक था ।
मजबूरी में कोई चारा न देख शर्मा जी नया जैकेट पहनकर अपने मन में कुछ कुछ सोंचते हुए दफ़्तर के लिए निकल गए ।
उनके जाने के बाद माँ ने क्षितिज को आवाज़ देकर अपने पास बुलाया औऱ फ़िर उसके माथे को चूमते हुए अपनी डबडबाई आँखों को छुपाकर उससे कहा.....देखते देखते अब काफ़ी बड़ा हो गया है तू मुन्ना .........!!
क्षितिज भी अपने आंसू रोक न पाया औऱ अपनी माँ से लिपटकर बुदबुदाया........मेरी हर जरूरत का ख़याल रखने वाले मेरे पापा कभी गलत साइज़ ला ही नहीं सकते , लेकिन अगर वो जैकेट मैं पहनता तो मुझे चुभता बहुत चुभता.....
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें