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फॉक्स और तेंदुआ


ईसप की कालजयी "द फॉक्स एंड द लेपर्ड मोरल स्टोरी" गहन सच्चाइयों को बुनती है। इस कथा में, सौंदर्य और बुद्धि एक अविस्मरणीय वन बहस में टकराते हैं। उनके चंचल मजाक के पीछे के गहन सबक को उजागर करें।


हरे-भरे जंगल में जानवर अक्सर बहस करते थे कि उनमें से सबसे सुंदर कौन है। एक दिन, लोमड़ी और तेंदुए के बीच एक जीवंत चर्चा हुई। तेंदुए ने अपना चिकना, चित्तीदार शरीर फैलाते हुए कहा, “निश्चित रूप से, मैं सभी जानवरों में सबसे सुंदर हूँ! मेरे शानदार स्थानों को देखो!”


लोमड़ी, जिसके पास शब्दों की कभी कमी नहीं थी, ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "ओह, प्रिय मित्र, शायद तुम्हारे पास सुंदर पैटर्न से भरा कोट है। लेकिन आपकी बुद्धि और चालाकी का क्या? हो सकता है कि मेरे पास आकर्षक बिंदु न हों, लेकिन मेरे दिमाग की योजनाएँ अनगिनत हैं।


उनके आस-पास के सभी जानवरों ने सिर हिलाया। जबकि तेंदुए की सुंदरता निर्विवाद थी, वे जानते थे कि लोमड़ी की चतुराई ने कई लोगों को बार-बार खतरे से बचाया है।


हालाँकि, तेंदुआ थोड़ा शांत था, लेकिन लोमड़ी की बातों में सच्चाई को पहचानने से खुद को नहीं रोक सका।


कहानी का नैतिक

बाहरी सुंदरता फीकी पड़ जाती है, लेकिन बुद्धि और बुद्धिमत्ता स्थायी खजाने हैं।



The Fox and The Leopard

Aesop’s timeless “The Fox & the Leopard moral story” weaves profound truths. In this narrative, beauty and wit clash in an unforgettable forest debate. Uncover the profound lesson behind their playful banter.


In a lush forest, the animals often debated who among them was the fairest. One day, a lively discussion arose between the fox and the leopard. The leopard, stretching out his sleek, spotted body, declared, “Surely, I am the most beautiful of all animals! Look at my splendid spots!”


The fox, never short of words, replied with a smirk, “Oh, dear friend, perhaps you do possess a coat filled with elegant patterns. But what of your wits and cunning? I may not have striking spots, but my mind’s designs are countless.”


All the animals around them nodded. While the leopard’s beauty was undeniable, they knew the fox’s cleverness had saved many from danger time and time again.


The leopard, although a bit put out, couldn’t help but recognize the truth in the fox’s words.


Moral of the Story

Outer beauty fades, but wit and wisdom are lasting treasures.


संस्कार

लडके के पिता ने पंडित जी को एक लडकी देखने को कहा ! 


पण्डित जी बोले हाँ एक लडकी है. अभी कुछ दिनों पहले उसके पिता ने भी एक लडका देखने को कहा था.


एक दिन तय हुआ और शादी हो गयी. सब कुछ ठीक चल रहा था कि कुछ महीनो बाद. लडका लडकी मे आये दिन झगडा होने लगा.


वह लडका रोज शराब के नशे में घर आता और पत्नी से मारपीट करताi वह उसे शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करता... 


वहीं बहू भी न सास देखती न ससुर अपने पति के जाते ही अपने स्कूल के एक मित्र के साथ फ़ोन पर लग जाती और भूल जाती कि अब वह किसी की पत्नी, किसी के घर की लक्ष्मी/बहू है. 


एक दिन उन दोनों के बीच झगडा शुरू हुआ और दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाने लगे. गुस्से में आकर लडकी ने आत्महत्या कर ली. 


लडके को पुलिस पकड़ कर ले गयी. 


अब दोनों घरो के लोग एक दूसरे को गाली देने लगे, खानदान को गरियाने लगे, मामला कोर्ट पहुंचा...


जज साहब ने सभी को उपस्थित रहने को कहा और उस पंडित को भी बुलाने को कहा जिसने यह रिश्ता करवाया था..


पंडित जी आये. वकील से पहले जज साहब ही पूछ बैठे कि-- 

ये रिश्ता तुमने करवाया था.....? 

दोनो घर बर्बाद हो गये. 

इन लोगों का कहना है कि आपको सब पता था फ़िर भी.....? 


पंडित जी ने कहा --

जज साहब ये रिश्ता नहीं था सौदा था क्योंकि 


लडकी के माता पिता ने कहा-- 

लडका पैसे वाला हो, परिवार छोटा हो. जमीन जायदाद हो. और सास ससुर न भी हो तो कोई बात नहीं... 


वही लडके के माँ बाप बोले कि--

लडकी दिखने में सुन्दर हो, खानदान हमारी बराबरी का हो. लडके को दहेज में गाडी मिले. बाकी हमे कोई शिकायत नहीं.. 

और मैने ये सौदा करवा दिया साहब,


*इसे रिश्ता नाम देकर "रिश्ते" शब्द को अपमानित न करें.* 


अगर इन लोगों को रिश्ता करवाना होता तो लडकी वाले मुझसे कहते-


कि लडका बेशक गरीब हो, मगर मेहनती स्वाभिमानी हो, भरा पूरा परिवार हो. ऐसा घर हो जहाँ मेरी बेटी हंस कर खिलखिलाकर रहेi। जिस घर में गाड़ी न हो मगर खुशी और संस्कार हो i


और वहीं लडके वाले कहते...... 

बहू बेशक गरीब घर की हो, मगर संस्कारित हो, जो भरे पूरे परिवार से हो, जो घर को घर बनाकर और बांध कर रखे, कुछ न हो देने के लिए मगर बडो का अदब और अतिथि का आदर सत्कार हो. बहू धनवान नहीं गुणवान हो. 

तब कहीं जाकर ये रिश्ता कहलाताi 


जज साहब. और आजकल तो रिश्ते कम और सौदा अधिक होता है ,


इनके माता पिता भी बराबर के दोषी है इस तरह के मानसिकता वाले लोगों को जरूर सजा मिलनी चाहिए.. 


जज साहब सोच में पड गये और बोले- पंडित जी आपने मेरे हृदय में भी एक चुभन पैदा कर दी, क्योंकि मैने भी अपने बच्चों को सब कुछ दिया, आज का आधुनिक माहौल भी दिया,

 मगर संस्कार देने में शायद मैं भी चूक गया 🤷‍♂️🤷‍♂️


*सौदा करने से अच्छा संस्कार की भीख मांग लो। आप का भगवान जी ख्याल रखे ऐसी मनोकामना पूर्ण करें।*

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टिप्पणियाँ

  1. Mam kab hoga abhi tk to hua nhi.. ab to 2 ravivar bhi ja chuke or kitna wait please admin se baat kariye 🥲

    @dkborkar358 meri telegram I'd hai

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    उत्तर
    1. PM करो अविनाश को आज ही हो जाएगा

      हटाएं
    2. Mujhe tg par link mil gya Aaj admin ne pm me send kiya..,
      Thanks You sab aapke blog page ki vajah se possible ho paya 🙏

      हटाएं

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