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बूढ़ा आदमी और उसका घोड़ा


किसान और उसका घोड़ा (जिसे "द ओल्ड मैन एंड हिज हॉर्स" या "साई वेंग लॉस्ट हिज हॉर्स" के नाम से भी जाना जाता है) चीन की एक क्लासिक ताओवादी कहानी है। इसकी उत्पत्ति प्राचीन है, और कई दृष्टांतों की तरह, इसका सटीक लेखकत्व अनिश्चित है। हालाँकि, यह अक्सर ताओवाद के मूलभूत ग्रंथों से जुड़ा होता है। इसका आनंद लें और इसके सबक खोजें।


पहाड़ियों से घिरे एक छोटे से गाँव में ली नाम का एक बूढ़ा किसान रहता था। उसके पास एक ही घोड़ा था, एक सुंदर और मजबूत प्राणी जो उसके दैनिक कार्यों में उसकी मदद करता था।


एक दिन, जब सूरज डूब रहा था, घोड़ा बाड़ तोड़ कर जंगल में भाग गया। एक पड़ोसी, दुर्भाग्य के बारे में सुनकर, दौड़कर आया और बोला, “ओह, ली! आपकी किस्मत कितनी ख़राब है!”


ली ने ऊपर देखा और शांति से उत्तर दिया, “हो सकता है। शायद नहीं। हम देखेंगे।"


एक सप्ताह बाद, सभी को आश्चर्य हुआ जब घोड़ा वापस लौटा, और वह अकेला नहीं था। यह अपने साथ एक शानदार जंगली घोड़ा लाया था। वही पड़ोसी जल्दी से आँखें चौड़ी करके आया और बोला, “ली, तुम सही थे! यह बिल्कुल भी दुर्भाग्य नहीं था। यह एक आशीर्वाद था! अब आपके पास दो मजबूत घोड़े हैं!”


ली ने अपना काम रोकते हुए जवाब दिया, “हो सकता है। शायद नहीं। हम देखेंगे।"


कुछ दिनों बाद, ली के बेटे ने जंगली घोड़े को वश में करने की कोशिश की। लेकिन घोड़ा मजबूत था और उसने युवक को अपनी पीठ से गिरा दिया, जिससे उसका पैर टूट गया। पड़ोसी एक बार फिर सिर हिलाते हुए दौड़ता हुआ आया, “मैं पहले गलत था। यह घोड़ा वरदान नहीं बल्कि अभिशाप है! आपके बेटे का पैर टूट गया है!”


ली ने अपने घायल बेटे को देखते हुए धीरे से कहा, “हो सकता है। शायद नहीं। हम देखेंगे।"


जैसा कि भाग्य को मंजूर था, कुछ सप्ताह बाद, सम्राट के आदमी गाँव में पहुँचे। वे क्षितिज पर चल रहे युद्ध के लिए युवाओं को सेना में शामिल करने के लिए तैयार कर रहे थे। ली के बेटे का टूटा हुआ पैर देखकर वे उसके पास से गुजरे। गाँव के कई अन्य युवकों को ले जाया गया, और दुख की बात है कि कई वापस नहीं लौटे। वही पड़ोसी आंखों में आंसू लेकर ली के पास आया और बोला, “आपकी बुद्धिमत्ता अद्वितीय है, ली। आपके बेटे की चोट ने उसे एक भयानक भाग्य से बचा लिया।


ली ने दूर की ओर देखते हुए बस इतना कहा, “हो सकता है। शायद नहीं। हम देखेंगे।"


किसान और उसके घोड़े की कहानी हमें जीवन की अप्रत्याशित प्रकृति और निर्णय सुरक्षित रखने की बुद्धिमत्ता की याद दिलाती है। जो एक दिन दुर्भाग्य जैसा लग सकता है वह अगले दिन आशीर्वाद बन सकता है, और इसके विपरीत भी।


कहानी का नैतिक

किसान और उसके घोड़े की कहानी हमें जीवन की अप्रत्याशित प्रकृति और निर्णय सुरक्षित रखने की बुद्धिमत्ता की याद दिलाती है। जो एक दिन दुर्भाग्य जैसा लग सकता है वह अगले दिन आशीर्वाद बन सकता है, और इसके विपरीत भी।


The old Man and his Horse

The Farmer and His Horse(also known as “The Old Man and His Horse” or “Sai Weng Lost His Horse”) is a classic Taoist story from China. Its origins are ancient, and like many parables, its exact authorship is uncertain. However, it’s often associated with the foundational texts of Taoism. Enjoy it and discover its lessons.


In a small village surrounded by rolling hills, there lived an old farmer named Li. He had a single horse, a beautiful and strong creature that helped him with his daily chores.


One day, as the sun was setting, the horse broke through the fence and ran away into the wild. A neighbor, hearing of the misfortune, rushed over and exclaimed, “Oh, Li! Such bad luck you’ve had!”


Li looked up and replied calmly, “Maybe. Maybe not. We’ll see.”


A week later, to everyone’s astonishment, the horse returned, and it wasn’t alone. It brought with it a magnificent wild stallion. The same neighbor hurried over, eyes wide, and said, “Li, you were right! It wasn’t bad luck at all. It was a blessing! Now you have two strong horses!”


Li, pausing from his work, responded, “Maybe. Maybe not. We’ll see.”


A few days later, Li’s son tried to tame the wild stallion. But the stallion was strong and threw the young man off its back, causing him to break his leg. The neighbor, once again, came running, shaking his head, “I was wrong earlier. This stallion is not a blessing but a curse! Your son has broken his leg!”


Li, looking at his injured son, said gently, “Maybe. Maybe not. We’ll see.”


As fate would have it, a few weeks later, the emperor’s men arrived at the village. They were drafting young men to join the army for a war that was brewing on the horizon. Seeing Li’s son’s broken leg, they passed him by. Many of the other young men from the village were taken, and sadly, many did not return. The same neighbor, with tears in his eyes, approached Li and said, “Your wisdom is unparalleled, Li. Your son’s injury saved him from a terrible fate.”


Li, gazing into the distance, simply said, “Maybe. Maybe not. We’ll see.”


The story of the farmer and his horse reminds us of the unpredictable nature of life and the wisdom in reserving judgment. What may seem like misfortune one day might be a blessing the next, and vice versa.


Moral Of the Story

The story of the farmer and his horse reminds us of the unpredictable nature of life and the wisdom in reserving judgment. What may seem like misfortune one day might be a blessing the next, and vice versa.


सच्चा न्या

एक बार एक राजा शिकार खेलने गया उसका तीर लगने से जंगलवासियों में से किसी का बच्चा मर गया । बच्चे की माँ विधवा थी और यह बच्चा उसका एकमात्र सहारा था । रोती-पीटती विधवा न्यायधीश के पास पहुंची और उससे फरियाद की ।

जब न्यायधीश को पता चला कि बालक राजा के तीर से मरा है, तो उनकी समझ में नहीं आया कि वह इंसाफ कैसे करें, अगर उसने विधवा के हक में फैसला दिया तो राजा को सजा सुनानी होगी यदि विधवा के साथ अन्याय किया, तो ईश्वर को क्या जवाब देगा।


काफी सोच विचार कर वह फरियाद सुनने को राजी हुआ । उसने विधवा को दूसरे दिन अदालत में बुलवाया।विधवा की फरियाद सुनने के पश्चात राजा को भी अदालत में बुलवाना आवश्यक था, वह राजा के पास यह सूचना किसी दूत से भेज सकता था उसने अपने एक सहायक को राजा के पास भेजा कि वह अदालत में हाजिर हो।


सहायक किसी प्रकार हिम्मत करके न्यायधीश का संदेश राजा को सुनाने पहुंचा । वह हाथ जोड़कर राजा के समक्ष उपस्थित हुआ तथा न्यायधीश का संदेश सुनाया।


राजा ने कहा कि वह दूसरे दिन अदालत में अवश्य हाजिर होगा।


दूसरे दिन सुबह राजा न्यायधीश की अदालत में हाजिर हुआ वह जाते समय कुछ सोचकर अपने वस्त्रों के नीचे तलवार छिपाकर ले गया।


न्यायधीश की अदालत भीड़ से खचा-खच भरी हुयी थी । इस फैसले को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आये थे । राजा अदालत में आया तो प्रत्येक व्यक्ति उसके सम्मान में खड़ा हो गया।


लेकिन न्यायधीश अपने स्थान पर बैठा रहा वह खड़ा नहीं हुआ । उसने विधवा को आवाज लगायी तो वह अंदर आयी । न्यायधीश ने उससे फरियाद करने को कहा।


विधवा ने सबके सामने अपने बेटे के मरने की कहानी कह सुनायी ।


अब न्यायधीश ने राजा से कहा – “ महाराज! इस विधवा का बेटा आपके तीर से मारा गया है आप पर उसको मारने का आरोप है । इस विधवा की यह हानि किसी भी स्थिति में पूरी नहीं हो सकती । मैं आदेश देता हूं कि किसी भी हालत में इसका नुकसान पूरा करें।


राजा ने उस विधवा से क्षमा मांगी और कहा – “ मैं तुम्हारे इस नुकसान को पूरा नहीं कर सकता; किंतु इसकी भरपाई के लिए मैं पुत्र के रूप में तुम्हारी सेवा करने का वचन देता हूं ।

तथा पूरी उम्र तुम्हारे परिवार का सारा खर्च उठाने की जिम्मेदारी लेता हूँ जिससे तुम्हारी जिंदगी सुख-चैन से कट सके।”


विधवा राजी हो गयी । न्यायाधीश अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ तथा उसने अपनी जगह राजा के लिए खाली कर दी। 


राजा बोला – “ न्यायाधीश जी! अगर आप ने फैसला करने में मेरा पक्ष लिया होता तो मैं तलवार से आपकी गर्दन काट देता कहकर उसने अपने वस्त्रों में छिपी तलवार बाहर निकालकर सब को दिखाई।”


न्यायाधीश सिर झुकाकर बोला – “ महाराज! अगर आप ने मेरा आदेश मानने में जरा भी टाल-मटोल की होती तो मैं हंटर से आप की खाल उधड़वा देता।”


इतना कहकर उसने भी अपने वस्त्रों के अंदर से एक चमड़े का हंटर निकालकर सामने रख दिया।


राजा न्यायधीश की बात से बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने उसे अपनी बाहों में भर लिया।


दोस्तो कहानी के माध्यम से राजा और न्यायाधीश का चरित्र कितना निष्पक्ष दिखाया गया है। समय आज का हो या कल का या फिर कल का था … मनुष्य का चरित्र हमेशा सीधा व सरल ही होना चाहिए …

लेकिन आज के दौर में लोगों को हर काम में अपना स्वार्थ , फ़ायदा निकालना होता है … ज्यादातर इंसान सिर्फ अपने मतलब के लिए काम करता है और उसके लिए वह कई प्रकार के हथकंडे अपनाता है जिसमें से चलाकी, स्वार्थ, धोखेबाजी आदि आते हैं। वस्तुतः न्याय को भी अपने पक्ष में करवा लेता है।

हमेशा एक बात ध्यान में रखकर चलना चाहिये कि कितना भी अपने को बचा ले लेकिन ईश्वर के न्यायालय में कोई नहीं बच सकता।

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