जंगली सूअर और लोमड़ी
घने जंगलों के बीच में, एक जंगली सूअर ने एक पेड़ पर अपने दाँत तेज़ कर दिये। प्रत्येक प्रहार सावधानीपूर्वक था, प्रत्येक गतिविधि सोच-समझकर की गई थी।
पास से गुजर रही एक लोमड़ी ने सूअर को उत्सुकता से देखा। “अब तुम अपने दांत क्यों तेज़ करते हो?” उसने पूछा। “देखने में कोई दुश्मन नहीं है। जंगल आज शांतिपूर्ण हैं।”
सूअर लोमड़ी की ओर देखकर रुक गया। “सच है, जंगल अब शांत हैं। लेकिन जब खतरा पैदा होगा तो तैयारी के लिए समय नहीं मिलेगा। मेरे दांतों को तैयार रहने की जरूरत है।”
लोमड़ी मुस्कुराई, “मुझे तो यह समय की बर्बादी लगती है। मैं शांति का आनंद लेना पसंद करूंगा।"
कुछ ही समय बाद, एक शिकारी का सींग जंगल में गूंज उठा। अपने नुकीले दाँतों वाला सूअर तैयार था। हालाँकि, लोमड़ी ने खुद को तैयार नहीं और संकट में पाया।
कहानी की नीति
जब समय शांत हो तो खतरे के लिए तैयार रहें। सतर्क रहने से बेहतर है कि तैयार रहें।
The Wild Boar And the Fox
In the heart of the dense woods, a wild boar sharpened his tusks against a tree. Every stroke was meticulous, every movement deliberate.
A fox, passing by, watched the boar with curiosity. “Why do you sharpen your tusks now?” he asked. “There’s no enemy in sight. The woods are peaceful today.”
The boar paused, looking at the fox. “True, the woods are calm now. But when danger arises, there won’t be time to prepare. My tusks need to be ready.”
The fox smirked, “Seems a waste of time to me. I’d rather enjoy the serenity.”
Not long after, a hunter’s horn echoed through the woods. The boar, with his sharp tusks, was ready. The fox, however, found himself unprepared and in peril.
Moral of the Story
Prepare for danger when times are calm. It’s better to be ready than caught off guard.
*प्रेरणादायक कहानी: सारस की शिक्षा*
एक गांव के पास एक खेत में सारस पक्षी का एक जोड़ा रहता था | वहीं उनके अंडे थे | अंडे बड़े और समय पर उनसे बच्चे निकले | लेकिन बच्चों के बड़े होकर उड़ने योग्य होने से पहले ही खेत की फसल पक गयी | सारस बड़ी चिंता में पड़े किसान खेत काटने आवे, इससे पहले ही बच्चों के साथ उसे वहां से चले जाना चाहिए और बच्चे उड़ सकते नहीं थे | सारस ने बच्चों से कहा -” हमारे न रहने पर यदि कोई खेत में आवे तो उसकी बात सुनकर याद रखना |”
एक दिन जब सारस चारा लेकर शाम को बच्चों के पास लौटा तो बच्चों ने कहा – ” आज किसान आया था | वह खेत के चारों ओर घूमता रहा एक दो स्थानों पर खड़े होकर देर तक खेत को घूरता था | वह कहता था, कि खेत अब काटने के योग्य हो गया है | आज चलकर गांव के लोगों से कहूंगा कि वह मेरा खेत कटवा दें |”
सारस ने कहा – ” तुम लोग डरो मत! खेत अभी नहीं कटेगा अभी खेत कटने में देर है |”
कई दिन बाद जब एक दिन सारस शाम को बच्चों के पास आए तो बच्चे बहुत घबराए थे- ” वे कहने लगे | अब हम लोगों को यह खेत झटपट छोड़ देना चाहिए | आज किसान फिर आया था, वह कहता था, कि गांव के लोग बड़े स्वार्थी हैं | वह मेरा खेत कटवाने का कोई प्रबंध नहीं करते | कल मैं अपने भाइयों को भेजकर खेत कटवा लूंगा |
सारस बच्चों के पास निश्चिंत होकर बैठा और बोला – ” अभी तो खेत कटता नहीं दो-चार दिन में तुम लोग ठीक-ठीक उड़ने लगोगे अभी डरने की आवश्यकता नहीं है |”
कई दिन और बीत गए सारस के बच्चे उड़ने लगे थे और निर्भय हो गए थे| एक दिन शाम को सारस से वे कहने लगे – ” यह किसान हम लोगों को झूठ-मूठ डराता है | इसका खेत तो कटेगा नहीं, वह आज भी आया था | और कहता था | कि मेरे भाई मेरी बात नहीं सुनते सब बहाना करते हैं | मेरी फसल का अन्न सुखकर झर रहा है | कल बड़े सवेरे में आऊंगा और खेत काट लूंगा |
सारस घबराकर बोला – ” चलो जल्दी करो ! अभी अंधेरा नहीं हुआ है | दूसरे स्थान पर उड़ चलो | कल खेत अवश्य कट जाएगा |
बच्चे बोले – ” क्यों ? इस बार खेत कट जाएगा यह कैसे ?”
सारस ने कहा – ” किसान जब तक गांव वालों और भाइयों के भरोसे था | खेत के कटने की आशा नहीं थी | जो दूसरों के भरोसे कोई काम छोड़ता है | उसका काम नहीं होता, लेकिन जो सवयं काम करने को तैयार होता है | उसका काम रुका नहीं रहता | किसान जब सवयं कल खेत काटने वाला है, तब तो खेत कटेगा ही |”
अपने बच्चों के साथ सारस उसी समय वहां से उड़कर दूसरे स्थान पर चला गया ”
मित्रों" जो दूसरों के भरोसे कोई काम छोड़ता है | उसका काम नहीं होता, लेकिन जो सवयं काम करने को तैयार होता है | उसका काम रुका नहीं रहता |
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