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चील और कौआ



यह एक नैतिक कहानी है कि बुद्धि कैसे ताकत को मात दे सकती है

एक बार, एक घमंडी चील और एक चतुर कौआ एक ही जंगल में रहते थे। वे अक्सर इस बात पर बहस करते थे कि श्रेष्ठ पक्षी कौन है, बाज अपनी ताकत के बारे में और कौआ अपनी बुद्धि के बारे में शेखी बघारता था।

अपने विवाद को सुलझाने के लिए वे एक प्रतियोगिता के लिए सहमत हुए। उन्होंने एक खेत में चरते हुए एक मेमने को देखा और यह देखने का फैसला किया कि इसे पहले कौन पकड़ सकता है। चील झपट्टा मारने के लिए तैयार होकर आसमान में उड़ गई, जबकि कौवे की योजना कुछ और थी।

कौवा मेमने के पास आया और फुसफुसाया, “प्रिय मेमने, घबराओ मत। मैं जानता हूं कि चील झपट्टा मारकर तुम्हें नुकसान पहुंचाने वाली है। यदि तुम मेरी बात सुनोगे और मेरे निर्देशों का पालन करोगे तो मैं तुम्हें भागने में मदद कर सकता हूँ।”

मेमना कौवे की बात पर विश्वास करके सहमत हो गया। जब चील मेमने को पकड़ने के लिए नीचे उतरी तो कौए ने जोर से चिल्लाकर चील को डरा दिया। कृतज्ञ मेमने ने कौवे को धन्यवाद दिया और सुरक्षित भाग गया।

कौआ चील की ओर मुड़ा और बोला, "देखो, मेरे दोस्त, बुद्धि ताकत को मात दे सकती है।"

इस कहानी में, कौवे की चतुराई बाज की ताकत पर विजय प्राप्त करती है, जो इस विचार को दर्शाती है कि बुद्धि और ज्ञान शारीरिक शक्ति से अधिक मूल्यवान हो सकते हैं।

इस कहानी के विभिन्न संस्करण विभिन्न संस्कृतियों में मौजूद हैं, जिनमें से प्रत्येक व्यक्ति की बुद्धि का बुद्धिमानी से उपयोग करने के महत्व पर जोर देता है।

कहानी का नैतिक

कल्पित कहानी "द ईगल एंड द क्रो" का नैतिक यह है कि बुद्धिमत्ता और चतुराई अक्सर ताकत या शक्ति को मात दे सकती है।

कहानी में, कौआ मेमने की रक्षा के लिए अपनी बुद्धि और चालाकी का उपयोग करता है, जबकि बाज, अपनी ताकत के बावजूद, मात खा जाता है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धिमत्ता और संसाधनशीलता मूल्यवान संपत्ति हो सकती है, और कभी-कभी, समस्याओं को सुलझाने या लक्ष्य प्राप्त करने में दिमाग शारीरिक शक्ति से अधिक प्रभावी होता है।



The Eagle and the Crow

This is a moral story about how intelligence can outsmart strength

Once, a proud eagle and a clever crow lived in the same forest. They often argued about who was the superior bird, with the eagle boasting about its strength and the crow about its intelligence.

To settle their dispute, they agreed to a competition. They spotted a lamb grazing in a field and decided to see who could capture it first. The eagle soared into the sky, ready to swoop down, while the crow had a different plan.

The crow approached the lamb and whispered, “Dear Lamb, don’t be alarmed. I know the eagle is about to swoop down and harm you. If you listen to me and follow my lead, I can help you escape.”

The lamb, trusting the crow’s words, agreed. When the eagle descended to grab the lamb, the crow cawed loudly, scaring the eagle away. The grateful lamb thanked the crow and ran to safety.

The crow turned to the eagle and said, “You see, my friend, intelligence can outsmart strength.”

In this fable, the crow’s cleverness triumphs over the eagle’s strength, illustrating the idea that wit and wisdom can be more valuable than physical power.

Different versions of this fable exist in various cultures, each emphasizing the importance of using one’s intelligence wisely.

Moral of the Story

The moral of the fable “The Eagle and the Crow” is that intelligence and cleverness can often outsmart sheer strength or power.

In the story, the crow uses its wit and cunning to protect the lamb, while the eagle, despite its strength, is outsmarted.

This fable teaches us that intelligence and resourcefulness can be e assets, and sometimes, brains are more effective than physical strength in solving problems or achieving goals.


आज की कहानी


खुद की ताकत को पहचानो

बहुत पहले आप ने एक चिड़िया की कहानी सुनी होगी...

जिसका एक दाना पेड़ के कंदरे में कहीं फंस गया था...
  
चिड़िया ने पेड़ से बहुत अनुरोध किया उस दाने को दे देने के लिए लेकिन पेड़ उस छोटी सी चिड़िया की बात भला कहां सुनने वाला था...

हार कर चिड़िया बढ़ई के पास गई और उसने उससे अनुरोध किया कि तुम उस पेड़ को काट दो,
क्योंकि वो उसका दाना नहीं दे रहा...

भला एक दाने के लिए बढ़ई पेड़ कहां काटने वाला था...

फिर चिड़िया राजा के पास गई और उसने राजा से कहा कि तुम बढ़ई को सजा दो क्योंकि बढ़ई पेड़ नहीं काट रहा और पेड़ दाना नहीं दे रहा...

राजा ने उस नन्हीं चिड़िया को डांट कर भगा दिया कि कहां एक दाने के लिए वो उस तक पहुंच गई है। 
चिड़िया हार नहीं मानने वाली थी...

वो महावत के पास गई कि अगली बार राजा जब हाथी की पीठ पर बैठेगा तो तुम उसे गिरा देना, क्योंकि राजा बढ़ई को सजा नहीं देता...
बढ़ई पेड़ नहीं काटता...
पेड़ उसका दाना नहीं देता...
महावत ने भी चिड़िया को डपट कर भगा दिया...

चिड़िया फिर हाथी के पास गई और उसने अपने अनुरोध को दुहराया कि अगली बार जब महावत तुम्हारी पीठ पर बैठे तो तुम उसे गिरा देना क्योंकि वो राजा को गिराने को तैयार नहीं...

राजा बढ़ई को सजा देने को तैयार नहीं...
बढ़ई पेड़ काटने को तैयार नहीं...

पेड़ दाना देने को राजी नहीं।
हाथी बिगड़ गया...
उसने कहा, ऐ छोटी चिड़िया..

तू इतनी सी बात के लिए मुझे महावत और राजा को गिराने की बात सोच भी कैसे रही है?

चिड़िया आखिर में चींटी के पास गई और वही अनुरोध दोहराकर कहा कि तुम हाथी की सूंढ़ में घुस जाओ...
चींटी ने चिड़िया से कहा,
"चल भाग यहां से...
बड़ी आई हाथी की सूंढ़ में घुसने को बोलने वाली।

अब तक अनुरोध की मुद्रा में रही चिड़िया ने रौद्र रूप धारण कर लिया...
उसने कहा कि "मैं चाहे पेड़, बढ़ई, राजा, महावत, और हाथी का कुछ न बिगाड़ पाऊं...
पर तुझे तो अपनी चोंच में डाल कर खा ही सकती हूँ...

चींटी डर गई...भाग कर वो हाथी के पास गई...हाथी भागता हुआ महावत के पास पहुंचा...महावत राजा के पास कि हुजूर चिड़िया का काम कर दीजिए नहीं तो मैं आपको गिरा दूंगा....राजा ने फौरन बढ़ई को बुलाया...उससे कहा कि पेड़ काट दो नहीं तो सजा दूंगा...बढ़ई पेड़ के पास पहुंचा...बढ़ई को देखते ही पेड़ बिलबिला उठा कि मुझे मत काटो…मैं चिड़िया को दाना लौटा दूंगा...

आपको अपनी ताकत को पहचानना होगा...
आपको पहचानना होगा कि भले आप छोटी सी चिड़िया की तरह होंगे, लेकिन ताकत की कड़ियां कहीं न कहीं आपसे होकर गुजरती होंगी... हर सेर को सवा सेर मिल सकता है, बशर्ते आप अपनी लड़ाई से घबराएं नहीं...
आप अगर किसी काम के पीछे पड़ जाएंगे तो वो काम होकर रहेगा... 
यकीन कीजिए...हर ताकत के आगे एक और ताकत होती है और अंत में सबसे ताकतवर आप होते हैं...
                                    
 हिम्मत, लगन और पक्का इरादा ही हमारी ताकत की बुनियाद है..!! बड़े सपनो को पाने वाले हर व्यक्ति को सफलता और असफलता के कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है
       
  पहले लोग मजाक उड़ाएंगे
  फिर लोग साथ छोड़ेंगे
  फिर विरोध करेंगे

फिर वही लोग कहेंगे हम तो पहले से ही जानते थे की एक न एक दिन तुम कुछ बड़ा करोगे!

रख हौंसला वो मंज़र भी आयेगा,
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा..!
थक कर ना बैठ,
ऐ मंजिल के मुसाफ़िर
मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा!


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पैसों की हेकड़ी

जब बार बार बहू पैसों की हेकड़ी दिखाती थी तो सांस ने ऐसा किया कि बहू सोचने पर मजबूर हो गयी...पूरी कहानी जरूर सुने...।।

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संकलनकर्ता-गुरु लाइब्रेरी,झुंझुनूं,राजस्थान

*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*




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