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खुद को बदलने की क्षमता..

एक दिन सभी दोस्तों ने अपने एक दोस्त से मिलने का फैसला किया जिसने साधारण जीवन का पालन न करने और सिर्फ प्रार्थना करने और दूसरों की मदद करने के लिए अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया। जब वे पहुँचे, तो सभी उनके चारों ओर इकट्ठा हो गए और बात करने लगे और उनसे उनके जीवन के बारे में सवाल पूछने लगे।

उनमें से एक ने पूछा, "क्या आप हमें सिखाएंगे कि आपने इतने वर्षों में क्या सीखा है।"

"मैं बूढ़ा हूँ।", आदमी ने जवाब दिया।

एक अन्य मित्र ने कहा, “बूढ़े और समझदार। इन सभी वर्षों में हमने आपको प्रार्थना करते देखा है। आप भगवान से किस बारे में बात करते हैं? हमें किस लिए प्रार्थना करनी चाहिए?”

आदमी मुस्कुराया और जवाब दिया, "शुरुआत में जब मैं छोटा था, मैं भगवान के सामने घुटने टेकता था और उनसे मानव जाति को बदलने की शक्ति देने के लिए कहता था। धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि यह मुझसे परे था। फिर मैं ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि मुझे अपने आसपास की दुनिया को बदलने की शक्ति दे।"

"ठीक है, आपके आस-पास के लोगों की मदद करने की आपकी इच्छा पूरी हो गई क्योंकि हम जानते हैं कि आपने कई लोगों की मदद की है।", उनके एक दोस्त ने कहा।

मनुष्य ने कहा, "ठीक है, मैंने बहुतों की मदद की है, लेकिन मुझे पता था कि मुझे अभी भी पूर्ण प्रार्थना नहीं मिली है। केवल अब इस उम्र में मुझे एहसास हुआ कि मुझे शुरू से किस बारे में प्रार्थना करनी चाहिए थी..!!"

मित्रों ने प्रश्न किया, “वह क्या है?”

"खुद को बदलने की क्षमता देने के लिए ..", आदमी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।

नैतिक:

जब भी हम परेशान महसूस करते हैं तो हम सोचते हैं कि हमें लोगों और उनके दृष्टिकोण को बदलने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि कभी-कभी बदलाव को अपने भीतर से शुरू करने की जरूरत होती है।


Ability to Change Myself..

One day all friends decided to visit their one friend who decided not to follow simple life and just dedicate his life praying and helping others. When they reached, all gather around him and started to talk and ask him questions about his life.

One of them asked, “Would you teach us what you have learned over the years.”

“I am old.”, replied man.

Another friend said, “Old and Wise. All these years we watched you praying. What do you talk to God about? What we should be praying for?”

Man smiled and replied, “In beginning when i was young, i used to kneel before God and ask him to give me strength to change human kind. Gradually i realized that this was beyond me. Then i started to pray to God to give me strength to change world around me.”

“Well, your wish to help people around you was granted as we know that you have helped many.”, said one of his friends.

Man said, “Well, i have helped many but i knew i still haven’t found perfect prayer. Only now at this age I realized what i should have been praying about from the start..!!”

Friends questioned, “What is that?”

“To be given the ability to change myself..”, replied man with smile.


Moral:

When ever we feel troubled we think that We should try to change people and their attitude but What we need is to Understand that Sometimes Change need to Start with within ourselves.


माँ की ममता

गाँव के सरकारी स्कूल में संस्कृत की क्लास चल रही थी। गुरूजी दिवाली की छुट्टियों का कार्य बता रहे थे।

तभी शायद किसी शरारती विद्यार्थी के पटाखे से स्कूल के स्टोर रूम में पड़ी दरी और कपड़ो में आग लग गयी।

देखते ही देखते आग ने भीषण रूप धारण कर लिया। वहां पड़ा सारा फर्निचर भी स्वाहा हो गया।

सभी विद्यार्थी पास के घरो से, हेडपम्पों से जो बर्तन हाथ में आया उसी में पानी भर भर कर आग बुझाने लगे।

आग शांत होने के काफी देर बाद स्टोर रूम में घुसे तो सभी विद्यार्थियों की दृष्टि स्टोर रूम की बालकनी (छज्जे) पर जल कर कोयला बने पक्षी की ओर गयी।पक्षी की मुद्रा देख कर स्पष्ट था कि पक्षी ने उड़ कर अपनी जान बचाने का प्रयास तक नही किया था और वह स्वेच्छा से आग में भस्म हो गया था।

सभी को बहुत आश्चर्य हुआ।एक विद्यार्थी ने उस जल कर कोयला बने पक्षी को धकेला तो उसके नीचे से तीन नवजात चूजे दिखाई दिए, जो सकुशल थे और चहक रहे थे।

उन्हें आग से बचाने के लिए पक्षी ने अपने पंखों के नीचे छिपा लिया और अपनी जान देकर अपने चूजों को बचा लिया था।

एक विद्यार्थी ने संस्कृत वाले गुरूजी से प्रश्न किया - गुरूजी, इस पक्षी को अपने बच्चो से कितना मोह था, कि इसने अपनी जान तक दे दी ?

गुरूजी ने तनिक विचार कर कहा - नहीं, यह मोह नहीं है अपितु माँ के प्रेम की पराकाष्ठा है, मोह करने वाला ऐसी विकट स्थिति में अपनी जान बचाता और भाग जाता।

शिक्षा

प्रेम और मोह में जमीन आसामान का फर्क है।मोह में स्वार्थ निहित होता है और प्रेम में त्याग होता है।परमात्मा ने माँ को प्रेम की मूर्ति बनाया है और इस दुनिया में माँ के प्रेम से बढ़कर कुछ भी नहीं है।

माँ के उपकारो से हम कभी भी उपकृत नहीं हो सकते।इसलिए दोस्तों मां के आँखों में कभी आंसू मत आने देना!!सदैव उनका ख्याल रखिये।।


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