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सोया भाग्य

एक व्यक्ति जीवन से हर प्रकार से निराश था। लोग उसे मनहूस के नाम से बुलाते थे। एक ज्ञानी पंडित ने उसे बताया कि तेरा भाग्य फलां पर्वत पर सोया हुआ है, तू उसे जाकर जगा ले तो भाग्य तेरे साथ हो जाएगा। बस! फिर क्या था वो चल पड़ा अपना सोया भाग्य जगाने।

रास्ते में जंगल पड़ा तो एक शेर उसे खाने को लपका, वो बोला भाई! मुझे मत खाओ, मैं अपना सोया भाग्य जगाने जा रहा हूँ।

शेर ने कहा कि तुम्हारा भाग्य जाग जाये तो मेरी एक समस्या है, उसका समाधान पूछते लाना। मेरी समस्या ये है कि मैं कितना भी खाऊं … मेरा पेट भरता ही नहीं है, हर समय पेट भूख की ज्वाला से जलता रहता है।

मनहूस ने कहा– ठीक है।

आगे जाने पर एक किसान के घर उसने रात बिताई। बातों बातों में पता चलने पर कि वो अपना सोया भाग्य जगाने जा रहा है, किसान ने कहा कि मेरा भी एक सवाल है.. अपने भाग्य से पूछकर उसका समाधान लेते आना … मेरे खेत में, मैं कितनी भी मेहनत कर लूँ पैदावार अच्छी होती ही नहीं। मेरी शादी योग्य एक कन्या है, उसका विवाह इन परिस्थितियों में मैं कैसे कर पाऊंगा?

मनहूस बोला — ठीक है।

और आगे जाने पर वो एक राजा के घर मेहमान बना। रात्री भोज के उपरान्त राजा ने ये जानने पर कि वो अपने भाग्य को जगाने जा रहा है, उससे कहा कि मेरी परेशानी का हल भी अपने भाग्य से पूछते आना। मेरी परेशानी ये है कि कितनी भी समझदारी से राज्य चलाऊं… मेरे राज्य में अराजकता का बोलबाला ही बना रहता है।

मनहूस ने उससे भी कहा — ठीक है।

अब वो पर्वत के पास पहुँच चुका था। वहां पर उसने अपने सोये भाग्य को झिंझोड़ कर जगाया— उठो! उठो! मैं तुम्हें जगाने आया हूँ।

उसके भाग्य ने एक अंगडाई ली और उसके साथ चल दिया। उसका भाग्य बोला
— अब मैं तुम्हारे साथ हरदम रहूँगा।

अब वो मनहूस न रह गया था बल्कि भाग्यशाली व्यक्ति बन गया था और अपने भाग्य की बदौलत वो सारे सवालों के जवाब जानता था।

वापसी यात्रा में वो उसी राजा का मेहमान बना और राजा की परेशानी का हल बताते हुए वो बोला — चूँकि तुम एक स्त्री हो और पुरुष वेश में रहकर राज – काज संभालती हो, इसीलिए राज्य में अराजकता का बोलबाला है। तुम किसी योग्य पुरुष के साथ विवाह कर लो, दोनों मिलकर राज्य भार संभालो तो तुम्हारे राज्य में शांति स्थापित हो जाएगी।

रानी बोली — तुम्हीं मुझ से ब्याह कर लो और यहीं रह जाओ।

भाग्यशाली बन चुका वो मनहूस इन्कार करते हुए बोला — नहीं नहीं! मेरा तो भाग्य जाग चुका है। तुम किसी और से विवाह कर लो।

तब रानी ने अपने मंत्री से विवाह किया और सुखपूर्वक राज्य चलाने लगी। कुछ दिन राजकीय मेहमान बनने के बाद उसने वहां से विदा ली।

चलते चलते वो किसान के घर पहुंचा और उसके सवाल के जवाब में बताया कि तुम्हारे खेत में सात कलश हीरे जवाहरात के गड़े हैं, उस खजाने को निकाल लेने पर तुम्हारी जमीन उपजाऊ हो जाएगी और उस धन से तुम अपनी बेटी का ब्याह भी धूमधाम से कर सकोगे।

किसान ने अनुग्रहित होते हुए उससे कहा कि मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ, तुम ही मेरी बेटी के साथ ब्याह कर लो।

पर भाग्यशाली बन चुका वह व्यक्ति बोला कि नहीं! नहीं! मेरा तो भाग्योदय हो चुका है, तुम कहीं और अपनी सुन्दर कन्या का विवाह करो।

किसान ने उचित वर देखकर अपनी कन्या का विवाह किया और सुखपूर्वक रहने लगा। कुछ दिन किसान की मेहमाननवाजी भोगने के बाद वो जंगल में पहुंचा और शेर से उसकी समस्या के समाधानस्वरुप कहा कि यदि तुम किसी बड़े मूर्ख को खा लोगे तो तुम्हारी ये क्षुधा शांत हो जाएगी।

शेर ने उसकी बड़ी आवभगत की और यात्रा का पूरा हाल जाना। सारी बात पता चलने के बाद शेर ने कहा कि भाग्योदय होने के बाद इतने अच्छे और बड़े दो मौके गंवाने वाले ऐ इंसान! तुझसे बड़ा मूर्ख और कौन होगा? तुझे खाकर ही मेरी भूख शांत होगी और इस तरह वो इंसान शेर का शिकार बनकर मृत्यु को प्राप्त हुआ।

शिक्षा
यदि आपके पास सही मौका परखने का विवेक और अवसर को पकड़ लेने का ज्ञान नहीं है तो भाग्य भी आपके साथ आकर आपका कुछ भला नहीं कर सकता।


कर भला तो हो भला

एक प्रसिद्ध राजा हुआ करते थे जिनका नाम रामधन था। अपने नाम की ही तरह प्रजा सेवा ही उनका धर्म था।

उनकी प्रजा भी उन्हें राजा राम की तरह सम्मान देती थी। राजा रामधन सभी की निष्काम भाव से सहायता करते थे फिर चाहे वो उनके राज्य की प्रजा हो या अन्य किसी और राज्य की।

उनकी ख्याति सर्वत्र फैल गई थी, उनके दानी स्वभाव और व्यवहार के गुणगान उनके शत्रु राजा तक करते थे।

उन राजाओं में एक राजा था भीम सिंह, जिसे राजा रामधन की इस ख्याति से ईर्ष्या हुआ करती थी।

उस ईर्ष्या के कारण भीम सिंह ने राजा रामधन को हराने की एक रणनीति बनाई और कुछ समय बाद रामधन के राज्य पर आक्रमण कर दिया।

भीम सिंह ने छल से युद्ध जीत लिया और रामधन को अपनी जान बचाने के लिए जंगल में जाकर छुपना पड़ा। इतना होने पर भी रामधन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई।

हर जगह प्रजा उन्हीं की चर्चा करती रहती थी। जिससे भीम सिंह परेशान हो गया और उसने राजा रामधन को मृत्युदंड देने का फैसला किया।

उसने ऐलान किया कि जो राजा रामधन को पकड़कर लायेगा, वे उसे दस हज़ार सोने के दिनार देगा।

दूसरी ओर राजा रामधन जंगलों में ही भटकते रहे। तब उन्हें एक राहगीर मिला और उसने कहा; भाई! तुम इस प्रान्त के लग रहे हो, क्या मुझे राजा रामधन के राज्य का रास्ता बता सकते हो ?

राजा रामधन ने पूछा: तुम्हें क्या काम है राजा से ?

तब राहगीर ने कहा, मेरा बेटा बहुत बीमार है, उसके इलाज़ में मेरा सारा धन चला गया। सुना है राजा रामधन सभी की मदद करते हैं, सोचा उन्हीं के पास जाकर याचना करूँ।

यह सुनकर राजा रामधन राहगीर को अपने साथ लेकर भीम सिंह के पास पहुँचा। उन्हें देख दरबार में सभी अचंभित थे।

राजा रामधन ने कहा– हे राजन ! आपने मुझे खोजने वाले को दस हजार दिनार देने का वादा किया था। मेरे इस मित्र ने मुझे आपके सामने पेश किया है, अतः इसे वो दिनार दे दें।

यह सुनकर राजा भीम सिंह को अहसास हुआ कि राजा रामधन सच में कितने महान और दानी हैं। उसने अपनी गलती को स्वीकार किया।

साथ ही राजा रामधन को उनका राज्य लौटा दिया और सदा उनके दिखाये रास्ते पर चलने का फैसला किया।

दोस्तों इसी को कहते हैं “कर भला तो हो भला।”

कहाँ एक तरफ भीम सिंह राजा रामधन को मारना चाहता था और कहाँ राजा रामधन की करनी देख वो लज्जित हुआ और उन्हें उनका राज्य लौटा दिया और स्वयं को उनके जैसा बनाने में जुट गया।

महान लोग सही कहते हैं “कर भला तो हो भला।” रामधन की करनी का ही फल था जो वो हारने के बाद भी जीत गया।

उसने जिस तरह सभी की मदद की उसकी मदद अंत में उसी के काम आई।


शिक्षा:-
मनुष्य को अपने कर्मों का ख्याल करना चाहिये। अगर आप अच्छा करोगे तो अच्छा ही मिलेगा। माना कि शुरू शुरू में कष्ट होता है लेकिन अंत सदैव अच्छा होता है..!!

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