शिक्षाप्रद कहानियाँ भाग-45, download free pdf

थॉमस एडिसन की प्रेरक लघु कथाएँ:


आत्मविश्वास खोने का डर.!!

जब थॉमस अल्वा एडिसन ने प्रकाश बल्ब का सफलतापूर्वक आविष्कार किया तो सभी सहायक खुश थे। जैसा कि उन्होंने प्रकाश बल्ब का आविष्कार करने के अपने प्रयास में सफलता प्राप्त करने से पहले लगभग 1000 बार प्रयोग किया था।

एडिसन ने ऑफिस बॉय को बुलाया और उससे उस बल्ब का परीक्षण करने को कहा। सिर्फ एक ऑफिस बॉय होने के नाते, वह उस बल्ब को अपने हाथ में पकड़ने के लिए बहुत घबराया हुआ था, फिर भी उसने ऐसा किया क्योंकि एडिसन ने उसे परीक्षण करने के लिए कहा था। वह इसे पकड़े हुए इतना घबराया हुआ था कि घबराहट के कारण उसने गलती से उसे गिरा दिया।

ऑफिस बॉय डर गया कि इतने महत्वपूर्ण आविष्कार को छोड़ने के लिए उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा।

2 दिन बाद एडिसन ने फिर उस ऑफिस बॉय को अपने केबिन में आने को कहा। सभी सहायिकाएं वहां मौजूद थीं। एडिसन ने एक और बल्ब बनाया और उस लड़के से बल्ब की जांच करने को कहा।

सभी सहायक हैरान रह गए और बोले, "आपने उसे फिर से क्यों बुलाया ?? उसके दोबारा छोड़ने की संभावना है और आपका सारा प्रयास बेकार जा सकता है।

एडिसन ने उत्तर दिया, "मुझे उस बल्ब को फिर से बनाने में लगभग एक दिन का समय लगा और अगर वह इसे फिर से गिरा भी देता है, तो मैं एक दिन में फिर से बल्ब का निर्माण कर सकता हूँ।

लेकिन अगर मैं उसे दोबारा वही काम नहीं देता तो वह अपना आत्मविश्वास और आत्मविश्वास खो देता जिसे वापस पाना बहुत मुश्किल होगा.. और मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो..

नैतिक:
यदि एक बार किसी कार्य में गलती हो जाती है, तो उसे दोबारा न करने से उस कार्य को दोबारा करने का आत्मविश्वास कम हो सकता है।


रिपोर्टर का सवाल..!!

बिजली के बल्ब के प्रदर्शन पर एक रिपोर्टर ने उनसे पूछा, "1000 बार असफल होने पर आपको कैसा लगता है?"

एडिसन ने उत्तर दिया, “मैं 1000 बार असफल नहीं हुआ। बिजली के बल्ब का आविष्कार 1000 चरणों में किया गया था.. मैं हर गलत प्रयास से निराश नहीं हुआ क्योंकि यह एक और कदम आगे बढ़ता है..

हर आदमी विचार विकसित करता है और उस बिंदु तक काम करता है जहां यह असंभव लगता है और फिर निराश हो जाता है। निराश होने की कोई जगह नहीं है..'


Fear of Losing Confidence.!!

When Thomas Alva Edison successfully invented light bulb all this assistants were happy. As he had experimented around 1000 times before getting success in his attempt to invent light bulb.

Edison called office boy and asked him to test that bulb. Being just a office boy, he was very nervous to even holding that bulb in his hand still he did because Edison asked him to test it. He was so nervous holding it that due to nervousness he accidentally dropped it.

Office boy got scared that he would get fired from his job for dropping such important invention.

After 2 days Edison again asked that office boy to come to his cabin. All assistants were present there. Edison constructed another bulb and asked that boy to test bulb.

All assistants were surprised and said, “Why did you called him again?? There are chances of him dropping it again and all your effort could go to waste..”

Edison replied, “It took me roughly one day to construct that bulb again and even if he drops it again, i can again construct bulb with in a day..

But if i don’t give him same task again then he would have lost his self belief and confidence which would be very difficult to get back.. And i Don’t want that to Happen..”

Moral:
If Once Mistaken in some task, Not doing it again may lead to Losing Confidence to Try doing that work again.


Reporter Question..!!

On the demonstration of electric bulb an reporter asked him, “How do you feel to fail 1000 time??”

Edison replied, “I didn’t failed 1000 times. Invention of light bulb was done in 1000 steps.. I didn’t get discouraged at every wrong attempt as it another step forward..

Every man develops idea and works up to point where it seems impossible and then get discouraged. There is no place to be discouraged..”

माँ का सूट 

मैं एक घर के करीब से गुज़र रहा था की अचानक से मुझे उस घर के अंदर से एक बच्चे की रोने की आवाज़ आई। उस बच्चे की आवाज़ में इतना दर्द था कि अंदर जा कर वह बच्चा क्यों रो रहा है, यह मालूम करने से मैं खुद को रोक ना सका।b

अंदर जा कर मैने देखा कि एक माँ अपने दस साल के बेटे को आहिस्ता से मारती और बच्चे के साथ खुद भी रोने लगती। मैने आगे हो कर पूछा बहनजी आप इस छोटे से बच्चे को क्यों मार रही हो? जब कि आप खुद भी रोती हो।

उस ने जवाब दिया भाई साहब इस के पिताजी भगवान को प्यारे हो गए हैं और हम लोग बहुत ही गरीब हैं, उन के जाने के बाद मैं लोगों के घरों में काम करके घर और इस की पढ़ाई का खर्च बामुश्किल उठाती हूँ और यह कमबख्त स्कूल रोज़ाना देर से जाता है और रोज़ाना घर देर से आता है।

जाते हुए रास्ते मे कहीं खेल कूद में लग जाता है और पढ़ाई की तरफ ज़रा भी ध्यान नहीं देता है जिस की वजह से रोज़ाना अपनी स्कूल की वर्दी गन्दी कर लेता है। मैने बच्चे और उसकी माँ को जैसे तैसे थोड़ा समझाया और चल दिया।

इस घटना को कुछ दिन ही बीते थे की एक दिन सुबह सुबह कुछ काम से मैं सब्जी मंडी गया। तो अचानक मेरी नज़र उसी दस साल के बच्चे पर पड़ी जो रोज़ाना घर से मार खाता था। मैं क्या देखता हूँ कि वह बच्चा मंडी में घूम रहा है और जो दुकानदार अपनी दुकानों के लिए सब्ज़ी खरीद कर अपनी बोरियों में डालते तो उन से कोई सब्ज़ी ज़मीन पर गिर जाती थी वह बच्चा उसे फौरन उठा कर अपनी झोली में डाल लेता।

मैं यह नज़ारा देख कर परेशानी में सोच रहा था कि ये चक्कर क्या है, मैं उस बच्चे का चोरी चोरी पीछा करने लगा। जब उस की झोली सब्ज़ी से भर गई तो वह सड़क के किनारे बैठ कर उसे ऊंची ऊंची आवाज़ें लगा कर वह सब्जी बेचने लगा। मुंह पर मिट्टी गन्दी वर्दी और आंखों में नमी, ऐसा महसूस हो रहा था कि ऐसा दुकानदार ज़िन्दगी में पहली बार देख रहा हूँ ।

अचानक एक आदमी अपनी दुकान से उठा जिस की दुकान के सामने उस बच्चे ने अपनी नन्ही सी दुकान लगाई थी, उसने आते ही एक जोरदार लात मार कर उस नन्ही दुकान को एक ही झटके में रोड पर बिखेर दिया और बाज़ुओं से पकड़ कर उस बच्चे को भी उठा कर धक्का दे दिया।

वह बच्चा आंखों में आंसू लिए चुप चाप दोबारा अपनी सब्ज़ी को इकठ्ठा करने लगा और थोड़ी देर बाद अपनी सब्ज़ी एक दूसरे दुकान के सामने डरते डरते लगा ली। भला हो उस शख्स का जिस की दुकान के सामने इस बार उसने अपनी नन्ही दुकान लगाई उस शख्स ने बच्चे को कुछ नहीं कहा।

थोड़ी सी सब्ज़ी थी ऊपर से बाकी दुकानों से कम कीमत। जल्द ही बिक्री हो गयी, और वह बच्चा उठा और बाज़ार में एक कपड़े वाली दुकान में दाखिल हुआ और दुकानदार को वह पैसे देकर दुकान में पड़ा अपना स्कूल बैग उठाया और बिना कुछ कहे वापस स्कूल की और चल पड़ा। और मैं भी उस के पीछे पीछे चल रहा था।

बच्चे ने रास्ते में अपना मुंह धो कर स्कूल चल दिया। मै भी उस के पीछे स्कूल चला गया। जब वह बच्चा स्कूल गया तो एक घंटा लेट हो चुका था। जिस पर उस के टीचर ने डंडे से उसे खूब मारा। मैने जल्दी से जा कर टीचर को मना किया कि मासूम बच्चा है इसे मत मारो। टीचर कहने लगे कि यह रोज़ाना एक डेढ़ घण्टे लेट से ही आता है और मै रोज़ाना इसे सज़ा देता हूँ कि डर से स्कूल वक़्त पर आए और कई बार मै इस के घर पर भी खबर दे चुका हूँ।

खैर बच्चा मार खाने के बाद क्लास में बैठ कर पढ़ने लगा। मैने उसके टीचर का मोबाइल नम्बर लिया और घर की तरफ चल दिया। घर पहुंच कर एहसास हुआ कि जिस काम के लिए सब्ज़ी मंडी गया था वह तो भूल ही गया। मासूम बच्चे ने घर आ कर माँ से एक बार फिर मार खाई। सारी रात मेरा सर चकराता रहा।

सुबह उठकर फौरन बच्चे के टीचर को कॉल की कि मंडी टाइम हर हालत में मंडी पहुंचें। और वो मान गए। सूरज निकला और बच्चे का स्कूल जाने का वक़्त हुआ और बच्चा घर से सीधा मंडी अपनी नन्ही दुकान का इंतेज़ाम करने निकला। मैने उसके घर जाकर उसकी माँ को कहा कि बहनजी आप मेरे साथ चलो मै आपको बताता हूँ, आप का बेटा स्कूल क्यों देर से जाता है।

वह फौरन मेरे साथ मुंह में यह कहते हुए चल पड़ीं कि आज इस लड़के की मेरे हाथों खैर नही। छोडूंगी नहीं उसे आज। मंडी में लड़के का टीचर भी आ चुका था। हम तीनों ने मंडी की तीन जगहों पर पोजीशन संभाल ली, और उस लड़के को छुप कर देखने लगे। आज भी उसे काफी लोगों से डांट फटकार और धक्के खाने पड़े, और आखिरकार वह लड़का अपनी सब्ज़ी बेच कर कपड़े वाली दुकान पर चल दिया।

अचानक मेरी नज़र उसकी माँ पर पड़ी तो क्या देखता हूँ कि वह बहुत ही दर्द भरी सिसकियां लेकर लगा तार रो रही थी, और मैने फौरन उस के टीचर की तरफ देखा तो बहुत शिद्दत से उसके आंसू बह रहे थे। दोनो के रोने में मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उन्हों ने किसी मासूम पर बहुत ज़ुल्म किया हो और आज उन को अपनी गलती का एहसास हो रहा हो।

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