बुरी स्मृतियाँ भुला दी जाएँ
दो भाई थे। परस्पर बडे़ ही स्नेह तथा सद्भावपूर्वक रहते थे। बड़ा भाई कोई वस्तु लाता तो छोटे भाई तथा उसके परिवार के लिए भी अवश्य ही लाता, छोटा भाई भी सदा उनको आदर तथा सम्मान की दृष्टि से देखता।...पर एक दिन किसी बात पर दोनों में कहा सुनी हो गई। बात बढ़ गई और छोटे भाई ने बडे़ भाई के प्रति अपशब्द कह दिए। बस फिर क्या था ? दोनों के बीच दरार पड़ ही तो गई। उस दिन से ही दोनों अलग-अलग रहने लगे और कोई किसी से नहीं बोला। कई वर्ष बीत गये। मार्ग में आमने सामने भी पड़ जाते तो कतराकर दृष्टि बचा जाते, छोटे भाई की कन्या का विवाह आया। उसने सोचा बडे़ अंत में बडे़ ही हैं, जाकर मना लाना चाहिए।
वह बडे़ भाई के पास गया और पैरों में पड़कर पिछली बातों के लिए क्षमा माँगने लगा। बोला अब चलिए और विवाह कार्य संभालिए।
पर बड़ा भाई न पसीजा, चलने से साफ मना कर दिया। छोटे भाई को दुःख हुआ। अब वह इसी चिंता में रहने लगा कि कैसे भाई को मनाकर लाया जाए इधर विवाह के भी बहुत ही थोडे दिन रह गये थे। संबंधी आने लगे थे।
किसी ने कहा- उसका बडा भाई एक संत के पास नित्य जाता है और उनका कहना भी मानता है। छोटा भाई उन संत के पास पहुँचा और पिछली सारी बात बताते हुए अपनी त्रुटि के लिए क्षमा याचना की तथा गहरा पश्चात्ताप व्यक्त किया और प्रार्थना की कि ''आप किसी भी प्रकार मेरे भाई को मेरे यहां आने के लिए तैयार कर दे।''
दूसरे दिन जब बडा़ भाई सत्संग में गया तो संत ने पूछा - तुम्हारे छोटे भाई के यहाँ कन्या का विवाह है। तुम क्या-क्या काम संभाल रहे हो ?
बड़ा भाई बोला- "मैं विवाह में सम्मिलित नही हो रहा। कुछ वर्ष पूर्व मेरे छोटे भाई ने मुझे ऐसे कड़वे वचन कहे थे, जो आज भी मेरे हृदय में काँटे की तरह खटक रहे हैं।'' संत जी ने कहा जब सत्संग समाप्त हो जाए तो जरा मुझसे मिलते जाना।'' सत्संग समाप्त होने पर वह संत के पास पहुँचा, उन्होंने पूछा- मैंने गत रविवार को जो प्रवचन दिया था उसमें क्या बतलाया गया था ?
बडा भाई मौन ? कहा कुछ याद नहीं पडता कौन सा विषय था ?
संत ने कहा- अच्छी तरह याद करके बताओ।
पर प्रयत्न करने पर भी उसे वह विषय याद नहीं आया।
संत बोले 'देखो! मेरी बताई हुई अच्छी बात तो तुम्हें आठ दिन भी याद न रही और छोटे भाई के कडवे बोल जो एक वर्ष पहले कहे गये थे, वे तुम्हें अभी तक हृदय में चुभ रहे है। जब तुम अच्छी बातों को याद ही नहीं रख सकते, तब उन्हें जीवन में कैसे उतारोगे और जब जीवन नहीं सुधारा तब सत्संग में आने का क्या लाभ? अतः कल से यहाँ मत आया करो।''
अब बडे़ भाई की आँखें खुली। अब उसने आत्म-चिंतन किया और देखा कि मैं वास्तव में ही गलत मार्ग पर हूँ। छोटों की बुराई भूल ही जाना चाहिए। इसी में बडप्पन है।
उसने संत के चरणों में सिर नवाते हुए कहा मैं समझ गया गुरुदेव! अ
भी छोटे भाई के पास जाता हूँ, आज मैंने अपना गंतव्य पा लिया।''
राजा और उसके पुत्रों की प्रेरणादायक कहानी
छोटी सी तीन अनमोल विचारों की कहानीं
यह काहानी हैं एक राजा की जो बहुत बडे राज्य के राजा थे वह बहुत बुद्धिमान राजा थे। आसपास के राज्यों के छोटे बडे राजा उनसे अपनी किसी समस्या का हल पूछने के लिए आते थे। वह अपने राज्य की जनता के बहुत लोकप्रिय राजा थे।
राजा के तीन पुत्र थे तीनो पुत्र बडे ही समझदार थे। एक बार राजा ने अपने तीनो पुत्रों की एक परीक्षा लेनी चाही कि इनमे से कोई अपने राज्य का अगले राजा बनने के काबिल हैं भी या नही। राजा ने अपने तीनो पुत्रों को एक साथ अपने पास बुलाया और उनको एक task देता है और कुछ सर्ते भी बताता है। राजा ने अपने तीनो पुत्रों से कहा कि तुम तीनो को अपने राज्य मे किसी एक पेड को ढूढंना हैं और उसके बारे मे सारी सही जानकारी बतानी है कि पेड कैसा था और अन्य जानकारियां। और तीनो को एक सर्त भी दे दी कि तुम्हें यह पेड चार महीने के अन्तराल मे देखकर आना है।राजा ने आखिर मे उस पेड का नाम भी बता दिया। जो उसके राज्य मे केवल एक ही पेड था वह पेड नाशपाती का था। तीनो लडको मे से सबसे पहले बडा लडका उस नाशपाती के पेड को ढुढंने के लिए चल दिया। वह पेड राज्य मे एक ही था इसलिए पेड को ढूढंने मे काफी समय लगा वह लोगों से पूछकर उस नाशपाती को ढूढंने मे सफल हो गया अपने महल से दूर जाकर उसे वह नाशपाती का पेड मिला।
उसने नाशपाती के पेड का निरीक्षण किया जो बिल्कुल सुखा हुआ था उसपर ना तो पत्ते थे और ना ही फल थे। लडका सोचने लगा कि यह भी कोई देखने लायक पेड हैं पिताजी ने मुझे इस को देखने के लिए कहा है जिसपर ना कोई पत्ता है और ना फल।
अब राजा का बडा लडका नाशपाती के पेड को देखकर वापिस अपने महल आ जाता हैं। और राजा के पास जाकर लडके ने कहा पिताजी मैं उस पेड को देखकर आ गया हूँ। जिसको देखने के लिए आपने कहा था। आप कहे तो उसके बारे मे आपको कुछ बताऊं। राजा ने कहा कि अभी आप अपनी जानकारी को अपने पास ही रखो समय आने पर तुमको सबकुछ बताने का मौका दिया जायेगा।चार महीने हो चुके थे अब बारी बीच वाले लडके की थी वह भी पेड की तलाश में चल दिया लोगों से पूछते हुए कुछ दिनो बाद उसे भी नाशपाती का पेड मिल गया। अब नाशपाती के पेड पर कुछ हरे पत्ते थे लेकिन कोई फल नही था वह पेड को देखकर वापिस अपने महल मे आ गया लडका राजा के पास गया तो राजा ने उससे भी चुप रहने के लिए कहा। चार महीने और बीत चुके थे अब सबसे छोटे लडके की बारी थी उस पेड के बारे मे जानकारी इकट्ठा करके आकर बताने की।
सबसे छोटा वाला लडका भी पेड की तलाश मे निकल पडा। कुछ दिनो के बाद उसे भी वही नाशपाती का पेड मिल गया। उसने पेड का ध्यान से निरीक्षण किया और सोचने लगा कि कितना अच्छा पेड हैं इसपर कितने सार फल लगे हुए हैं। यह सब देखकर लडका अपने महल के लिए वापिस चल दिया। अपने महल मे आकर पिताजी के पास गया और कहा कि मैं उस नाशपाती के पेड को देखकर आया हूँ आप कहे तो मैं उसके बारे मे बताऊ राजा ने आपने तीनों बेटों को एक साथ बुलाया और उस पेड के बारे मे अपनी अपनी जानकारी बताने को कहा सबसे पहले बडे लडके ने बताना शुरू किया उसने कहा पिताजी आपने कौनसा पेड देखने के लिए भेजा था कोई अच्छा सा पेड देखने के लिए कहते तो अच्छा होता।वह भी कोई देखने लायक पेड था उस पेड पर ना तो पत्ता था ना कोई फल वो भी कोई पेड होता हैं। इतने मे बीच वाले लडके ने जवाब दिया कि ऐसा नहीं है उस पेड पर हरे भरे पत्ते थे लेकिन हा कोई फल नही था। इतना सुनकर छोटे लडके ने कहा कि आप दोनो झूठ बोल रहे हैं उस पेड पर पत्ते भी थे और फल भी थे वह बहुत अच्छा पेड था उसपर बहुत फल लगे थे। अब तीनो पुत्रों मे अपनी बात सही साबित करने के लिए बहस होने लगी। आस पास खडे लोग भी राजा के लिए कहने लगे कि ये कैसा राजा हैं इसने अपने लडकों मे ही लडाई करवा दी इनमे फूट डाल रहा है। अब राजा ने अपने तीनों पुत्रों को शान्त होने को कहा और उनको समझाया कि आप तीनों ही सही कह रहे है बिल्कुल सच बोल रहे हो।
क्योंकि आपने उस पेड को चार महीने के अन्तराल मे देखा था उस अन्तराल मे उसमे बदलाव आ गये थे जब पतझड था तो उसमे पत्ते नही थे फिर कुछ दिन बाद उसमे पत्ते आ गये और कुछ और दिन बाद जब फल का समय आया तो उस पर फल भी लग गये।इतना कहकर राजा ने कहा कि इस काम को मैंने इसलिए चुना था कि तुम्हें तीन जरूरी बातों का पता चल सके जो तुम्हारे जीवन मे बहुत काम आयेगीं वे तीन बाते हैं ये हैंपहली कि कभी भी किसी को एक बार देखकर जज नही करना चाहिए, हो सकता है कि उसका समय खराब चल रहा हो और वक्त सही आते ही सबकुछ ठीक हो जाये। जैसे पेड पर पहले कुछ भी नही था और वक्त आते ही उसपर फल भी लगने लगे थे।
छोटी सी तीन अनमोल विचारों की कहानीं
यह काहानी हैं एक राजा की जो बहुत बडे राज्य के राजा थे वह बहुत बुद्धिमान राजा थे। आसपास के राज्यों के छोटे बडे राजा उनसे अपनी किसी समस्या का हल पूछने के लिए आते थे। वह अपने राज्य की जनता के बहुत लोकप्रिय राजा थे।
राजा के तीन पुत्र थे तीनो पुत्र बडे ही समझदार थे। एक बार राजा ने अपने तीनो पुत्रों की एक परीक्षा लेनी चाही कि इनमे से कोई अपने राज्य का अगले राजा बनने के काबिल हैं भी या नही। राजा ने अपने तीनो पुत्रों को एक साथ अपने पास बुलाया और उनको एक task देता है और कुछ सर्ते भी बताता है। राजा ने अपने तीनो पुत्रों से कहा कि तुम तीनो को अपने राज्य मे किसी एक पेड को ढूढंना हैं और उसके बारे मे सारी सही जानकारी बतानी है कि पेड कैसा था और अन्य जानकारियां। और तीनो को एक सर्त भी दे दी कि तुम्हें यह पेड चार महीने के अन्तराल मे देखकर आना है।राजा ने आखिर मे उस पेड का नाम भी बता दिया। जो उसके राज्य मे केवल एक ही पेड था वह पेड नाशपाती का था। तीनो लडको मे से सबसे पहले बडा लडका उस नाशपाती के पेड को ढुढंने के लिए चल दिया। वह पेड राज्य मे एक ही था इसलिए पेड को ढूढंने मे काफी समय लगा वह लोगों से पूछकर उस नाशपाती को ढूढंने मे सफल हो गया अपने महल से दूर जाकर उसे वह नाशपाती का पेड मिला।
उसने नाशपाती के पेड का निरीक्षण किया जो बिल्कुल सुखा हुआ था उसपर ना तो पत्ते थे और ना ही फल थे। लडका सोचने लगा कि यह भी कोई देखने लायक पेड हैं पिताजी ने मुझे इस को देखने के लिए कहा है जिसपर ना कोई पत्ता है और ना फल।
अब राजा का बडा लडका नाशपाती के पेड को देखकर वापिस अपने महल आ जाता हैं। और राजा के पास जाकर लडके ने कहा पिताजी मैं उस पेड को देखकर आ गया हूँ। जिसको देखने के लिए आपने कहा था। आप कहे तो उसके बारे मे आपको कुछ बताऊं। राजा ने कहा कि अभी आप अपनी जानकारी को अपने पास ही रखो समय आने पर तुमको सबकुछ बताने का मौका दिया जायेगा।चार महीने हो चुके थे अब बारी बीच वाले लडके की थी वह भी पेड की तलाश में चल दिया लोगों से पूछते हुए कुछ दिनो बाद उसे भी नाशपाती का पेड मिल गया। अब नाशपाती के पेड पर कुछ हरे पत्ते थे लेकिन कोई फल नही था वह पेड को देखकर वापिस अपने महल मे आ गया लडका राजा के पास गया तो राजा ने उससे भी चुप रहने के लिए कहा। चार महीने और बीत चुके थे अब सबसे छोटे लडके की बारी थी उस पेड के बारे मे जानकारी इकट्ठा करके आकर बताने की।
सबसे छोटा वाला लडका भी पेड की तलाश मे निकल पडा। कुछ दिनो के बाद उसे भी वही नाशपाती का पेड मिल गया। उसने पेड का ध्यान से निरीक्षण किया और सोचने लगा कि कितना अच्छा पेड हैं इसपर कितने सार फल लगे हुए हैं। यह सब देखकर लडका अपने महल के लिए वापिस चल दिया। अपने महल मे आकर पिताजी के पास गया और कहा कि मैं उस नाशपाती के पेड को देखकर आया हूँ आप कहे तो मैं उसके बारे मे बताऊ राजा ने आपने तीनों बेटों को एक साथ बुलाया और उस पेड के बारे मे अपनी अपनी जानकारी बताने को कहा सबसे पहले बडे लडके ने बताना शुरू किया उसने कहा पिताजी आपने कौनसा पेड देखने के लिए भेजा था कोई अच्छा सा पेड देखने के लिए कहते तो अच्छा होता।वह भी कोई देखने लायक पेड था उस पेड पर ना तो पत्ता था ना कोई फल वो भी कोई पेड होता हैं। इतने मे बीच वाले लडके ने जवाब दिया कि ऐसा नहीं है उस पेड पर हरे भरे पत्ते थे लेकिन हा कोई फल नही था। इतना सुनकर छोटे लडके ने कहा कि आप दोनो झूठ बोल रहे हैं उस पेड पर पत्ते भी थे और फल भी थे वह बहुत अच्छा पेड था उसपर बहुत फल लगे थे। अब तीनो पुत्रों मे अपनी बात सही साबित करने के लिए बहस होने लगी। आस पास खडे लोग भी राजा के लिए कहने लगे कि ये कैसा राजा हैं इसने अपने लडकों मे ही लडाई करवा दी इनमे फूट डाल रहा है। अब राजा ने अपने तीनों पुत्रों को शान्त होने को कहा और उनको समझाया कि आप तीनों ही सही कह रहे है बिल्कुल सच बोल रहे हो।
क्योंकि आपने उस पेड को चार महीने के अन्तराल मे देखा था उस अन्तराल मे उसमे बदलाव आ गये थे जब पतझड था तो उसमे पत्ते नही थे फिर कुछ दिन बाद उसमे पत्ते आ गये और कुछ और दिन बाद जब फल का समय आया तो उस पर फल भी लग गये।इतना कहकर राजा ने कहा कि इस काम को मैंने इसलिए चुना था कि तुम्हें तीन जरूरी बातों का पता चल सके जो तुम्हारे जीवन मे बहुत काम आयेगीं वे तीन बाते हैं ये हैंपहली कि कभी भी किसी को एक बार देखकर जज नही करना चाहिए, हो सकता है कि उसका समय खराब चल रहा हो और वक्त सही आते ही सबकुछ ठीक हो जाये। जैसे पेड पर पहले कुछ भी नही था और वक्त आते ही उसपर फल भी लगने लगे थे।
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