शिक्षाप्रद कहानियाँ भाग-9

मधुर व्यवहार

एक राजा था। उसने एक सपना देखा। सपने में उससे एक परोपकारी साधु कह रहा था कि बेटा! कल रात को तुम्हें एक विषैला सांप काटेगा और उसके काटने से तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। वह सर्प अमुक पेड़ की जड़ में रहता है। वह तुमसे पूर्व जन्म की शत्रुता का बदला लेना चाहता है।

सुबह हुई, राजा सोकर उठा और सपने की बात अपनी आत्मरक्षा के लिए क्या उपाय करना चाहिए? इसे लेकर विचार करने लगा। सोचते-सोचते राजा इस निर्णय पर पहुंचा कि मधुर व्यवहार से बढ़कर शत्रु को जीतने वाला और कोई हथियार इस पृथ्वी पर नहीं है। उसने सर्प के साथ मधुर व्यवहार करके उसका मन बदल देने का निश्चय किया।


शाम होते ही राजा ने उस पेड़ की जड़ से लेकर अपनी शय्या तक फूलों का बिछौना बिछवा दिया, सुगन्धित जलों का छिड़काव करवाया, मीठे दूध के कटोरे जगह जगह रखवा दिये और सेवकों से कह दिया कि रात को जब सर्प निकले तो कोई उसे किसी प्रकार कष्ट पहुंचाने की कोशिश न करें।

रात को सांप अपनी बांबी में से बाहर निकला और राजा के महल की तरफ चल दिया। वह जैसे आगे बढ़ता गया, अपने लिए की गई स्वागत व्यवस्था को देख देखकर आनन्दित होता गया। कोमल बिछौने पर लेटता हुआ मनभावनी सुगन्ध का रसास्वादन करता हुआ, जगह-जगह पर मीठा दूध पीता हुआ आगे बढ़ता था।

इस तरह क्रोध के स्थान पर सन्तोष और प्रसन्नता के भाव उसमें बढ़ने लगे। जैसे-जैसे वह आगे चलता गया, वैसे ही वैसे उसका क्रोध कम होता गया। राजमहल में जब वह प्रवेश करने लगा तो देखा कि प्रहरी और द्वारपाल सशस्त्र खड़े हैं, परन्तु उसे जरा भी हानि पहुंचाने की चेष्टा नहीं करते।


यह असाधारण सी लगने वाले दृश्य देखकर सांप के मन में स्नेह उमड़ आया। सदव्यवहार, नम्रता, मधुरता के जादू ने उसे मंत्रमुग्ध कर लिया था। कहां वह राजा को काटने चला था, परन्तु अब उसके लिए अपना कार्य असंभव हो गया। हानि पहुंचाने के लिए आने वाले शत्रु के साथ जिसका ऐसा मधुर व्यवहार है, उस धर्मात्मा राजा को काटूं तो किस प्रकार काटूं? यह प्रश्न के चलते वह दुविधा में पड़ गया।

राजा के पलंग तक जाने तक सांप का निश्चय पूरी तरह से बदल गया। उधर समय से कुछ देर बाद सांप राजा के शयन कक्ष में पहुंचा। सांप ने राजा से कहा, राजन! मैं तुम्हें काटकर अपने पूर्व जन्म का बदला चुकाने आया था, परन्तु तुम्हारे सौजन्य और सदव्यवहार  ने मुझे परास्त कर दिया।

अब मैं तुम्हारा शत्रु नहीं, मित्र हूं। मित्रता के उपहार स्वरूप अपनी बहुमूल्य मणि मैं तुम्हें दे रहा हूं। लो इसे अपने पास रखो। इतना कहकर और मणि राजा के सामने रखकर सांप चला गया।

शिक्षा:-
यह महज कहानी नहीं जीवन की सच्चाई है। अच्छा व्यवहार कठिन से कठिन कार्यों को सरल बनाने का उपाय रखता है। यदि व्यक्ति का व्यवहार कुशल है तो वो सब कुछ पा सकता है जो पाने की वो हार्दिक इच्छा रखता है।



मूर्ख:

यह एक ठंडी और खामोश रात थी। मौसम कड़ाके की ठंड थी। एक पेड़ पर बंदरों का झुण्ड था। वे उसकी शाखाओं से चिपके हुए थे। बंदरों में से एक ने कहा, "काश हमें कुछ आग मिल जाती। यह हमें गर्म रखने में मदद करेगी।"

अचानक उनकी नजर जुगनूओं के झुंड पर पड़ी। युवा बंदरों में से एक ने सोचा कि यह आग है। उसने एक जुगनू पकड़ा। उसने उसे एक सूखे पत्ते के नीचे रख दिया और उस पर फूंक मारने लगा। कुछ अन्य बंदर भी उसके प्रयासों में शामिल हो गए।

इतने में एक चिड़िया उड़ती हुई अपने घोंसले में आ गई जो उसी पेड़ पर था जिस पर बंदर बैठे थे। उसने देखा कि वे क्या कर रहे थे। गौरैया हंस पड़ी। उसने कहा, "अरे मूर्ख बंदरों, यह जुगनू है, असली आग नहीं। मुझे लगता है कि आप सभी को एक गुफा में शरण लेनी चाहिए।"

बंदरों ने गौरैया की बात नहीं मानी। वे बेचारे जुगनू को फूंकते रहे।

कुछ समय बाद बंदर बहुत थक गए। अब उन्हें एहसास हुआ कि गौरैया ने जो कहा था वह सही था। उन्होंने जुगनू को मुक्त किया और पास की एक गुफा में चले गए।

Fools:

It was a cold and silent night. The weather was freezing cold. A group of monkeys were on a tree. They were clinging to its branches. One of the monkeys said, "I wish we could find some fire. It will help us to keep warm."

Suddenly they noticed a flock of fireflies. One of the young monkeys thought it was fire. He caught a firefly. He put it under a dry leaf and started blowing at it. Some other monkeys also joined in his efforts.

In the meanwhile, a sparrow came flying to its nest which was on the same tree the monkeys were sitting on. She noticed what they were doing. The sparrow laughed. She said, "Hey silly monkeys, that is a firefly, not real fire. I think all of you should take shelter in a cave."

The monkeys did not listen to the sparrow. They continued to blow at the poor firefly.

After some time, the monkeys became very tired. Now they realized that what the sparrow had said was correct. They set free the firefly and moved to a nearby cave.

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