कहानी पंचतंत्र की, Story of Panchtantra

 कहानी पंचतंत्र की, Story of Panchtantra 

Panchtantra

एक ऐसा जंगल, जहा के जानवर, पेड़, पौधे यहाँ तक की पक्षी भी बोलते थे. याद आया ऐसा कहाँ सुना या देखा था? जी हा बिलकुल सही पंचतंत्र की कहानियो मे. कई वर्षो पूर्व विष्णु शर्मा द्वारा लिखी गई इस ऐतिहासिक रचना को हम लाए है इस ब्लॉग के रूप मे





आज के समय मे लोग स्कूल मे पड़ते है, फिर कॉलेज, और फिर नौकरी करते है, और तब जाकर वो जिंदगी को समझ पाते है, लेकिन फिर भी कई बार ठोंकर खाते है, कभी दोस्त चुनने मे, तो कभी दुनिया दारी सिखने मे. लेकिन क्या आपको पता है की एक किताब आपको जीवन की सच्चाई सीखा सकती है, भला जानवरो की कहानियाँ सुन कर हम क्या करेंगे! लेकिन हम आपको बताना चाहेंगे कि पंचतंत्र किसी खास उम्र, वर्ग, या जेंडर के लोगो के लिए नहीं है. ये तो सिखने और समझने का एक ऐसा दिलचस्प जरिया है, जो किसी को भी वो सब सीखा सकता है, जो लोग स्कूल कॉलेज जाकर भी नहीं सिख पाते.



ये कहानी है, सेकड़ो वर्ष पूर्व की, जब देश मे अमर शक्ति नाम का एक राजा रहता था. उसके तीन बेटे थे. वे तीनो राजकुमार न केवल मूर्ख थे, बल्कि उने पढ़ाई से भी नफरत थी जब राजा ने विष्णु शर्मा नाम के एक व्यक्ति के बारे मे सुना. राजा ने उन्हें दरबार मे बुलाया, और विष्णु शर्मा तीनो राजकुमारो को अपने साथ आश्रम मे ले गए. और तब उन्होंने राजकुमारओ को सुनाई कहानियाँ, जिसे हम आज पंचतंत्र के नाम से जानते है.

इन कहानियो मे जानवर भी है, और इंसान भी, और इसीलिए वे काफ़ी दिलचस्प और मजेदार भी है. हर कहानी अंत मे एक शिक्षा देती है. कई कहानियाँ बताती है कि केसे कमजोर लोग अपनी बुद्धि का उपयोग करके खुद से ज्यादा ताकतवर लोगो को पीछे छोड़ सकते है. ये कहानियाँ आपको लोगो को समझने, भरोसे मंद दोस्तों को चुनने, कठिनायों का सामना करने और समस्याओ को समझदारी के साथ हाल करने और जिंदगी को जीने के तरीके बताएगी. तो चलिए शुरू करते है बिना किसी विलम्ब के.




एक समय कि बात है पेड़ पर बिल मे एक साप रहता था, वो मेडक बदक और पंशियों को खाता था. वो दिन मे सोता और रात मे शिकार करता था, कुश दिन बाद वो साप बड़ा हो गया और उस बिल मे ना घुस पाया तो उसने सोचा कि अब वो अपना ठिकाना बदलेगा. अपने नए घर कि तलाश करते हुए उसे एक बरगद के पेड़ पर एक बड़ा सा बिल दिखा, उस पेड़ के निचे चितियों कि पहाड़ी थी, साप पेड़ के पास आया और बोला अब से इस पेड़ के पास मे रहुगा, तुम सब को इस जगह से तुरंत जाना पड़ेगा, उस पेड़ के आस पास रहने वाले सभी जानवर और पंशी बहुत डर गए थे, मगर चितियों को कोई फर्क नहीं पड़ा था. वो पहाड़ी उन्होंने बहुत मेहनत से बनाई थी सभी चीटिया एक जुट हो कर आगे बड़ी और उस साप को चारो तरफ से घेर लिया और उसे काटने लगी साप को बहुत दर्द हुआ और वो चिल्लाता हुआ वहा से भाग गया

उसके बाद वो वहा कभी वापस नहीं आया फिर तबी से सारे जानवर और पंछी वहा ख़ुशी से रहने लगे



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