Rare Books, कुश विशेष किताबें भाग-1
पुस्तक हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमारे सच्चे मार्गदर्शक कहलाते हैं। हम ताउम्र उनसे सीखते हैं और विरासत के रूप में उन्हें सहेज के भी रखते हैं। पुस्तकों के आ जाने के बाद ज्ञान के आदान-प्रादान में क्रांति सी आ गयी, जो की मानव विकास के लिये बहुत ही निर्णायक साबित हुई।
परिचय
पुस्तक हमारे जीवन के आधार होते हैं और हर व्यक्ति को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर इनको साथी आवश्य बनाना पड़ता है। पुस्तक हमारे सच्चे दोस्त होते हैं जिनके रहते जीवन को एक सही दिशा मिलती है। कभी-कभी तो ये हमारे पक्के दोस्त भी होते हैं, जो हमे वर्णमाला से लेक कर जीवन के कठिन सवालों तक के जवाब बड़े आसानी से दे देते हैं।
पुस्तकों का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव
पुस्तकें ज्ञान का भंडार होते हैं और इनका साथ आपे जीवन में कई परिवर्तन ला सकता है। बच्चों के लिये उनसे संबंधित, बड़ो के लिये उनसे संबंधित। एक पुस्तक कभी आपको धोका नहीं देता और सदैव आपके ज्ञान को बढाता ही है।
आप इसमें रोचक कहानियां, देश दुनिया में होने वाली गतिविधियाँ, कुछ नया सीखने का तरीका, आदि आसानी से सीख सकते हैं। पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और हम सबको इन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए।
हमारे इतिहास में कई महापुरुष रहे हैं और उनके वक्तव्य और ज्ञान भरी बातों को हम आसानी से पुस्तकों में पढ़ सकते हैं। जैसे की गांधीजी, जो भले आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी विचार धारा अभी भी जिन्दा है।
निष्कर्ष
पुस्तकों की उपयोगिता हमारे जीवन में बहुत अधिक है, वे हर क्षेत्र में हमरा मार्गदर्शन करती हैं और बदले में हमसे कुछ लेती भी नहीं है। तो क्यों न इन्हें ही अपना साथी बना लिया जाये। पहले के ज़माने में पुस्तक नहीं हुआ करते थे और गुरूजी बच्चों को सब कंठस्थ कराया करते थे। परंतु पुस्तक के आविष्कार के बाद लोग पुस्तकों के माध्यम से ज्ञान का हस्तांतरण एक युग से दुसरे युग में करने लगे। पुस्तकों के आविष्कार के कारण ही हम अपने इतिहास को जान पाए। शायद शब्द कम पड़ जाएँ लेकिन उनकी उपयोगिता कम नही होगी।
देखा जाये जो पुस्तकों की मौजूदगी का सबूत हमारे वेद और पुराण देते हैं, लेकिन इनका सही मायनों में विकास कई वर्षों बाद हुआ। पुस्तकों का उपयोग हम ज्ञान के संग्रहण के लिये करते हैं। पहले के ज़माने में लोग मौखिक रूप से शिक्षा लिया करते थे। गुरु अपने गुरुओं से जो ज्ञान प्राप्त करते थे वही अपने शिष्यों को भी दिया करते थे। परंतु यह तो निश्चित ही था की, इस प्रकार कुछ न कुछ ज्ञान छूट ही जाया करता होगा। फिर कागज की खोज के बाद, लोग अपनी कक्षा में सीखी गयी बातों को लिख लिया करते थे। और शायद यही वजह है की आगे चल कर हमे अपने इतिहास संबंधित जानकारी आसानी से प्राप्त हो पाई।
पुस्तक का इतिहास
एक बार पन्नों का आविष्कार हो जाने के बाद, लोगों ने लिखना शुरू कर दिया और पहले पुस्तक हस्तलिखित ही हुआ करते थे। सन् 1440 में फ़्रांस में प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे पूरे विश्व में इसका प्रचलन हो गया। इसके बाद पुस्तकों का मुद्रित माध्यम समाज में उपलब्ध होने लगा। 1455 में पहला पुस्तक छपी जो की बाइबिल थी।
Part-2 Coming soon.....
भाग-2 बहुत जल्द
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