रहस्यमय दुनिया सीरीज, Rahasyamay duniya series (Download, pdf, video)

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1)- रहस्यमय टापू (Treasure island)

एक समय था जब, किताबें सिर्फ पढ़ी जा सकती थी उन्हे देखने या सुनने का कोई जरिया ना था. वो समय था 19वि सदी का और उसी समय मे 'रोबर्ट लूईस स्टीवेंसन' कि एक किताब आई जिसका नाम था 'The Treasure Island' रहस्यमय टापू.

इस किताब मे बच्चो से लेकर टिनएजेंर्स तक के दिलो पर अपना राज कायम कर लिया था. यह कहानी है जिम कि, जिसके पिता की समुद्र के किनारे एक लॉज थी. एक दिन उसके लॉज मे एक बूढ़ा मछुआरा आया, जिसके पास एक बड़ी सी तिजोरी थी. वह मछुआरा लम्बे कद का था, उसकी कद-काठी बहुत मजबूत थी. उसके हाथ खुरदुरे थे और उन पर चोटों के अनेक निशान थे. उसके एक गाल पर तलवार की चोट का गहरा निशान था. वह पुरे दिन लॉज मे पड़ा पड़ा शराब पिता रहता और एक पुराना समुद्री गीत गाता रहता.



गीत के बोल थे - 'मुर्दे की तिजोरी, पंद्रह लोग. छकते दारू उड़ाते मौज.' पहले तो जिम मछुआरे से डरता था, लेकिन धीरे धीरे वह और मछुआरा दोस्त बन गए, रोज शाम समुद्र किनारे वह जिम को समुद्री गीत और कहानियाँ सुनाया करता था. लिकिन असली सच्चाई ये थी, कि वह मछुआरा अकेला नहीं आया था, वह अपने साथ ऐसे राज लेकर आया था, जिसकी वजह से उसकी, और शायद जिम कि जान को भी खतरा था.

एक दिन अचानक एक अंधा भिखारी उस लॉज मे आया, और उसने मछुआरे के हाथो मे कोई चीज थमा दी. मछुआरे ने देखा, तो वह एक कागज का टुकड़ा था. उसे देख कर वह चिल्ला उठा "उन लोगो ने मेरे नाम का काला रुक्का भेज दिया है. काला रुक्का यानि मौत का वारंट."

कुश पल सोचने के बाद वह मछुआरा अपने आपसे कहने लगा "दस बजे, छह घंटे बाद. खैर, अभी भी समय है." यह कहते ही वह झटके के साथ खड़ा हुआ, लेकिन एका एक उसकी सास उखाड़ गई और वह धम्म से फर्श पर गिर पड़ा. जिम ने उसे बचाने कि बहुत कोशिश की, लेकिन मछुआरे की मौत हो चुकी थी.



आखिर कौन था ये रहस्यमयी मछुआरा, और खजाने के किस राज के बारे मे जनता था वो, जिसकी वजह से उसके नाम काला रुक्का भेज दिया गया था? और केसे एक 12 साल का लड़का जिम जा पंहुचा एक ऐसे निर्जन टापू पर, जहा कीमती खजाने के साथ दफन थे ऐसे राज जो अगर सामने आ गए, तो किसी भी अनहोनी को दावत दे सकते थे. जानिए जिम की पूरी कहानी और खजाने का राज इस आर्टिकल मे जिसका नाम है दी ट्रेसर आइलेंड.



मेरे पिता का समुद्र किनारे एक छोटा सा लॉज था, वह ज्यादा चलता नहीं था बहुत कम लोग वहा ठहरने के लिए आते थे. मुझे अच्छी तरह से याद है एक दिन एक पूरा मछुआरा वहा ठहरने के लिए आया उसके साथ कुश लोग और एक बड़ी तिजोरी थी. वह मछुआरा लम्बे कद का था और उसकी कद काठी बहुत मजबूत थी, उसके हाथ कुरदुरे थे और उन पर चोटों के अनेक निशान थे. उसके गाल पर तलवार के गांव का गहरा निशान था, वह लॉज मे पड़ा पड़ा शराब पिता रहता और एक पुराना समुद्री गीत गाता रहता. गीत के बोल कुश शायद ऐसे थे, "मुर्दे की तिजोरी पंद्रह लोग छक दे दारू उड़ाते मौज" आते ही उसने मेरे पिता से कहाँ था. मै यहाँ कुश दिन रुकुंगा मै बहुत ही सीधा साधा आदमी हु, मुझे सादा भोजन और सस्ती शराब चाहिए मै यहाँ रुक कर आने जाने वाले जहाजो पर नजर रखुगा और तुम मेरा नाम जानना चाहते हो तो सुनो, तुम मुझे कप्तान कह सकते हो, यह सब कहने के बाद उसने मेरे पिता के सामने सोने के चार सिक्के फेक दिए और कहाँ जब ये ख़तम हो जाए तो मुझे बता देना मै और सिक्के दे दुगा.



उसकी आवाज बहुत रूखी थी और उसके कपड़ो पर कई दाग थे, बड़ा खुंखार दीखता था, मेने सोचा वह किसी वक़्त किसी जहाज का कप्तान रहा होगा, सारा दिन वह समुद्र के किनारे बैठे रहता और दूरबिन से आने जाने वाले जहाजो को देखता रहता. शाम होते ही वह लॉज के सामने आग जला कर बैठ जाता और शराब पिने लगता, दिन भर घूमता रहता और लौटते ही पुशता क्या सडक से कोई नाविक गुजरा था. जब कोई भी नाविक लॉज मे आकर रुकता, तो उस दौरान वह चुपचाप अपने कमरे मै चूहें की तरह दुबक कर बैठा रहता.

एक दिन मुझे वो एक कोने मे ले गया और मेरे हाथ मे चांदी का सिक्का दे कर कहने लगा बेटे तुम जरा समुद्र पर नजर रखा करो, यदि किसी दिन तुम्हे लगड़ा मछुआरा दिख जाए तो फ़ौरन मुझे खबर करना, उस दिन से ऐसा हुआ की मै उस लंगड़े मछुआरे के बारे मे सोचने लगा, वह लगड़ा मछुआरा मेरे सपने मे आकर मुझे डराने लगा. जब कभी समुद्र मे तूफान उठता वह लगड़ा मछुआरा मेरे विचारों पर भारी हो जाता इस प्रकार कई महीने गुजर गए




हर महीने एक चांदी का सिक्का मुझे थमा देता लेकिन यह सिक्का मुझे महगा पड़ रहा था. क्यों की रह रह कर वह लगड़ा मछुआरा मेरे खयालो मे आता, मेरे मन से अब उस कप्तान का डर खतम हो गया, हर शाम वो मुझे गीत सुनाता, बहुत सारे समुद्री गीत याद थे उसे वह तरह तरह की कहानियाँ भी सुनाता, उसकी सारी कहानियाँ डरावनी होती थी वह बताता की उसकी सारी जिंदगी समुद्री डाकुओ और खतरनाक लोगो के साथ गुजरी है.

मेरे पिता के पास उसने जो रकम जमा कर रख्खी थी वो ख़त्म हो चुकी थी किराये और खाने की बड़ी रकम उस पर चढ़ गई थी, पर मेरे पिता उससे तकाजा करने की हिम्मत जूता नहीं पा रहे थे, एक बार जब उन्होंने हिम्मत जूटा कर जब उससे पैसे की बात की तब कप्तान आग बबूला हो गया, मेरे पिता डर कर फ़ौरन कमरे मे वापस लोट आए. जब तक कप्तान लॉज मे रहा मेने कभी उसे कपडे बदलते नहीं देखा, उसका कोट बहुत गन्दा था जब कभी वो नशे मे होता तो आस पास के लोगो से बाते करता वरना अपने आप तक सीमित रहता. लोग उससे बहुत डरते थे उसके कमरे मे रखी तिजोरी अब बंद रहती, किसीने उसे खुला गआ नहीं देखा था

मेरे पिता का स्वास्थ निरंतर ख़राब हो रहा था, एक दिन दोपहर बाद हमारे कस्बे के डाक्टर उन्हें देखने आए डाक्टर साहब अपना काम समाप्त करके बारांदे मे अपना पाइप सुलगा कर बैठे थे एका एक जोर जोर से कप्तान अपना गीत गाने लगा और डॉक्टर साहब के पास आ कर टेबल पीटने लगा, डॉक्टर ने आदेश के स्वर मे कहाँ शोर नहीं, कप्तान ने आँखे दलेर कर जब डॉक्टर की तरफ देखा तो डॉक्टर ने उसे गूढकते हुए कहा यदि तुम इस तरह शराब पीते रहे तो इस धरती को तुम जैसे गंदे और बदमाश आदमी से जल्दी छुटकारा मिल जाएगा. कप्तान का चेहरा गुस्से से दमदमा उठा वो उशल कर खड़ा हो गया और जेब से लम्बा सा चाकू निकाल कर डॉक्टर को गुरने लगा डॉक्टर साहब वही खड़े रहे बड़े शांत भाव से कहने लगे यदि तुरंत ये चाकू अपनी जेब मे नहीं रख्खा तो समझ लेना तुम्हे फांसी के तकतें तक पहुंचने मे मुझे अधिक समय नहीं लगेगा तुम्हे मालूम होना चाहिए की मे केवल डॉक्टर ही नहीं इस इलाके का मैजिस्टेड भी हु आज के बाद मुझे तुम्हारे बारे मे कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए वरना तुम्हे परिणाम भूकतना पड़ेगा. यह कह कर डॉक्टर साहब अपने घोड़े पर चलेगये, इस घटना के बाद कप्तान कई दिनों तक शांत रहा.


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