मेरा हमेशा से यह मानना रहा है

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है और ना ही हमारे बाद किसी पीढ़ी के देखने की संभावना लगती है



हम वह आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखें हैं.बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को संभव होता देखा है.


● हम वो आखिरी पीढ़ी हैं


जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।


● हम वो आखिरी लोग हैं…


जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे. और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे


● हम वो आखिरी पीढ़ी के लोग हैं


जिन्होंने चिमनी , लालटेन, कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।


● हम उसी पीढ़ी के लोग हैं…


जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।


● हम उस आखिरी पीढ़ी के लोग हैं


जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।


जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।


जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी, किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती घोटी है।


जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है. और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है


जिन्होंने गोदरेज सोप की गोल डिबिया से साबुन लगाकर शेव बनाई है जिन्होंने गुड़ की चाय पी है। काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।


जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे एक ब्लैक कलर की पोर्श कार आ कर एक हाई राइज बिल्डिंग के सामने रुकी | ड्राईवर ने कार से उतर कर डोर खोला और उस कार से जो शख्स बाहर निकला उसका ओरा आस पर के लोगो को इम्प्रेस करने के लिए काफी स्ट्रोंग था | 


उसने एक ब्लैक कलर का डिज़ाइनर सूट पहन रखा था | जिसके अन्दर उसने pure वाइट कलर की एक शर्ट पहन रखी थी | जिसके ऊपर एक भी रिंकल नहीं थी | उसने शर्ट पर ब्लैक कलर की ही टाई बांध रखी थी | उसके हाथ में एक लैपटॉप बैग था | हाइट लगभग 6 फीट थी उस शख्स की | उसका रंग व्हिटीश और jaw लाइन एकदम शार्प | बड़ी बड़ी आँखे जो अगर किसी को घूर कर देखे तो उसकी आत्मा को हिला दें | वो शख्स चल कर बिल्डिंग के अन्दर आया | उसके पीछे पीछे उसके 2 बॉडी गार्ड्स चल रहे थे |



गेट पर खड़े हुए उस शख्स के अस्सिस्टेंट ने उस शख्स को कहा "गुड मोर्निंग बॉस | क्लाइंट्स आ चुके हैं और आपका ही वेट कर रहे हैं |"



उस शख्स के मुँह से सिर्फ एक ही शब्द निकला "ओके |" और वो अपने लम्बे कदमो से लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगा | वो शख्स लिफ्ट से बाहर निकला और सीधे अपने केबिन की तरफ बढ़ा | केबिन में बैठे क्लाइंट्स ने हाथ मिलाते हुए कहा "हेलो मिस्टर एकांश | हम लोग आपका ही वेट कर रहे थे | "


 

एकांश ने अपनी चेयर पर बैठते हुए कहा "लेट्स स्टार्ट द मीटिंग |"



एकांश अपनी मीटिंग में बिजी हो गया | बीच में एकांश की मीटिंग को डिस्टर्ब करने की हिम्मत सिर्फ एक ही इंसान की हो सकती थी और वो थी एकांश की भतीजी श्रेया | श्रेया अभी सिर्फ 3 साल की थी | असल में श्रेया खुद कुछ नहीं बोल पाती थी लेकिन उसकी नैनी ने एकांश को फ़ोन किया था |



"सर श्रेया बेटी खाना नहीं खा रही है | वो काफी ज्यादा उदास है | अब मैं क्या करूँ ?" एकांश की नैनी ने एकांश से कहा तो एकांश ने सिर्फ एक ही जवाब दिया "लीव दिस जॉब |" और उसने फ़ोन रख दिया |



एकांश ने अपने घर की केयरटेकर को फ़ोन लगाया | "सुनीता जी आप प्लीज श्रेया को खाना खिला दीजिये और नैनी के लिए नए इंटरव्यूज अलाइन कीजिये | अगर वो अभी भी खाना नहीं खाती है तो मुझे बताइयेगा | मैं खुद आ कर उसको खाना खिलाऊंगा |" बोलते हुए एकांश ने फ़ोन रखा |


 

सामने बैठ हुए क्लाइंट्स ये सब नोटिस कर रहे थे, की एकांश जो की काफी स्ट्रोंग पर्सनालिटी वाला इंसान है अपनी भतीजी को ले कर वो एक दम नरम पड़ रहा था | कहते है ना राक्षस की जान तोते में | यहाँ भी वही सीन था | श्रेया ही वो पंछी थी जिसमे एकांश की जान बसती थी |



एकांश ने अपनी मीटिंग ख़तम की और वो घर के लिए निकल गया | श्रेया एकांश के गुज़र चुके भाई की एकलौती निशानी थी, उसके भाई ने मरते वक़्त एकांश को श्रेया की ज़िम्मेदारी सौपी थी | एकांश एक कुवारा बाप बन गया था |


इधर यष्टि एक सीधी साधी और खुशमिज़ाज लड़की है। उसका रंग गोरा, लंबी पलकों से ढकी हुई बड़ी बड़ी आंखे। गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ, लंबे काले बाल और अच्छी खासी साढ़े 5 फ़ीट की हाइट। 



इस समय यष्टि एक जॉब इंटरव्यू के लिए वेटिंग एरिया में बैठी हुई थी | जब उसका नंबर आया तो वो जल्दी से इंटरव्यू के लिए केबिन में आई | लेकिन अन्दर जा कर उसे पता चला की ये जॉब फेवरिस्म की वजह से किसी कैंडिडेट को आलरेडी मिल चुकी थी | यष्टि अपना सर झुकाए केबिन से बाहर आई | उसने attitude में अपनी इंटरव्यू फाइल को रिसेप्शन पर पटकते हुए कहा "अगर आप लोगो को फेवरिस्म से ही कैंडिडेट हायर करने होते हैं तो लोगो का टाइम क्यूँ वेस्ट कर रहे हैं आप लोग |" बोलते हुए वो कंपनी से बाहर आ गई |



उसने एक लम्बी सांस ली और उदासी भरा चेहरा ले कर वो बाहर आ कर टैक्सी का वेट करने लगी | एक टैक्सी आ कर रुकी तो वो उसमे बैठ गई | उसे घर की डायरेक्शन बता कर वो सीट से लग कर बैठ गई | उसने अपने फ़ोन को उठाया और उसमे फिर से वो जॉब वेकेंसी देखने लगी |



इधर एकांश अपने साथ श्रेया को ले कर बाहर घुमने आया था | वो अक्सर श्रेया के साथ बाहर आइसक्रीम खाने आता था | जब श्रेया उसके साथ होती थी तो वो अपने आस पास ना कोई ड्राईवर और ना ही बॉडी गार्ड्स को आने देता था | वो खुद अपनी कार ड्राइव कर रहा था | श्रेया अभी भी काफी उदास थी | उसने विंडो की तरफ अपना चेहरा कर रखा था | वो एकांश की तरफ नहीं देख रही थी | एकांश ने कई बार उसका ध्यान खींचने की कोशिश की लेकिन श्रेया सिर्फ कार की विंडो से बाहर देख रही थी |



रेड लाइट पर जब एकांश ग्रीन सिग्नल होने का वेट कर रहा था तब यष्टि की टैक्सी एकांश की कार के एकदम साइड में आ कर रुकी | यष्टि ने अपनी टैक्सी से बाहर झाँका को उसकी नज़र एकांश की कार विंडो से झांक रही उदास श्रेया पर पड़ी | यष्टि ने बड़े ही ध्यान से श्रेया की तरफ देखा तो उसे उसका चेहरा अपने से ज्यादा उदास दिखा | उसने मन में सोचा "इस छोटी सी बच्ची को ऐसा क्या गम है जो ये इतनी उदास है ?"


उसने सोचते हुए अपनी टैक्सी की विंडो का ग्लास नीचे किया और श्रेया का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए उसने अपने हाथो से कुछ फिगर्स बनाई | उसने एक बर्ड बनाया और वो उसको उड़ा रही थी। इधर श्रेया जिसका ध्यान अभी तक उसके चाचा नही खींच पाये थे एक अनजान लड़की ने खींच लिया था। 


श्रेया का पूरा ध्यान साइड वाली टैक्सी में बैठी हुई यष्टि पर ही था। वो अपने हाथों को उठा कर उसकी नक़ल करने की कोशिश कर रही थी जो कि बगल वाली सीट पर बैठे एकांश ने भी देख लिया था। उसने थोड़ा श्रेया की सीट की तरफ झुक कर विंडो से बाहर देखा तो उसकी नज़र यष्टि पर पड़ी।


 

वो श्रेया का ध्यान अपनी तरफ खीचनें में इतनी बिजी थी कि उसने अपने ऊपर पड़ती हुई एकांश को नज़रों को नोटिस नही किया। एकांश उसकी सभी हरकतों को बडे ध्यान से देख रहा था। एक पल के लिए एकांश यष्टि को देखता ही रह गया । जो बात उसे उसकी तरफ आकर्षित कर रही थी वो था उसका श्रेया को अपने में इन्वॉल्व करना.


अब सिग्नल ग्रीन हो चुका था। यष्टि ने श्रेया को एक फ्लाइंग किस दी और टैक्सी ड्राइवर ने टैक्सी को आगे बढ़ा दिया। श्रेया से इस मुलाकात ने यष्टि के मूड को ठीक कर दिया था।


 

इधर एकांश अपनी ड्राइविंग सीट पर वापस आया और अपनी कार ड्राइव कर के वो भी आगे बढ़ गया। इस कुछ पल की मुलाकात ने एकांश के मन मे यष्टि की एक छाप छोड़ दी थी।



यष्टि और एकांश यहां से अपने अपने रास्ते चले गए थे। एकांश के दिमाग मे यही चल रहा था कि कैसे उस लड़की ने श्रेया का ध्यान खींचा था। जो वो खुद भी नही कर पाया था।



इधर यष्टि उस बच्ची से मिलने के बाद अब थोड़ा अच्छा महसूस कर रही थी। उसका मूड पहले से बेटर हो गया था। यष्टि अपने घर के नीचे पहुंची तभी उसके पास उसके छोटे भाई शौमिक का फ़ोन आया। 



"दीदी मुझे मेरी होस्टल की फीस देनी है। मेरे साथ के सभी लोग दे चुके हैं। सिर्फ मैं ही रह गया हूँ। आप कब तक मेरी फीस दोगी।" शौमिक ने यष्टि से पूछा। 


 

यष्टि जो कि अभी सिर्फ 22 साल की थी, अपने घर की ज़िम्मेदारी ओर अपने भाई की पढ़ाई की ज़िम्मेदारी उसने 18 साल की उम्र से उठा ली थी जब उसकी माँ उसको और उसके भाई अकेला छोड़ कर चली गई थी।


 

जिस टाइम यष्टि की माँ गई थी उस समय शौमिक सिर्फ 10 साल का था और अब वो 14 और यष्टि 22 साल की थी। यष्टि ने अपने भाई को समझाते हुए कहा "तुम फिक्र मत करो। मैं एक या दो दिन में तुम्हे तुम्हारी फीस ट्रांसफर कर दूँगी।"



ये सब यष्टि ने बोल तो दिया था लेकिन वो ये सब कैसे करेगी । उसके पास तो जॉब ही नही है और अभी कोई इंटरव्यू भी लाइनअप नहीं है। यष्टि अपने घर का दरवाज़ा खोल कर अंदर आई। उसके पास उसकी बेस्ट फ्रेंड सिया का फ़ोन आया।



यष्टि ने फ़ोन को फिलहाल इग्नोर कर दिया था। वो घर मे आ कर सीधे नहाने जाने लगी। इस से उसकी कुछ थकान उतरती। तभी डोर पर नॉक हुई।



यष्टि ने जा कर दरवाज़ा खोल तो सामने सिया खड़ी थी। "तूने मेरे फ़ोन को इग्नोर किया। अब ऐसे दिन आ गए है क्या की तू मुझे इग्नोर करेगी। "बोलते हुए सिया यष्टि से नाराज़गी दिखा रही थी।



"यार ऐसी कोई बात नही है। मैं कुछ परेशान थी बस इसीलिए नही उठाया।" यष्टि ने कहा।



यष्टि जो कह रही थी वो उसके चेहरे पर भी दिखाई दे रहा था। सिया ने आगे बढ़ कर उसे गले से लगाया। "मुझे तुझे ऐसे देखना अच्छा नही लगता है। वैसे मैं तेरे लिए एक गुड न्यूज़ लाई थी।" सिया ने कहा ।



यष्टि एकदम एक्ससिटमेंट में बोली "बता ना क्या गुड न्यूज है?"



"पहले मैं बैठ जाऊं। तेरा बस चलता तो मुझे अंदर ही नही आने देती।" बोलते हुए सिया अंदर आ गई।



यष्टि ने कहा "यार अब तो बता दे। क्या बात है। अरसा हो गया कुछ अच्छा सुने हुए।"



सिया ने अब यष्टि को ज़्यादा परेशान नही किया। "तू मेरी मौसी को जानती है ना। उनकी भाभी ने उन्हें बताया कि उनके बॉस अपनी बच्ची के लिए नैनी ढूंढ रहे है। काफी रिच लोग है।"



यष्टि ने कहा "तो मैंने साइंस से ग्रेजुएशन नैनी बनने के लिए की है क्या ?"



इस पर सिया ने जवाब दिया। "तू सैलरी सुनेगी ना तो साइंस भूल जाएगी।"



"कितनी होगी ? 20000 या 25000।"

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