एक बार एक बड़े रोस्टोरेंट में गया वहां पर एक एलाइट क्लास फैमली आई थी मेरा इवेंट बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में था कॉलेज वालों ने बुलाया तो था लेकिन खाने पीने के नाम पर सर्फ एक बोतल पानी दिया था इस लिए भूख लगी थी काफी तेज़ मैं देसी आदमी वेटर भाई से 1 प्लेट ड्राई पनीर चिल्ली मंगाया
तभी बगल वाली रहीस आंटी बोलती है, मैं तो फिजी लेमन मिक्स फ्रूट ड्रिंक पियोंगी, हेल्दी है क्यों की फ्रूट्स मिक्स है
अब जैसे ही ये बात मेरे कान में गई सट्ट से मैने मैनू खोला और देखा ड्रिंक तो थी लेकिन 350 की अब क्या उत्सुकता वश की मैने भी आज दिन भर मेहनत की है मुझे भी एनर्जी की जरूरत है ऐसा मन से सोचते हुए मैने ये ड्रिंक मंगाई
फ्रूट तो फ्रूट ऊपर से पुदीना और कटे हुए निबू पड़े थे दिखने में बहुत अच्छा लगा, लेकिन जैसे ही एक सिप लिया कोको कोला को तरह मुंह में चुनचुनाहट होने लगी और टेस्ट भी बड़ा कमाल का था खट्टा मीठा और हर घूंट में एक अलग फल का आनंद आरहा था, मन ही मन में खुश भी हो रहा था की आज तो ताकत आयेगी
पेमेंट करते टाइम काउंटर पे पूछा कि इसमें कौन कौन सी फल का जूस था, तभी वेटर आया और बोला, सर जूस नही होता प्री मिक्स सिरप होता है उसमे कार्बोनेट वाटर डालते हैं
मैने बोला दिखाओ सिरप और उसने सिरप दिखाई
जिसके पीछे साफ साफ लिखा था, की आर्टिफिशियल फ्लेवर पड़ा है और प्रिजर्वेटिव है
अब समझ में आगया थे की 350 रुपए में मात्र पुदीना की पत्ती और कटे हुए निबू असली है,
अगर ये सच्चाई ना पता चलती तो मन ही मन में मैं खुश होता की आज भाई बहुत ताकत आयेगी ऐसा इस लिए हुआ है क्यों की मैने खुद रिसर्च ना कर एक रहीस लेडी की बात को सुन कर सच मान लिया
और रोजमर्रा की जिंदगी में भी हमारे साथ एस होता है
आज कल 17 से 30 साल के युवा रेडबुल स्ट्रिंग जैसी ड्रिंक पीते हैं, जिसके पीछे लिखा होता है हाई कैफ़ीन डोज है लेकिन उसकी मार्केटिंग एनर्जी ड्रिंक के नाम से की जाती है
और हम मूर्ख लोग बिना जाने समझे उसे एनर्जी ड्रिंक समझ लेते हैं, और पी कर खुश होते हैं
लेकिन इसके उलट अगर आप गन्ने का रस पिए या फिर अंगूर का रस पिए तो ये इन इनर्जी ड्रिंक से कहीं ज्यादा एनर्जी आप को देगा, और इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है
एक ग्लास गन्ने का रस हमारे वहां आज भी 10 रुपए का मिलता है, लेकिन भ्रामक विज्ञापन देख कर हमे रेड बुल जैसी कोल्ड ड्रिंक कुल लगती है, जिसका असर लिवर किडनी को भुगतना पड़ता है आखिर किस दिशा में जा रहे हम
वास्तव में जो चीज हमारे शरीर के लिए अच्छी है हमारे मन के लिए अच्छी है हमे स्वास्थ्य रखती है वो वास्तव में काफी सस्ती है
उद्धरण के लिए शुद्ध गन्ने का रस और रेडबुल्ल के दाम में जमीन आसमान का अंतर है
गुड और चॉकलेट में जमीन आसान का अंतर है
घर के दाल चावल और, रेस्टिरेंट के पिज्जा बर्गर में जमीन आसान का अंतर है
इस लिए दिखावा बंद कीजिए और आप जिस जगह हैं वहां की उपलब्ध देसी चीजों को खाइए
इसी के साथ ये भी बता दीजि है
संकट में धैर्य रखें
घर के बाहर पेड़ के नीचे बच्चे दादाजी के चारों ओर खड़े हो गए। प्लीज, दादाजी हमें कहानी सुनाइए ना, अच्छा सुनाता हूं, पहले सब बैठ जाओ, दादाजी ने कहा।
सभी बच्चे अपनी- अपनी जगह चुन कर बैठ गए। दादाजी ने कहानी कहना शुरू किया। मनोरम नामक वन में एक बहुत ही सुंदर बड़ा सा तालाब था। तालाब चारों ओर से सुंदर वृक्षों व फूल पौधों से घिरा हुआ था।
तालाब में कमल खिले हुए हुए थे। एक समय की बात है कि दो मछुआरे मनोरम वन में विश्राम कर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि तालाब में खूब सारी मछलियां हैं।
दोनों मछुआरे आश्चर्यचकित होकर बोले,' हमें आज तक इस तालाब का पता क्यों नहीं चला।' काफी समय हो गया था। संध्या हो चुकी थी, इसलिए दोनों आपस में बात करते हुए वहां से लौट गए कि कल आकर यहां पर जाल बिछाएंगे।
यह बात तालाब में बैठी तीन मछलियों ने सुन ली, वे आपस में बातें करने लगीं कि अगले दिन मछुआरे आकर यहां जाल बिछाएंगे और हम सभी को पकड़ लेंगे। क्यों न हम लोग तालाब से निकलकर नदी में चलें?
उनमें से एक मछली आलसी थी। उसने सुझाव को स्वीकार नहीं किया और कहा कि जब मछुआरे आएंगे तब हम कहीं छुप जाएंगे। अगले दिन जैसे ही मछुआरा आया, एक मछली छलांग लगाकर नदी में चली गई।
आलसी मछली और उसकी एक मित्र भी मछलियों के साथ जाल में पकड़ी गई।
जैसे ही मछुआरा जाल समेटने के लिए आगे बढ़ा तो समझदार मछली ने मरे हुए होने का झूठा नाटक किया। मछुआरे ने मरा हुआ समझकर उस मछली को निकालकर फेंक दिया।
वह मछली अपनी समझदारी का प्रयोग करते हुए उछलकर नदी में भाग गई, किंतु जो आलसी मछली थी, वह जाल में पड़ी रही। मछुआरों ने उसे ले जाकर बाजार में बेच दिया। दादाजी बोले, हमेशा अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए और हमें आलसी नहीं बनना चाहिए।
किसी भी परिस्थति में कभी घबरानाएं नहीं, बुद्धि का प्रयोग करके संकट से बच सकते हैं। कहानी सभी बच्चों को बहुत पसंद आई, ताली बजाते हुए बच्चे दादाजी के साथ घर के भीतर चले गए।
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